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शराब माफिया पर सख्ती करने के मूड में दिखाई दे रहे एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट ने मनी लॉन्ड्रिंग के तहत केस दर्ज कर लिया। इस संबंध में पांच जिलों पटियाला, लुधियाना, तरनतारन, मोहाली, अमृतसर के दो पुलिस जिलों खन्ना और बटाला के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों को एक औपचारिक पत्र भी भेजा है। ईडी ने संबंधित एसएसपी से अगले 7 दिन में जिले में चल रही नकली शराब फैक्ट्रियों, स्पिरिट की सप्लाई और जहरीली शराब के साथ हुई मौतों के संबंध में रिपोर्ट मांगी है। हालांकि ईडी के उच्च पदस्थ अधिकारी इस बारे कुछ भी बताने से अभी इन्कार कर रहे हैं।
विभागीय सूत्रों के मुताबिक ईडी के एक बड़े अधिकारी का दावा है कि पंजाब सरकार के एक्साइज विभाग और पंजाब पुलिस द्वारा अब तक रिकॉर्ड सांझा न करने के चलते यह केस दर्ज करना पड़ा। बताया जाता है कि पंजाब पुलिस ने 2018, 2019, 2020 में राज्य के अलग-अलग हिस्सों में जितनी भी नकली शराब की फैक्ट्रियों को पकड़ने के बाद केस दर्ज किए गए हैं, अब ईडी ने उन सभी केसों को मर्ज करके मनी लॉन्ड्रिंग के सेक्शन-3 के तहत केस दर्ज किया है।
बहरहाल, इन 3 साल के अंतराल में पूरे पंजाब में नकली शराब की फैक्ट्रियां बनाने संबंधी कुल 13 एफआईआर रजिस्टर हुई हैं। हालांकि पुलिस द्वारा इनकी जांच लटकाने की वजह से राज्य में बीते दिनों नकली और जहरीली शराब पीने से 130 लोगों को मौत हो गई थी। इसको लेकर ईडी ने कार्रवाई शुरू कर दी है। एफआईआर दर्ज करने के बाद पांच जिलों पटियाला, लुधियाना, तरनतारन, मोहाली, अमृतसर के दो पुलिस जिलों खन्ना और बटाला के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों को एक औपचारिक पत्र भी भेजा है।
हालांकि ईडी के अधिकारियों की मानें तो पहले तो पुलिस ने कोई जानकारी सांझा नहीं की, लेकिन 14 मई 2020 को जिला पटियाला के घंडियां गांव में नकली शराब की फैक्ट्री पकड़े जाने के बाद ईडी इस संबंध में सक्रिय हो गई थी। ईडी के डिप्टी डायरेक्टर निरंजन सिंह खुद पटियाला गए थे, वहीं 9 जून को ईडी ने संबंधित जिलों के एसएसपी को ईमेल भेजकर नकली शराब फैक्ट्रियों, स्पिरिट की सप्लाई एवं जहरीली शराब के साथ हुई मौतों के संबंध में रिकॉर्ड मांगा था। ईडी के एक अधिकारी ने बताया कि अब इस केस में जितनी भी नकली फैक्ट्रियां पकड़ी गई हैं, उन्हें किन-किन व्यापारियों ने कैमिकल सप्लाई किया, उसकी भी जांच होगी।
बड़ा सवाल-पकड़ी गई फैक्ट्रियां सील क्यों नहीं की गई?
पुलिस ने जिन-जिन जिलों में नकली शराब की फैक्ट्री पकड़ी, वहां से बाद में ये फैक्ट्रियां खुर्द-बुर्द कर दी गई। यह सब पुलिस की ढील की वजह से संभव हुआ है, जबकि पुलिस को चाहिए था कि इन फैक्ट्रियों को सील करवाती। अब ईडी की तरफ से यह कार्रवाई सामने आने के बाद सवाल खड़ा होता है कि पुलिस ने उन फैक्ट्रियों को सील क्यों नहीं किया और जांच को लटकाया क्यों? ई.डी. अब इस एंगल पर भी जांच करने के लिए कई बड़े पुलिस अधिकारियों को भी सम्मन कर सकती है।
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