ओडिशा में 18वें प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन का उद्घाटन किया
प्रधानमंत्री श्री
नरेन्द्र मोदी ने आज ओडिशा के भुवनेश्वर में 18वें प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन का उद्घाटन किया। दुनिया
के विभिन्न हिस्सों से आए सभी प्रतिनिधियों और प्रवासियों का स्वागत करते हुए
श्री मोदी ने विश्वास व्यक्त किया कि भविष्य में दुनिया भर में विभिन्न भारतीय
प्रवासी कार्यक्रमों में यह उद्घाटन गीत बजाया जाएगा। प्रधानमंत्री ने ग्रैमी
पुरस्कार विजेता कलाकार रिकी केज और उनकी टीम की शानदार प्रस्तुति के लिए उनकी
सराहना की। इस गीत में भारतीय प्रवासियों की भावनाओं और संवेदनाओं को दर्शाया गया
है।
एक वीडियो संदेश में उत्साहपूर्ण
और स्नेह से भरे शब्दों के लिए मुख्य अतिथि, त्रिनिदाद और टोबैगो की राष्ट्रपति क्रिस्टीन कार्ला कंगालू को धन्यवाद देते हुए
प्रधानमंत्री ने कहा कि वह भारत की प्रगति के बारे में भी चर्चा कर रही थीं और
उनके शब्दों ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगों पर प्रभाव डाला। वर्तमान में भारत
में जीवंत त्यौहारों और समारोहों को देखते हुए श्री मोदी ने कहा कि कुछ ही दिनों
में प्रयागराज में महाकुंभ का शुभारंभ हो जाएगा और मकर संक्रांति, लोहड़ी, पोंगल और माघ
बिहु के त्यौहार भी आने वाले हैं। उन्होंने कहा कि हर जगह प्रसन्नता का वातावरण
है। वर्ष 1915 में इसी दिन
महात्मा गांधीजी लंबे समय तक विदेश में प्रवास के बाद भारत लौटे थे इसका स्मरण
करते हुए श्री मोदी ने कहा कि ऐसे अद्भुत
समय में भारत में प्रवासी भारतीयों की उपस्थिति ने उत्सव की भावना को और बढ़ा दिया
है। उन्होंने कहा कि प्रवासी भारतीय दिवस (पीबीडी) का यह संस्करण एक और कारण से
विशेष है। उन्होंने कहा कि यह आयोजन श्री अटल बिहारी वाजपेयी की जन्म शताब्दी के
कुछ दिनों बाद आयोजित किया गया, जिनकी दूरदर्शिता प्रवासी भारतीय दिवस के लिए महत्वपूर्ण
थी। उन्होंने कहा कि प्रवासी भारतीय दिवस, भारत और उसके
प्रवासियों के बीच संबंधों को प्रगाढ़ करने वाली एक संस्था बन चुकी है। श्री मोदी
ने उल्लेख किया कि हम सब मिलकर भारत, भारतीयता, अपनी संस्कृति और प्रगति का उत्सव मनाते हैं और साथ ही
अपनी जड़ों से जुड़ते हैं।
श्री मोदी ने कहा कि
ओडिशा की महान भूमि, जहां हम एकत्र
हुए हैं, भारत की समृद्ध
विरासत का प्रतिबिंब है। उन्होंने कहा कि ओडिशा में हर कदम पर हम अपनी विरासत देख
सकते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि उदयगिरि और खंडगिरि की ऐतिहासिक गुफाओं या
कोणार्क के भव्य सूर्य मंदिर या ताम्रलिप्ति, माणिकपटना और पलुर के प्राचीन बंदरगाहों को देखने पर हर कोई
गौरवान्वित महसूस करेगा। यह देखते हुए कि सैकड़ों वर्ष पूर्व, ओडिशा के
व्यापारियों और सौदागरों ने बाली, सुमात्रा और जावा जैसे स्थानों पर लंबी समुद्री यात्राएं की
थीं, प्रधानमंत्री ने
कहा कि आज भी ओडिशा में बाली यात्रा उसी की याद में मनाई जाती है। उन्होंने कहा कि
ओडिशा का एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थल धौली शांति का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि
सम्राट अशोक ने यहाँ शांति का मार्ग चुना था, जबकि दुनिया तलवार की ताकत से साम्राज्यों का विस्तार कर
रही थी। श्री मोदी ने आग्रह किया कि यह विरासत भारत को दुनिया को यह बताने के लिए
प्रेरित करती है कि भविष्य बुद्ध में है, युद्ध में नहीं। इसलिए, उन्होंने कहा कि ओडिशा की धरती पर सभी का स्वागत करना उनके
लिए बहुत अहम है।
प्रधानमंत्री ने हमेशा
प्रवासी भारतीयों को भारत का राजदूत माना है। प्रधानमंत्री ने दुनिया भर में रहने
वाले भारतीयों से मिलकर और उनसे वार्तालाप करके अपनी प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि उनसे मिलने वाला प्यार और
आशीर्वाद अविस्मरणीय है और हमेशा उनके साथ रहेगा।
भारतीय प्रवासियों के
प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करते हुए तथा वैश्विक मंच पर उन्हें गर्व से सिर ऊंचा
करने का अवसर प्रदान करने के लिए उन्हें धन्यवाद देते हुए श्री मोदी ने कहा
कि पिछले दशक में उन्होंने अनेक वैश्विक
प्रमुखों से भेंट की, जिनमें से सभी ने
भारतीय प्रवासियों की उनके सामाजिक मूल्यों तथा अपने-अपने समाजों में योगदान के
लिए प्रशंसा की।
प्रधानमंत्री ने कहा कि
भारत न केवल लोकतंत्र की जननी है, बल्कि लोकतंत्र भारतीय जीवन का अभिन्न अंग है। उन्होंने कहा
कि भारतीय स्वाभाविक रूप से विविधता को अपनाते हैं और स्थानीय नियमों और परंपराओं का
सम्मान करते हुए जिस समाज में शामिल होते हैं, उसमें सहज रूप से एकीकृत होते हैं। श्री मोदी ने कहा कि
भारतीय अपने मेजबान देशों की सत्यनिष्ठा से सेवा करते हैं, उनके विकास और
समृद्धि में योगदान देते हैं, जबकि वे हमेशा भारत को अपने हृदय के करीब रखते हैं। प्रधानमंत्री
ने कहा कि वे भारत की हर प्रसन्नता और उपलब्धि का महोत्सव बेहद उत्साह के साथ
मनाते हैं।
21वीं सदी के भारत में विकास की असाधारण गति और व्यापकता का
उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि
मात्र 10 वर्षों में भारत
ने 250 मिलियन लोगों को
गरीबी से बाहर निकाला है और दुनिया की 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था से 5वीं सबसे बड़ी
अर्थव्यवस्था बन गया है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि भारत शीघ्र ही तीसरी
सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।
चंद्रयान मिशन का
शिव-शक्ति बिंदु तक पहुंचना और डिजिटल इंडिया की ताकत की वैश्विक मान्यता जैसी
भारत की उपलब्धियों पर जोर देते हुए श्री मोदी ने कहा कि भारत में हर क्षेत्र नई
ऊंचाइयों पर पहुंच रहा है। अक्षय ऊर्जा, विमानन, इलेक्ट्रिक मोबिलिटी, मेट्रो नेटवर्क और बुलेट ट्रेन परियोजनाओं में रिकॉर्ड तोड़
रहा है। उन्होंने कहा कि भारत अब "मेड इन इंडिया" लड़ाकू जेट और परिवहन
विमान बना रहा है। उन्होंने एक ऐसे भविष्य की कल्पना की, जहां लोग
"मेड इन इंडिया" विमानों में प्रवासी भारतीय दिवस के लिए भारत की यात्रा
करेंगे।
अपनी उपलब्धियों और
संभावनाओं के कारण भारत की बढ़ती वैश्विक भूमिका को रेखांकित करते हुए
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज का भारत न केवल अपनी बात को मजबूती से रखता है, बल्कि वैश्विक
दक्षिण की आवाज को भी मजबूती से उठाता है। उन्होंने अफ्रीकी संघ को जी-20 का स्थायी सदस्य
बनाने के भारत के प्रस्ताव के लिए सर्वसम्मति से मिले समर्थन का भी जिक्र किया और
"मानवता सर्वप्रथम" के प्रति भारत की प्रतिबद्धता पर जोर दिया।
श्री मोदी ने भारतीय
प्रतिभा की वैश्विक मान्यता पर जोर दिया, जिसमें प्रमुख कंपनियों के माध्यम से वैश्विक विकास में
योगदान देने वाले पेशेवर शामिल हैं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से प्रवासी भारतीय
सम्मान प्राप्त करने वालों को अपनी शुभकामनाएं देते हुए उन्होंने कहा कि भारत
दशकों तक दुनिया की सबसे युवा और सबसे कुशल आबादी बना रहेगा, जो वैश्विक कौशल
मांगों को पूरा करेगा। उन्होंने कहा कि कई देश अब कुशल भारतीय युवाओं का स्वागत
करते हैं और भारत सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि विदेश जाने वाले
भारतीय निरंतर कौशल, पुनः कौशल और
कौशल को बढ़ाने के प्रयासों के माध्यम से अत्यधिक कुशल हों।
भारतीय प्रवासियों के लिए
सुख-सुविधाओं के महत्व और उनकी सुरक्षा एवं कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता बताते हुए
प्रधानमंत्री ने कहा कि संकट की स्थितियों के दौरान प्रवासियों की सहायता करना
भारत की जिम्मेदारी है, जो भारत की विदेश
नीति के प्रमुख सिद्धांत को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि पिछले एक दशक में, दुनिया भर में
भारतीय दूतावास और कार्यालय संवेदनशील हैं और सक्रिय रूप से कार्य कर रहे हैं।
कांसुलर सुविधाओं तक
पहुंचने के लिए लंबी दूरी तय करने और कई दिनों तक इंतजार करने के लोगों के पिछले
अनुभवों को स्मरण करते हुए श्री मोदी ने कहा कि इन मुद्दों का अब समाधान किया जा
रहा है, पिछले दो वर्षों
में चौदह नए दूतावास और वाणिज्य दूतावास खोले गए हैं। उन्होंने कहा कि मॉरीशस से 7वीं पीढ़ी के
भारतीय मूल के व्यक्तियों (पीआईओ) और सूरीनाम, मार्टिनिक और ग्वाडेलोप से 6वीं पीढ़ी के लोगों को शामिल करने के लिए ओसीआई
कार्ड का दायरा बढ़ाया जा रहा है।
प्रधानमंत्री ने दुनिया
भर में भारतीय प्रवासियों के महत्वपूर्ण इतिहास की जानकारी देते हुए विभिन्न देशों
में उनकी उपलब्धियों को भारत की विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बताया। उन्होंने
आग्रह किया कि इन दिलचस्प और प्रेरक कहानियों को हमारी साझा विरासत और विरासत के
हिस्से के रूप में साझा, प्रदर्शित और संरक्षित
किया जाना चाहिए। "मन की बात" में चर्चा किए गए हाल के एक प्रयास का
उल्लेख करते हुए, जहां गुजरात के
कई परिवार सदियों पहले ओमान में बस गए थे, श्री मोदी ने उनकी 250 वर्ष की यात्रा को प्रेरणादायक बताते हुए कहा कि इस समुदाय
से संबंधित हजारों दस्तावेजों को डिजिटल बनाने के लिए एक प्रदर्शनी आयोजित की गई
थी। प्रधानमंत्री ने कहा कि इसके अलावा एक "मौखिक इतिहास परियोजना"
आयोजित की गई, जहां समुदाय के
वरिष्ठ सदस्यों ने अपने अनुभव साझा किए। उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई कि इनमें
से कई परिवार आज के कार्यक्रम में उपस्थित रहे।
विभिन्न देशों में
प्रवासी समुदाय के साथ इसी तरह के प्रयास करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए श्री मोदी ने "गिरमिटिया" भाइयों और
बहनों का उदाहरण दिया। उन्होंने भारत में उन गांवों और शहरों की पहचान करने के लिए
एक डेटाबेस बनाने का आग्रह किया, जहां से वे आए थे और जहां वे बसे थे। प्रधानमंत्री ने कहा
कि प्रवासियों के जीवन का दस्तावेजीकरण, उन्होंने चुनौतियों को अवसरों में कैसे बदला,
इसे फिल्मों और वृत्तचित्रों के माध्यम से दिखाया जा सकता
है। प्रधानमंत्री ने गिरमिटिया विरासत का अध्ययन और शोध करने के महत्व का उल्लेख
किया और इस उद्देश्य के लिए एक विश्वविद्यालय पीठ की स्थापना का प्रस्ताव रखा।
प्रधानमंत्री ने नियमित रूप से विश्व गिरमिटिया सम्मेलन आयोजित करने का भी आग्रह
किया और अपनी टीम को इन संभावनाओं का पता लगाने और इन पहलों को आगे बढ़ाने की दिशा
में कार्य करने के निर्देश दिए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि
आधुनिक भारत विकास और विरासत के मंत्र के साथ आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि जी-20 बैठकों के दौरान, दुनिया को भारत
की विविधता का प्रत्यक्ष अनुभव प्रदान करने के लिए देश भर में सत्र आयोजित किए गए।
उन्होंने काशी-तमिल संगमम,
काशी तेलुगु
संगमम और सौराष्ट्र-तमिल संगमम जैसे आयोजनों का गर्व से उल्लेख किया। प्रधानमंत्री
ने आगामी संत तिरुवल्लुवर दिवस का भी उल्लेख किया और उनकी शिक्षाओं का प्रसार
करने के लिए तिरुवल्लुवर संस्कृति केंद्रों की स्थापना की घोषणा की। प्रधानमंत्री
ने कहा कि इसका पहला केंद्र सिंगापुर में शुरू हो गया है और अमरीका के ह्यूस्टन
विश्वविद्यालय में तिरुवल्लुवर चेयर की स्थापना की जा रही है। श्री मोदी ने कहा कि
इन प्रयासों का उद्देश्य तमिल भाषा और विरासत तथा भारत की विरासत को दुनिया के हर
कोने में ले जाना है।
भारत में विरासत स्थलों
को जोड़ने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि
रामायण एक्सप्रेस जैसी विशेष रेल भगवान राम और सीता माता से जुड़े स्थानों तक
पहुंच प्रदान करती हैं। उन्होंने कहा कि भारत गौरव रेल देश भर में महत्वपूर्ण विरासत
स्थलों को भी जोड़ती हैं,
जबकि
सेमी-हाई-स्पीड वंदे भारत रेल भारत में प्रमुख विरासत केंद्रों को जोड़ती हैं।
प्रधानमंत्री ने एक विशेष प्रवासी भारतीय एक्सप्रेस ट्रेन के शुभारंभ का उल्लेख
किया। इस रेल के माध्यम से लगभग 150 लोगों को पर्यटन
और आस्था से जुड़े सत्रह स्थलों का भ्रमण
कराया जाएगा। उन्होंने सभी को ओडिशा के कई महत्वपूर्ण स्थलों की यात्रा करने के
लिए प्रोत्साहित किया और प्रयागराज में आगामी महाकुंभ जानकारी देते हुए लोगों से
इस दुर्लभ अवसर का लाभ उठाने का भी आग्रह किया।
प्रधानमंत्री ने 1947 में भारत की
स्वतंत्रता में प्रवासी भारतीयों की महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार करते हुए कहा कि
प्रवासी भारतीयों का देश के विकास में योगदान देना जारी है जिससे भारत दुनिया में
धन प्रेषण का शीर्ष प्राप्तकर्ता बन गया है। उन्होंने 2047 तक भारत को
विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य पर जोर दिया। श्री मोदी ने प्रवासी भारतीयों की
वित्तीय सेवाओं और निवेश आवश्यकताओं को पूरा करने में गिफ्ट सिटी इको-सिस्टम के
महत्व पर प्रकाश डालते हुए उन्हें विकास की दिशा में भारत की यात्रा को मजबूत
बनाने के लिए और इनके लाभ लेने के लिए प्रोत्साहित किया। श्री मोदी ने कहा कि
प्रवासी भारतीयों का हर प्रयास भारत की प्रगति में योगदान देता है। विरासत पर्यटन
की क्षमता पर जोर देते हुए,
प्रधानमंत्री ने
कहा कि भारत अपने प्रमुख मेट्रो शहरों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसमें
टियर-2 और टियर-3 शहर और गांव भी
शामिल हैं, जो भारत की
विरासत को प्रदर्शित करते हैं, प्रधानमंत्री ने प्रवासी भारतीयों से छोटे शहरों और गांवों
का दौरा करके और अपने अनुभव साझा करके दुनिया को इस विरासत से जोड़ने का आग्रह
किया। प्रधानमंत्री ने उन्हें अपने अगले भारत दौरे पर गैर-भारतीय मूल के कम से कम
पांच मित्रों को साथ लाने के लिए प्रोत्साहित किया, जिससे उन्हें देश को जानने और उसकी सराहना करने
के लिए प्रेरणा मिले।
श्री मोदी ने प्रवासी
समुदाय के युवा सदस्यों से भारत को बेहतर ढंग से समझने के लिए "भारत को
जानिए" प्रश्नोत्तरी में भाग लेने की अपील की। प्रधानमंत्री ने उन्हें
"भारत में अध्ययन" कार्यक्रम और आईसीसीआर छात्रवृत्ति योजना का लाभ
उठाने के लिए प्रोत्साहित किया। प्रधानमंत्री ने विदेशों में रहने प्रवासी
भारतीयों से अपने देश में भारत सच्चे इतिहास को फैलाने के महत्व पर जोर दिया।
उन्होंने कहा कि इन देशों की वर्तमान पीढ़ी भारत की समृद्धि, लंबे समय तक
गुलामी और संघर्षों से अवगत नहीं है। उन्होंने प्रवासी समुदाय से भारत के सच्चे
इतिहास को दुनिया के साथ साझा करने का आग्रह किया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि
भारत अब विश्व बंधु के रूप में पहचाना जाता है और प्रवासी भारतीयों से अपने
प्रयासों को बढ़ाकर इस वैश्विक संबंधों को और अधिक प्रगाढ़ करने का आग्रह किया।
उन्होंने अपने-अपने देशों में, विशेष रूप से स्थानीय निवासियों के लिए पुरस्कार समारोह
आयोजित करने का सुझाव दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि ये पुरस्कार साहित्य, कला और शिल्प, फिल्म तथा रंगमंच
जैसे विभिन्न क्षेत्रों में प्रमुख व्यक्तियों को दिए जा सकते हैं। उन्होंने
प्रवासी भारतीयों को भारतीय दूतावासों और वाणिज्य दूतावासों के सहयोग से उपलब्धि
हासिल करने वालों को प्रमाण पत्र देकर पुरस्कृत करने के लिए प्रोत्साहित किया।
उन्होंने कहा कि इससे स्थानीय लोगों के साथ व्यक्तिगत संबंध और भावनात्मक जुड़ाव
बढ़ेगा।
स्थानीय भारतीय उत्पादों
को वैश्विक बनाने में प्रवासी समुदाय की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर देते हुए श्री
मोदी ने उनसे स्थानीय या ऑनलाइन "मेड इन इंडिया" खाद्य पैकेट, कपड़े और अन्य
सामान खरीदने का आग्रह किया और इन उत्पादों को अपने रसोईघरों, ड्राइंग रूम और
उपहारों में शामिल करने का आग्रह किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह एक विकसित भारत
के निर्माण में एक महत्वपूर्ण योगदान होगा।
मां और धरती मां से जुड़ी
एक और अपील करते हुए प्रधानमंत्री ने गुयाना की अपनी हालिया यात्रा का जिक्र करते
हुए यह बताया कि उन्होंने गुयाना के राष्ट्रपति के साथ "एक पेड़ मां के
नाम" पहल में हिस्सा लिया था। उन्होंने कहा कि भारत में लाखों लोग पहले से ही
ऐसा कर रहे हैं। उन्होंने प्रवासी भारतीयों को प्रोत्साहित किया कि वे जहां भी हों, अपनी मां के नाम
पर एक पौधा लगाएं। उन्होंने विश्वास जताया कि जब वे भारत से लौटेंगे, तो अपने साथ
विकसित भारत का संकल्प लेकर जाएंगे। अपने संबोधन के समापन पर प्रधानमंत्री ने सभी
को अच्छे स्वास्थ्य और समृद्धि के साथ समृद्ध 2025 की शुभकामनाएं दीं और उनका भारत में स्वागत किया।
इस अवसर पर ओडिशा के
राज्यपाल, डॉ. हरि बाबू
कंभमपति, ओडिशा के
मुख्यमंत्री श्री मोहन चरण मांझी, केंद्रीय मंत्री श्री एस. जयशंकर, श्री अश्विनी
वैष्णव, श्री धर्मेंद्र
प्रधान, केंद्रीय राज्य
मंत्री श्री जुएल ओराम और कार्यक्रम में अन्य गणमान्य व्यक्तियों में सुश्री शोभा
करंदलाजे, श्री कीर्ति
वर्धन सिंह और श्री पबित्रा मार्गेरिटा उपस्थित थे।
पृष्ठभूमि
प्रवासी भारतीय दिवस
(पीबीडी) सम्मेलन भारत सरकार का प्रमुख कार्यक्रम है जो प्रवासी भारतीयों से
जुड़ने और उन्हें एक-दूसरे के साथ वार्तालाप करने में सक्षम बनाने के लिए एक
महत्वपूर्ण मंच प्रदान करता है। 18वें प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन का आयोजन ओडिशा राज्य
सरकार के साथ साझेदारी में 8 से 10 जनवरी 2025 तक भुवनेश्वर में किया जा रहा है। इस प्रवासी भारतीय दिवस
सम्मेलन का विषय "विकसित भारत में प्रवासी भारतीयों का योगदान" है। 50 से अधिक विभिन्न
देशों से बड़ी संख्या में प्रवासी भारतीयों ने पीबीडी सम्मेलन में भाग लेने के लिए
पंजीकरण कराया है।
प्रधानमंत्री ने प्रवासी
भारतीय एक्सप्रेस की पहली यात्रा को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। यह भारतीय
प्रवासियों के लिए एक विशेष पर्यटक ट्रेन है, जो दिल्ली के निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन से रवाना होगी और
तीन सप्ताह की अवधि के लिए भारत में पर्यटन और धार्मिक महत्व के कई स्थलों की
यात्रा कराएगी। प्रवासी भारतीय एक्सप्रेस का संचालन प्रवासी तीर्थ दर्शन योजना के
अंतर्गत किया जाएगा।