कृषि कानून को वापस लेने का मोदी का ऐलान Modi's announcement to withdraw agriculture law
19 नवंबर
सिखों के प्रथम गुरु नानक देव जी के 552वें प्रकाश पर्व के मौके पर
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक साल से अधिक समय से आंदोलनरत किसानों की मांग को
स्वीकार करते हुए तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लेने की आज घोषणा की और
आंदोलनरत किसानों से घर लौटने का आह्वान किया।
श्री मोदी ने शुक्रवार को सुबह राष्ट्र के नाम
संदेश में कहा, “अपने पांच दशक के जीवन में किसानों की
चुनौतियों को बहुत करीब से देखा है जब देश हमें 2014 में प्रधानसेवक के रूप में सेवा का अवसर दिया तो हमने कृषि विकास, किसान कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता
दी। देश के छोटे किसानों की चुनौतियों को दूर करने के लिए, हमने बीज, बीमा, बाजार और बचत,
इन सभी पर चौतरफा काम किया। सरकार ने
अच्छी क्वालिटी के बीज के साथ ही किसानों को नीम कोटेड यूरिया, मृदा स्वास्थ्य कार्ड, सूक्ष्म सिंचाई जैसी सुविधाओं से भी
जोड़ा।”
उन्होंने कहा, “किसानों को उनकी मेहनत के बदले उपज की सही कीमत मिले, इसके लिए भी अनेक कदम उठाए गए। देश ने
अपने ग्रामीण बाज़ार अवसंरचना को मजबूत किया। हमने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी)
तो बढ़ाया ही, साथ ही साथ रिकॉर्ड सरकारी खरीद केंद्र
भी बनाए। हमारी सरकार द्वारा की गई उपज की खरीद ने पिछले कई दशकों के रिकॉर्ड तोड़
दिए हैं।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि किसानों की स्थिति को
सुधारने के इसी महाअभियान में देश में तीन कृषि कानून लाए गए थे। मकसद ये था कि
देश के किसानों को, खासकर छोटे किसानों को, और ताकत मिले, उन्हें अपनी उपज की सही कीमत और उपज
बेचने के लिए ज्यादा से ज्यादा विकल्प मिले। बरसों से ये मांग देश के किसान, देश के कृषि विशेषज्ञ, देश के किसान संगठन लगातार कर रहे थे।
पहले भी कई सरकारों ने इस पर मंथन किया था। इस बार भी संसद में चर्चा हुई, मंथन हुआ और ये कानून लाए गए। देश के
कोने-कोने में कोटि-कोटि किसानों ने, अनेक
किसान संगठनों ने, इसका स्वागत किया, समर्थन किया।
श्री मोदी ने कहा, “हमारी सरकार, किसानों के कल्याण के लिए, खासकर छोटे किसानों के कल्याण के लिए, देश के कृषि जगत के हित में, देश के हित में, गांव गरीब के उज्जवल भविष्य के लिए, पूरी सत्य निष्ठा से, किसानों के प्रति समर्पण भाव से, नेक नीयत से ये कानून लेकर आई थी।
लेकिन इतनी पवित्र बात, पूर्ण रूप से शुद्ध, किसानों के हित की बात, हम अपने प्रयासों के बावजूद कुछ
किसानों को समझा नहीं पाए।”
उन्होंने कहा कि कृषि अर्थशास्त्रियों
ने, वैज्ञानिकों ने, प्रगतिशील किसानों ने भी उन्हें कृषि
कानूनों के महत्व को समझाने का भरपूर प्रयास किया।
प्रधानमंत्री ने कहा, “आज मैं आपको, पूरे देश को, ये बताने आया हूं कि हमने तीनों कृषि
कानूनों को वापस लेने का निर्णय लिया है। इस महीने के अंत में शुरू होने जा रहे
संसद सत्र में, हम इन तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने
की संवैधानिक प्रक्रिया को पूरा कर देंगे।” उन्होंने
आंदोलनरत किसानों से आग्रह किया कि वे गुरु परब के मौके पर आंदोलन को समाप्त करके
अपने घर परिवार के साथ पर्व मनायें और खेतों में काम शुरू करें।
उन्होंने यह घोषणा भी की कि आज ही सरकार ने
कृषि क्षेत्र से जुड़ा एक और अहम फैसला लिया है। जीरो बजट खेती यानि प्राकृतिक
खेती को बढ़ावा देने के लिए, देश
की बदलती आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर क्रॉप पैटर्न को वैज्ञानिक तरीके से बदलने
के लिए एमएसपी को और अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने के लिए, ऐसे सभी विषयों पर, भविष्य को ध्यान में रखते हुए, निर्णय लेने के लिए एक समिति का गठन
किया जाएगा। इस समिति में केंद्र सरकार, राज्य
सरकारों के प्रतिनिधि, किसान, कृषि वैज्ञानिक और कृषि अर्थशास्त्री सदस्य होंगे।
प्रधानमंत्री की इस घोषणा का आंदोलनरत किसान
संगठनों एवं विभिन्न राजनीतिक दलों ने स्वागत किया है। विपक्ष ने इसे किसानों की
जीत एवं सरकार की हार करार दिया है।