प्रमुख बंदरगाह अब केवल भारत में निर्मित कर्षण नावों का उपयोग करेंगे - Daily Hindi Paper | Online GK in Hindi | Civil Services Notes in Hindi

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शनिवार, 5 सितंबर 2020

प्रमुख बंदरगाह अब केवल भारत में निर्मित कर्षण नावों का उपयोग करेंगे



जहाजरानी मंत्रालय ने सभी प्रमुख बंदरगाहों को उन्हीं कर्षण नावों (बड़े जहाजों को खींचने वाली मजबूत नाव) को खरीदने या किराये पर लेने का निर्देश दिया है जो केवल भारत में बनाई गई हैं। प्रमुख बंदरगाहों द्वारा की जा रही सभी खरीद अब संशोधित मेक इन इंडियाआदेश के अनुसार किए जाने की आवश्यकता होगी।

 

जहाजरानी मंत्रालय भारतीय जहाज निर्माण उद्योग को बढ़ावा देने का लक्ष्य लेकर चल रहा है और मेक इन इंडिया जहाज निर्माण के लिए कुछ अग्रणी देशों के साथ चर्चा भी कर रहा है। इस बीच, सरकार का यह निर्णय जहाज निर्माण में मेक इन इंडिया को साकार करने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगा।

 

केंद्रीय जहाजरानी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री मनसुख मांडविया ने कहा कि सरकार पुराने शिपयार्ड को पुनर्जीवित करने और भारत में जहाज निर्माण को बढ़ावा देने के लिए पूरी कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि यह भारतीय जहाज निर्माण के पुनरुद्धार और आत्म-निर्भर भारत में आत्म-निर्भर पोत परिवहन को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा कदम है। सरकार भारत में जहाज निर्माण, जहाज की मरम्मत, जहाज पुनर्चक्रण (रिसाइक्लिंग) और झंडी से सूचित करने के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र बनाने की कोशिश करेगी। आने वाले समय में आत्म-निर्भर पोत परिवहन एक प्रणाली बनने जा रहा है।

भारत में जहाज निर्माण को बढ़ावा देने के लिए बंदरगाहों को छोटे नावों की खरीद / किराये पर लेने में अब संशोधित मेक इन इंडिया आदेश के अनुसार आगे बढ़ने की आवश्यकता होगी। भारतीय बंदरगाह संघ के प्रबपंध निदेशक के अधीन एक स्थायी विनिर्देश समिति का गठन करने का प्रस्ताव है जिसमें कोचीन शिप यार्ड लिमिटेड (सीएसएल), भारतीय पोत परिवहन निगम, (एससीआई), भारतीय पोत परिवहन पंजीयन (आईआरएस) के प्रतिनिधि और शिपिंग महानिदेशक शामिल होंगे।

 

स्थायी विनिर्देश समिति लगभग पांच रूपों / प्रकार के छोटे नावों की संक्षिप्त सूची बनाएगी और एक स्वीकृत मानकीकृत डिजाइन और विनिर्देश (एएसटीडीएस) तैयार करेगी। यह एएसटीडीएस विनिर्देश, सामान्य व्यवस्था, बुनियादी गणना, बुनियादी संरचनात्मक चित्र, प्रमुख प्रणाली के चित्र और अन्य निर्माण मानकों आदि की रूपरेखा तैयार करेगा। इन मानकों को स्थायी विनिर्देश समिति अच्छी तरह जांच परख करेगी और इसके बाद आईआरएस इसे सैद्धांतिक तौर पर प्रमाणित करेगी और तब भारतीय बंदरगाह संघ इसे अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करेगा।

 

जहाजरानी मंत्रालय प्रमुख बंदरगाहों को कुछ विंडो भी प्रदान करेगा ताकि निर्माण समय का लाभ उठाया जा सके।

 

हाल ही में सरकार के स्वामित्व वाली कोचीन शिप यार्ड लिमिटेड नार्वे सरकार से दो स्वचालित जहाजों के लिए ऑर्डर हासिल करने में सफल रही है। यह अपनी तरह के मानव रहित जहाजों में से पहला होगा। जहाजरानी मंत्रालय द्वारा लिए गए विभिन्न फैसले निकट भविष्य में जहाज निर्माण क्षेत्र को पूरी तरह से बदल देंगे।