राम मंदिर जमीन विवाद, जाने- क्यों ट्रस्ट पर लग रहे घोटाले के आरोप | Ram Mandir Vivad 2021 - Daily Hindi Paper | Online GK in Hindi | Civil Services Notes in Hindi

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सोमवार, 14 जून 2021

राम मंदिर जमीन विवाद, जाने- क्यों ट्रस्ट पर लग रहे घोटाले के आरोप | Ram Mandir Vivad 2021

 

राम मंदिर जमीन विवाद, जाने- क्यों ट्रस्ट पर लग रहे घोटाले के आरोप | Ram Mandir Vivad 2021

मंदिर जमीन का मामला विवादों के घेरे में आ गया है। आम आदमी पार्टी (आप) और समाजवादी पार्टी (सपा) की ओर से श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय पर घोटाले का आरोप लगाया जा रहा है। दो विपक्षी नेताओं का कहना है कि ट्रस्ट ने राम मंदिर परिसर के लिए 2 करोड़ रुपये की जमीन 18.5 करोड़ रुपये में खरीद की है।

वहीं, अब कथित राम मंदिर भूमि घोटाले पर उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का बयान आया है। जिसमें उन्होंने कहा है कि जिनके हाथों में रामभक्तों का खून है, हमें उनसे सलाह की जरूरत नहीं है। मंदिर ट्रस्ट मामले की जांच कर रहा है। दोषी, यदि कोई हो, दंडित किया जाएगा।

राम मंदिर जमीन विवाद क्या है 

दरअसल, श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय पर दो विपक्षी नेताओं ने रविवार को आरोप लगाए हैं कि ट्रस्ट ने राम मंदिर परिसर के लिए 2 करोड़ रुपये की जमीन 18.5 करोड़ रुपये में खरीदी की है। यह आरोप विपक्षी नेता आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह और समाजवादी सरकार के पूर्व मंत्री पवन पांडे द्वारा लगाए गए थे। वहीं चंपत राय ने इन आरोपों का पूरी तरह से खंडन किया है।

सिंह और पांडे दोनों ने इसे मनी लॉन्ड्रिंग का मामला बताया है। वह मंदिर परिसर के लिए जमीन की खरीद की जांच सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय से कराने की मांग कर रहे हैं।

राम मंदिर जमीन विवाद, जाने- क्यों ट्रस्ट पर लग रहे घोटाले के आरोप


संजय सिंह ने आरोप लगाते हुए ट्विट किया था कि ट्रस्ट ने कहा वहाँ ज़मीन महँगी है

झूठ पकड़ा गया ज़मीन की मालियत 5 करोड़ 80 लाख है ये ज़मीन सुल्तान अंसारी और रवि मोहन तिवारी को 2 करोड़ में मिल जाती है तो 5 मिनट बाद ट्रस्ट को 18.5 करोड़ में क्यों मिली? क्या 5.50 लाख रु प्रति सेकेंड ज़मीन महँगी हो सकती है?

जमीन खरीद में भ्रष्टाचार के आरोपों के मुताबिक 2 करोड़ की जमीन को ट्रस्ट ने साढ़े 18 करोड़ में खरीदा है। पहले जमीन की कीमत 2 करोड़ थी, लेकिन केवल 10 मिनट में ही डील पक्की हुई और कीमत 18.5 करोड़ हो गई।

इस वर्ष 18 मार्च को उस जमीन की दोनों डील हुई और दोनों में केवल 10 मिनट का फर्क है। सबसे बड़ी बात दोनों डील में गवाह कॉमन हैं। इस सौदे में महापौर ऋषिकेश उपाध्याय के साथ ट्रस्ट के सदस्य अनिल मिश्रा गवाह हैं।

 राम मंदिर जमीन घोटाले में तीन किरदार अहम भूमिका निभाते हैं। जमीन का मालिकाना हक कुसुम पाठक था। उन्होंने 2010-11 में जमीन रवि मोहन तिवारी और सुल्तान अंसारी को बेच दी थी। वहीं सौदा कागजी तौर पर करीब 10 साल पहले यानी 18 मार्च को फाइनल हुआ। कुसुम पाठक ने रवि मोहन तिवारी और सुल्तान अंसारी के साथ उस जमीन का समझौता 2 करोड़ में किया था।

तिवारी और अंसारी ने 18 मार्च को वही जमीन श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को 18.5 करोड़ में बेंच दी। अब इसी डील को लेकर विवाद शुरू हो गया है।

राम मंदिर जमीन विवाद को लेकर श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का जारी बयान

राम मंदिर जमीन विवाद, जाने- क्यों ट्रस्ट पर लग रहे घोटाले के आरोप


जमीन खरीद को लेकर लगाए गए आरोपों पर ट्रस्ट ने सफाई दी है। राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव और विश्व हिंदू परिषद के नेता चंपत राय ने आधिकारिका पत्र जारी कर इन आरोपों का खंडन किया है।

उन्होंने कहा है कि वास्तु के अनुसार सुधार के लिए मंदिर परिसर के पूर्व और पश्चिम दिशा में यात्रा को सुलभ बनाने और मंदिर परिसर की सुरक्षा के लिए कुछ छोटे-बड़े मंदिर और गृहस्थों के मकान खरीदने जरूरी हैं। जिनसे मकान खरीदा जाएगा, उन्हें पुनर्वास के लिए जमीनें दी जाएंगी। इस काम के लिए भूमि की खरीददारी की जा रही है।

उन्होंने आरोपो को खारिज करते हुए कहा कि श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने अभी तक जितनी जमीनें खरीदी हैं, वह खुले बाजार की कीमत से बहुत कम हैं। लोग राजनीतिक विद्वेष से प्रेरित होकर भ्रम फैला रहे हैं।