नए IT नियमों का पालन करते हुए गूगल, फेसबुक, वॉट्सऍप समेत 7 प्लेटफॉर्म्स ने अपने अधिकारियों के नाम साझा किए, ट्विटर की अकड़ बरकरार भेजा वकील का नाम
नई आईटी पॉलिसी का पालन करते हुए गूगल, फेसबुक, वॉट्सऍप, कू, शेयरचैट, टेलीग्राम और लिंक्डइन ने अपनी पूरी जानकारी सरकार के को भेजी.
नए IT नियमों का पालन करते हुए विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्म ने अपने चीफ कॉम्प्लायंस अफसर, नोडल कॉन्टेक्ट पर्सन और रेजिडेंट ग्रीवांस ऑफिसर की नियुक्ति की जानकारी सरकार को सौंप दी है, जिन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने सरकार को अपनी जानकारी भेजी है उनमे गूगल, फेसबुक, वॉट्सऍप समेत 7 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स शामिल है. जबकि सरकार से फटकार खाने के बावजूद ट्विटर ने अभी तक सिर्फ अपने वकील का नंबर साझा किया है जो देश में ट्विटर के नोडल कॉन्टैक्ट पर्सन और शिकायत अधिकारी के रूप में काम करेगा, चीफ कॉम्प्लायंस अफसर को लेकर ट्विटर ने अभी तक कोई जानकारी सरकार को नहीं भेजी है.
IT गाइड लाइन के पालन हेतु सरकार ने दिखाई सकती
25 फरवरी 2021 को सरकार द्वारा विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के लिए लाई गई IT पॉलिसी को लागू करने हेतु सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को 3 महीने का समय दिया गया था, सरकार द्वारा दी गई समय सीमा समाप्त होने के बावजूद ट्विटर और फेसबुक जैसी कंपनियां नई गाइडलाइन के पालन करने के मूड में नहीं थीं लेकिन केंद्र सरकार के सख्त रवैये को देखते हुए इन कंपनियों ने शनिवार को मांगी गई जानकारी साझा की है।
ट्विटर को फटकार लगाते हुए सरकार ने कहा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा करना भारत सरकार की जिम्मेदारी है न कि ट्विटर जैसी किसी निजी लाभकारी विदेशी संस्था की
इससे पहले ट्विटर द्वारा आईटी एक्ट के नए नियमों का पालन न किए जाने पर सरकार ने कंपनी को फटकार लगाई थी। ट्विटर की ओर से जारी बयान में अभिव्यक्ति की आजादी का हवाला देकर चिंता जाहिर की थी साथ ही भारत में काम करने वाले अपने कर्मचारियों की सुरक्षा की चिंता जाहिर की थी जिसका जवाब देते हुए सरकार ने कंपनी से कहा था कि भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा करना भारत सरकार की जिम्मेदारी है न कि ट्विटर जैसी किसी निजी लाभकारी विदेशी संस्था की।
क्या है सोशल मीडिया के लिए सरकार की गाइडलाइन
(1) सभी सोशल मीडिया भारत में अपने 3 अधिकारियों, चीफ कॉम्प्लियांस अफसर, नोडल कॉन्टेक्ट पर्सन और रेसिडेंट ग्रेवांस अफसर नियुक्त करें, ये भारत में ही रहते हों, इनके कॉन्टैक्ट नंबर ऐप और वेबसाइट पर पब्लिश किए जाएं।
(2) सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म यह भी बताएं कि यदि किसी को शिकायत दर्ज कराना हो तो शिकायत दर्ज करवाने की व्यवस्था क्या है, शिकायत पर 24 घंटे के अंदर ध्यान दिया जाए और 15 दिन के अंदर शिकायत करने वाले को बताया जाए कि शिकायत पर क्या कार्रवाही की गई और यदि शिकायत पर कार्रवाही नहीं की गई तो क्यों नहीं की गई.
(3) सोशल मीडिया प्लेटफार्म ऑटोमेटेड टूल्स और तकनीक की मदद से ऐसा सिस्टम बनाएं, जिसके माध्यम से रेप, बाल यौन शोषण के कंटेंट की पहचान की जा सके।
(4) सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक मंथली रिपोर्ट पब्लिश करें, जिसमे यह जानकारी हो कि महीने में उनके पास कितनी शिकायतें आई और उन शिकायतों पर की गई कार्रवाई की जानकारी हो इसके साथ साथ जो लिंक और कंटेंट हटाया गया हो, उसकी जानकारी दी गई हो।
(5) अगर प्लेटफॉर्म किसी आपत्तिजनक जानकारी को हटाता है तो उसे पहले इस कंटेंट को बनाने वाले, अपलोड करने वाले या शेयर करने वाले को इसकी जानकारी देनी होगी तथा उन्हें कारण भी बताना होगा कि जो उनका कंटेंट हटाया जा रहा है, साथ ही साथ सोशल मीडिया यूज़र को यह अधिकार दिया जाए कि वह प्लेटफार्म द्वारा लीगल एक्शन के खिलाफ शिकायत दर्ज करा सके, इन विवादों को निपटाने के मैकेनिज्म पर ग्रेवांस अफसर लगातार नजर रखें।