पेट्रोल 100 रुपये के पार, हरकत में आई सरकार, OPEC देशों से कहा- उत्पादन कटौती को कम करें - Daily Hindi Paper | Online GK in Hindi | Civil Services Notes in Hindi

Breaking

गुरुवार, 18 फ़रवरी 2021

पेट्रोल 100 रुपये के पार, हरकत में आई सरकार, OPEC देशों से कहा- उत्पादन कटौती को कम करें

 

पेट्रोल-डीजल की बेतहाशा बढ़ती कीमतों को लेकर भारत ने अब सऊदी अरब और दूसरे ग्लोबल तेल उत्पादक देशों से उत्पादन में कटौती को कम करने की अपील की है. भारत ने कहा है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की बढ़ती कीमतों की वजह से आर्थिक रिकवरी और डिमांड पर बुरा असर पड़ रहा है. पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का कहना है कि कम से कम अगले कुछ महीनों के लिए तेल कीमतों से ज्यादा प्राथमिकता डिमांड रिकवरी को दी जानी चाहिए,  

पेट्रोल 100 रुपये के पार, हरकत में आई सरकार, OPEC देशों से कहा- उत्पादन कटौती को कम करें


उत्पादन कटौती से बढ़े कच्चे तेल के दाम 

दरअसल, OPEC देशों के साथ हुई डील के बाद सऊदी अरब ने फरवरी और मार्च में 10 लाख बैरल रोजाना उत्पादन कटौती करने का फैसला किया, जिसके बाद से अंतरराष्ट्रीय तेल की कीमतों में उबाल देखने को मिल रहा है. इसी वजह से कच्चा तेल 63 डॉलर प्रति बैरल के पार चला गया, जो कि एक साल से ज्यादा का उच्चतम स्तर है, जिसके चलते भारत में पेट्रोल ने 100 रुपये प्रति लीटर का आंकड़ा पार कर लिया.
डिमांड में गिरावट से इकोनॉमी पर असर'

धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि 'बीते कुछ हफ्तों के दौरान कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों की वजह से डिमांड में गिरावट देखने को मिल रही है, जिससे इकोनॉमी पर बुरा असर पड़ रहा है. प्रधान ऊर्जा परिदृश्य पर 11वें IEA IEF ओपेक संगोष्ठी में बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि भारत ने महंगाई के दबाव को कई मोर्चों पर काबू में किया है, लेकिन कच्चे तेल की वजह से पैदा हुई महंगाई पर कुछ नहीं किया जा सकता है. 

'दूसरे विकासशील देशों पर भी असर पड़ेगा'

धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि 'कीमतें बढ़ने से भारत के उपभोक्ताओं पर असर पड़ रहा है, इससे डिमांड ग्रोथ पर भी असर दिख रहा है, इससे न केवल भारत में, बल्कि दूसरे विकासशील देशों में आर्थिक वृद्धि पर गलत असर पड़ेगा. पेट्रोल की बिक्री छह महीने पहले कोविड पूर्व स्तर पर पहुंच गई थी, वह फिर से फरवरी के पहले भाग में महामारी के पहले के स्तर से नीचे आ गई है. 

'संतुलित रुख अपनाने की जरूरत'

उन्होंने कहा कि उपभोग आधारित रिकवरी (consumption-led recovery) की जरूरत है. उन्होंने उत्पादन में कटौती का जिक्र करते हुए कहा कि उत्पादक और उपभोक्ता दोनों देशों का सामूहिक हित इसे बढ़ाने में है. उन्होंने कोविड महामारी के कारण मांग में कमी को देखते हुए पिछले साल अप्रैल में प्रमुख तेल उत्पादक देशों के उत्पादन में कटौती को लेकर संयुक्त फैसले का समर्थन किया था. उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि इसे बढ़ाया जाए क्योंकि यह उत्पादक और उपभोक्ता दोनों देशों के हित में है. प्रधान ने कहा कि इस समय संतुलित रुख अपनाने की जरूरत है.