साइरस मिस्त्री को टाटा ग्रुप के चेयरमैन पद से हटाने को लेकर कानूनी लड़ाई लड़ रहे टाटा संस और शापूरजी पालनजी ग्रुप एक बार फिर आमने-सामने आ गए हैं। इस बार मामला शापूरजी ग्रुप की ओर से टाटा संस के शेयरों को गिरवी रखने का है। इसके खिलाफ टाटा संस ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। आइए जानते हैं कि आखिर क्यों शापूरजी ग्रुप शेयरों को गिरवी रखना चाहता है और टाटा संस क्यों इसका विरोध कर रहा है?
कितनी राशि जुटाना चाहता है शापूरजी ग्रुप?
शापूरजी पालनजी ग्रुप रियल एस्टेट और कंस्ट्रक्शन कारोबार से जुड़ा है। ग्रुप को इस समय नकदी की जरूरत है। इस कारण, ग्रुप टाटा संस के 2% शेयर गिरवी रखना चाहता है। इस कदम से ग्रुप की 11 हजार करोड़ रुपए जुटाने की योजना है। पहली किस्त में 3750 करोड़ रुपए जुटाने के लिए ब्रुकफील्ड के साथ समझौता किया गया है। यह दूसरा मौका है जब शापूरजी ग्रुप ने टाटा संस के शेयरों को गिरवी रखने का प्रयास किया है। इससे पहले, अप्रैल 2020 में भी शापूरजी ग्रुप ने टाटा संस के शेयरों को गिरवी रखने का प्रयास किया था लेकिन तब ट्रांजेक्शन पूरा नहीं हो पाया था।
शापूरजी ग्रुप को फंड की जरूरत क्यों पड़ी?
शापूरजी ग्रुप के प्रवक्ता का कहना है कि शापूरजी ग्रुप कोविड-19 से बुरी तरह प्रभावित हुआ है। कंस्ट्रक्शन के काम रुक गए हैं। काम को दोबारा शुरू करने के लिए ग्रुप को फंड की आवश्यकता है। ग्रुप का कहना है कि टाटा ग्रुप के कोर्ट में जाने से उसे आर्थिक नुकसान होगा। प्रवक्ता ने आगे बताया कि शापूरजी ग्रुप भी टाटा संस की याचिका को खारिज कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रहा है।
टाटा संस के सुप्रीम कोर्ट जाने के वजह क्या है?
शेयरों को गिरवी रखने से रोकने के लिए टाटा संस ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। 5 सितंबर को याचिका दाखिल कर टाटा संस ने शेयरों को गिरवी रखने पर रोक लगाने की मांग की है। टाटा संस का कहना है कि गिरवी रखे गए शेयर भविष्य में ट्रांसफर भी हो सकते हैं। टाटा संस का कहना है कि आर्टिकल्स ऑफ एसोसिएशन के तहत यदि कोई सदस्य कंपनी के शेयर बेचना चाहता है तो उन शेयरों को उचित बाजार मूल्य पर खरीदने के संबंध में टाटा संस के बोर्ड को इनकार करने का अधिकार है।
कैसे शुरू हुआ दोनों ग्रुप में विवाद?
2012 में रतन टाटा के रिटायर होने के बाद साइरस मिस्त्री को टाटा ग्रुप का चेयरमैन बनाया गया था। 2016 में बोर्ड और बड़े निवेशकों ने साइरस मिस्त्री को चेयरमैन के पद से हटा दिया था। बोर्ड ने साइरस मिस्त्री पर खराब प्रबंधन का आरोप लगाया था। दो महीने बाद मिस्त्री परिवार की दो इन्वेस्टमेंट कंपनियों ने एनसीएलटी की मुंबई बेंच में अपील दायर की थी। इसमें मिस्त्री को हटाने के फैसले को कंपनीज एक्ट के नियमों के खिलाफ बताया था। 2019 में नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) ने मिस्त्री को चेयरमैन पद से हटाने को गलत बताते हुए उनकी बहाली के निर्देश दिए थे।
2017 में भी हुआ था कानूनी विवाद
सितंबर 2017 में शेयरधारकों ने टाटा संस को पब्लिक से प्राइवेट कंपनी बनाने की मंजूरी दी थी। इसके बाद रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज (आरओसी) ने टाटा संस को प्राइवेट कंपनी के तौर पर दर्ज कर दिया था। इस बदलाव के बाद कंपनी का सदस्य अपने शेयर बाहरी लोगों को नहीं बेच सकता था। वह केवल टाटा संस को ही अपने शेयर बेच सकता था। साइरस मिस्त्री परिवार ने इस बदलाव का विरोध करते हुए एनसीएलटी में केस दायर किया था। एनसीएलएटी ने इस बदलाव को भी अवैध करार दिया था।
कितनी कंपनियों का संचालन करता है टाटा संस?
टाटा संस, टाटा ग्रुप की सभी कंपनियों की होल्डिंग कंपनी है और यह 100 से ज्यादा कंपनियों का संचालन करता है। टाटा संस की सभी कंपनियों की नेटवर्थ 8.15 लाख करोड़ रुपए के आसपास है। टाटा संस की 66 फीसदी हिस्सेदारी टाटा ट्रस्ट के पास है। रतन टाटा, टाटा ट्रस्ट के मानद चेयरमैन हैं।
शापूरजी ग्रुप की टाटा संस में कितनी हिस्सेदारी?
शापूरजी पालनजी ग्रुप की टाटा संस में 18.37 फीसदी हिस्सेदारी है। स्टर्लिंग इंवेस्टमेंट्स और साइरस इंवेस्टमेंट्स के जरिए शापूरजी ग्रुप ने टाटा संस में यह हिस्सेदारी ली है। मौजूदा समय में शापूरजी की हिस्सेदारी की वैल्यू 1.4 लाख करोड़ रुपए के करीब है। इस समय शापूरजी ग्रुप का संचालन टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमैन साइरस पालनजी मिस्त्री करते हैं।
कब हुई शापूरजी ग्रुप की स्थापना?
शापूरजी पालनजी ग्रुप की स्थापना पालनजी मिस्त्री ने 1865 में की थी। मार्च 2019 में शापूरजी ग्रुप का रेवेन्यू 52,747 करोड़ रुपए के करीब था। 2015-16 में शापूरजी ग्रुप में 60 हजार के करीब कर्मचारी कार्यरत थे।
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