सपा नेता श्यामा चरण गुप्त का कोरोना से निधन |Shyama Charan Gupta died from Corona - Daily Hindi Paper | Online GK in Hindi | Civil Services Notes in Hindi

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शनिवार, 10 अप्रैल 2021

सपा नेता श्यामा चरण गुप्त का कोरोना से निधन |Shyama Charan Gupta died from Corona

 सपा नेता श्यामा चरण गुप्त का कोरोना से निधन

10 अप्रैल 

समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता एवं सांसद श्यामा चरण गुप्ता का कोरोना संक्रमण के कारण उपचार के दौरान शुक्रवार की देर रात मृत्यु हो गयी। वह 76 वर्ष के थे।

सपा नेता श्यामा चरण गुप्त का कोरोना से निधन |Shyama Charan Gupta died from Corona


श्याम ग्रुप के महाप्रबंधक मनोज अग्रवाल ने निधन की पुष्टि की। उन्होंने कहा कि 31 मार्च को उनकी रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आयी थी। रिपोर्ट आने के बाद श्री गुप्ता को प्रयागराज के स्वरूप रानी नेहरू अस्पताल के कोविड़ वार्ड में भर्ती कराया गया था। स्वास्थ्य में सुधार नहीं होने पर दिल्ली के मैक्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

उपचार के दौरान देर रात उनका निधन हो गया। पूर्व सांसद की पत्नी जमुनोत्री देवी और पुत्र विदुप अग्रहरि भी कोरोना संक्रमित हैं, वह होम क्वारंटाइन हैं।

श्री गुप्ता के परिवार में पत्नी जमुनोत्री गुप्ता, दो पुत्र विदुप अग्रहरि और विभव अग्रहरि तथा एक पुत्री वेणु अग्रहरि धींगरा है ।

 श्यामा चरण गुप्ता कौन थे 

श्री श्यामा चरण गुप्ता ने 1984 में बांदा से एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में अपना पहला चुनाव लड़ा, लेकिन कांग्रेस के भीसन देव दुबे से हार गए। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से वर्ष 1989 में चुनाव लड़कर इलाहाबाद के मेयर बने। वर्ष 1991 में कमल निशान पर ही इलाहाबाद संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़े और लेकिन उन्हे सफलता नहीं मिली।

वर्ष 1996 में सपा के टिकट पर मुरली मनोहर जोशी के खिलाफ चुनाव लड़े लेकिन हार गये। वर्ष 1999 बांदा संसदीय क्षेत्र से सपा के उम्मीदवार बने लेकिन यहां भी हार का सामना करना पड़ा। वर्ष 2002 शहर दक्षिणी विधान सभा में केसरी नाथ त्रिपाठी के खिलाफ सपा से चुनाव लड़े। उसके बाद 2004 में सपा के टिकट पर बांदा संसदीय क्षेत्र से सांसद चुने गये। वर्ष 2009 में सपा ने फूलपर से उम्मीदवार बनाया लेकिन बहुजन समाज पार्टी (बसपा) कपिल मुनि करवरिया से हार गए।

वर्ष 2014 में भाजपा से इलाहाबाद संसदीय क्षेत्र से समाजवादी पार्टी के रेवती रमन सिंह को मात देते हुए भारी मतो से विजयी होकर सांसद निर्वाचित हुए।

वर्ष 2019 लोकसभा टिकट को लेकर ही उनका पार्टी नेताओं से मनमुटाव हुआ। उसके बाद समाजवादी पार्टी से टिकट का अवसर मिला लेकिन विजय श्री नहीं मिल सकी। वह एक बार 2004 में सपा से और 2014 में भाजपा से एक बार सांसद चुने गये थे।