डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के बारे में मुख्य तथ्य DRDO में योगदान है? | DR APJ Kalam - Daily Hindi Paper | Online GK in Hindi | Civil Services Notes in Hindi

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गुरुवार, 9 जनवरी 2025

डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के बारे में मुख्य तथ्य DRDO में योगदान है? | DR APJ Kalam

 डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के बारे में मुख्य तथ्य

डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के बारे में मुख्य तथ्य DRDO में योगदान है? | DR APJ Kalam


जन्म: 

  • डॉ. अवुल पाकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को रामेश्वरमतमिलनाडु में हुआ।

राष्ट्रपति: 

  • वर्ष 2002 से 2007 तक इन्होंने भारत के 11वें राष्ट्रपति के रूप में पदभार ग्रहण किया।

पुरस्कार: 

  • पद्म भूषण (1981), पद्म विभूषण (1990) और भारत रत्न (1997)

साहित्यिक कृतियाँ: 

  • विंग्स ऑफ फायरइंडिया 2020 - ए विज़न फॉर द न्यू मिलेनियममाई जर्नीइग्नाइटेड माइंड्स।

योगदान:

  • इसरो: वह भारत के पहले स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान (SLV-III) के परियोजना निदेशक थे।
  • रोहिणी उपग्रह को पृथ्वी की निम्न कक्षा में सफलतापूर्वक प्रक्षेपित (जुलाई 1980) करने में भूमिका निभाई।
  • इसरो के प्रक्षेपण यान कार्यक्रम को विकसित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाईविशेष रूप से PSLV (ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान) के संदर्भ में।
  • इसरो में अग्रणी भूमिका निभाने के साथ फाइबरग्लास प्रौद्योगिकी के विकास में अग्रणी भूमिका निभाई।
  • पोखरण-II: परमाणु ऊर्जा विभाग के सहयोग से भारत के परमाणु परीक्षणों का नेतृत्व कियाजिससे भारत एक परमाणु हथियार संपन्न राष्ट्र बना।
  • पोखरण-II: डॉ. कलाम ने वर्ष 1998 में पोखरण-II परमाणु परीक्षण का नेतृत्व कियाजिसमें परमाणु ऊर्जा विभाग का सहयोग प्राप्त था।
  • विज़न 2020: भारत को वर्ष 2020 तक विकासशील से विकसित राष्ट्र में बदलने के लिये एक राष्ट्रीय योजना प्रस्तावित की।
  • कलाम-राजू स्टेंट: हृदय रोग विशेषज्ञ बी. सोमा राजू के साथ मिलकर इन्होंने कोरोनरी हृदय रोग के लिये एक किफायती स्टेंट विकसित करने में भूमिका निभाई।

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का DRDO में क्या योगदान है?

  • IGMDP में नेतृत्व: डॉ. कलाम ने वर्ष 1983 में शुरू किए गए एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम (IGMDP) के निर्माण एवं कार्यान्वयन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
  • उनके नेतृत्व में पृथ्वी, त्रिशूल, आकाश, नाग एवं अग्नि मिसाइलों का सफल विकास हुआ, जिससे भारत मिसाइल निर्माता देशों के विशिष्ट समूह का सदस्य बन गया तथा उन्हें 'भारत के मिसाइल मैन' की उपाधि मिली।
  • डॉ. कलाम के नेतृत्व में, DRDO ने प्रणोदन, नेविगेशन, नियंत्रण प्रणाली तथा वायुगतिकी जैसी मिसाइल प्रौद्योगिकियों में सफलता हासिल की, जिससे स्वदेशी मिसाइल प्रणालियाँ विकसित हुईं एवं विदेशी आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भरता कम हुई।
  • एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम: IGMDP, वर्ष 1982-1983 में डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के नेतृत्व में भारतीय रक्षा मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया एक कार्यक्रम था, जिसका उद्देश्य मिसाइलों की एक विस्तृत शृंखला पर अनुसंधान और विकास करना था।
  • इस कार्यक्रम का प्राथमिक उद्देश्य आयात पर निर्भरता को कम करना तथा प्रणोदन, नौवहन एवं नियंत्रण प्रणालियों जैसे क्षेत्रों में स्वदेशी विशेषज्ञता को बढ़ावा देना था।
  • इस कार्यक्रम के परिणामस्वरूप पृथ्वी, त्रिशूल, आकाश, नाग एवं अग्नि जैसी प्रमुख मिसाइल प्रणालियों का विकास हुआ।
  • IGMDP के तहत कई प्रमुख तकनीकी लाभ मिलने के साथ भारत की रणनीतिक प्रतिरोधक क्षमता में मज़बूती आई। इसके साथ 'मेक इन इंडिया' पहल के समन्वय से रक्षा-औद्योगिक आधार के विकास में योगदान मिला।