सर्दी का मौसम है आने वाले रखे इन बातों का ध्यान |छींक आने के कारण एवं घरेलू उपचार - Daily Hindi Paper | Online GK in Hindi | Civil Services Notes in Hindi

Breaking

सोमवार, 12 अक्टूबर 2020

सर्दी का मौसम है आने वाले रखे इन बातों का ध्यान |छींक आने के कारण एवं घरेलू उपचार

 

 

छींक आने के कारण एवं घरेलू उपचार

छींक आना क्या है 

 

नाक व मुंह से अचानक और तेजी से निकलने वाली हवा जिसको नियंत्रित ना किया जा सके, उसे छींक कहते हैं। सीधे शब्दों में छींक शरीर की एक ऐसी प्रक्रिया होती है, जिसके द्वारा नाक के वायुमार्गों से गंदगी को बाहर निकाला जाता है ताकि आप साफ हवा में सांस ले सकें।

 

छींक आने के क्या लक्षण होते हैं?

 

  • छींक आने से पहले अक्सर आप एक लंबी सांस लेते हैं और फिर उसको अंदर ही रखते हैं, जिसके कारण आपकी छाती की मांसपेशियों में खिंचाव आ जाता है और आपके फेफड़ों में हवा का दबाव बढ़ जाता है। उसके बाद आपकी आंखें बंद हो जाती है और आपकी जीभ मुंह के ऊपरी हिस्से से जोर से चिपक जाती है। उस दौरान तेज दबाव के साथ हवा आती है और आपकी नाक से होते हुए तेजी से बाहर निकल जाती है। 
  • कई बार छींक के साथ घरघराहट के लक्षण भी देखे जा सकते हैं, ये लक्षण अक्सर छींक का कारण बनने वाली स्थिति पर ही निर्भर करते हैं। इसके अलावा छींक निम्न लक्षणों के साथ भी जुड़ी हो सकती है, जैसे:

     मतली और उल्टी होना

    खांसी होना

    आंखें लाल होना

    आंखों से पानी आना

    आंखों में सूजन आना

    हल्का-हल्का सिरदर्द होना

    गले में दर्द होना

    आंखों में खुजली होना

    नाक बहना

    मुंह के ऊपरी हिस्से, नाक या गले में खुजली महसूस होना

    थकान

    
छींक आने के कारण व जोखिम 

 

नाक व गले की श्लेष्मा झिल्ली (Mucous membranes)में किसी प्रकार की खुजली व जलन आदि के कारण छींक आ सकती है। बार-बार छींक आना काफी परेशान कर देने वाली स्थिति हो सकती है, लेकिन बहुत ही कम मामलों में इसके कारण कोई गंभीर समस्या विकसित होती है।

 

छींक निम्न के कारण 

 

  •     नाक का मांस बढ़ना
  •     नाक में चोट लगना (और पढ़ें - नाक से खून आने का इलाज)
  •     ठंडी हवा में सांस लेना
  •     कुछ प्रकार के कोर्टिकोस्टेरॉयड नाक के अंदर चले जाना (नाक के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले कुछ प्रकार के स्प्रे में कोर्टिकोस्टेरॉयड पाया जाता है)
  •     सर्दी-जुकाम व फ्लू के वायरस
  •     किसी प्रकार की दवा छोड़ने के कारण
  •     पराग से एलर्जी (परागज ज्वर)
  •     साइनसाइटिस

 

ऐसी कई चीजें हैं, जिनसे छींक आने लगती है:

 

  •     सिगरेट का धुआं
  •     मसालेदार खाना
  •     घर के अंदर ठीक से हवा का बहाव ना होना
  •     कोई गंभीर भावना महसूस होना
  •     कुछ प्रकार की दवाएं
  •     मसाले व मिर्च आदि (और पढ़ें - हरी मिर्च के फायदे)
  •     अधिक तेज रोशनी
  •     धूल
  •     वायु प्रदूषण
  •     शुष्क (सूखी) हवा
  •     कुछ प्रकार के स्प्रे व पाउडर आदि

जुकाम साल के किसी भी समय में हो जाता है, लेकिन पतझड़ और ठंड के मौसम में इसके होने की संभावना अधिक होती है।

 

छींक की रोकथाम कैसे करें

 

छींक आना आपके स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है। छींक आना आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है और आपके शरीर को वायरस व बैक्टीरिया से बचाता है। इसलिए अगली बार जब आपको छींक आने जैसा महसूस हो तो आप उसको रोकें नहीं आने दें। क्योंकि छींक आना आपको स्वस्थ रखने का एक तरीका होता है। 

 

अधिक छींक आना कुछ प्रकार की समस्याओं का संकेत दे सकता है। इन मामलों में छींक आना परेशान कर देने वाली समस्या बन जाती है। बार-बार छींक आने की स्थिति की रोकथाम करने के लिए आप कुछ तरीके अपना सकते हैं:

 

धूल से छुटकारा पाने के लिए अपने घर में पोछा आदि लगाएं और वैक्यूम क्लीनर आदि का इस्तेमाल करें।

अपने हाथों को अच्छे से और नियमित रूप से धोते रहें। साबुन व पानी से हाथ धोना रोगाणुओं से बचने का अच्छा तरीका होता है।

पर्याप्त मात्रा में ऐसे खाद्य पदार्थों को खाएं, जिनमें अच्छे बैक्टीरिया पाए जाते हैं, जैसे दही खाना या नियमित रूप से प्रोबायोटिक सप्लीमेंट्स लेना।

धूल के कीड़ों व अन्य सूक्ष्म जीवों को मारने के लिए अपनी बेड की चादर व अन्य कपड़ों को समय-समय पर धोते  रहें।

ऐसे पदार्थों से बचें जिनसे आपको छींक आती है।

 उत्तेजक पदार्थों के संपर्क में आने से बचने के लिए अपने घर में थोड़ा बहुत बदलाव करें।

अपने घर के खिड़कियों व दरवाजों को खुला रखें या घर पर हवा को फिल्टर करने वाली मशीन लगा लें, ताकि आपके घर की हवा ताजी व साफ रहे।

 

घरेलू उपचार -

    

विटामिन सी:

  • कुछ खट्टे फलों व कुछ प्रकार की सब्जियों में विटामिन सी पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है इसके अलावा विटामिन सी सप्लीमेंट्स के रूप में भी उपलब्ध है। आहार में विटामिन सी की मात्रा को बढ़ाकर समय के साथ-साथ छींक आने में कमी की जा सकती है। 

    

आंवला:

  • यह एंटीऑक्सिडेंट्स का काफी अच्छा स्रोत होता है और इसमें काफी मात्रा में एंटीबैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं, जो प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने में मदद करते हैं। ताजे आंवला को सीधे भी खाया जा सकता है या इसका जूस भी पिया जा सकता है। दिन में दो या तीन बार आंवला लेने से बार-बार छींक आने में सुधार किया जा सकता है।

    

काली इलायची: 

  • भारत में इसका उपयोग विभिन्न प्रकार के भोजन व मसालों में किया जाता है। काली इलायची खाने के कई फायदे होते हैं। छींक से राहत पाने के लिए काली इलायची को एक दिन में दो या तीन बार चबाना चाहिए।

    

अदरक:

  • अदरक में एंटी-सेप्टिक गुण पाए जाते हैं, इसलिए यह डिकॉन्जेस्टेंट की तरह काम करता है और सर्दी जुकाम का इलाज करने में मदद करता है।

    सौंफ के बीज:

  • सौंफ के बीज में एंटीबायोटिक, एंटीसेप्टिक और एंटीहिस्टामिन गुण होते हैं। छींक आने को रोकने के लिए एक मुट्ठी भुनी हुई सौंफ को अदरक के साथ लिया जा सकता है। 

 भाप लेना:

  •  नाक के श्वसन मार्गों में खुजली, जलन व किसी प्रकार के तकलीफ को शांत करने के लिए भाप लिया जा सकता है। इस प्रक्रिया को हर कोई अपने घर पर कर सकता है, इसमें किसी विशेष सामान्य या महंगे उपकरण की आवश्यकता नहीं पड़ती। इसे छींक की रोकथाम करने के लिए सबसे सस्ते उपायों में से एक माना जाता है। 

    

 पुदीने का तेल:

  •   पुदीने के तेल को छींक की रोकथाम करने के सबसे प्रभावी घरेलू उपाय में से एक माना जाता है। पुदीने के तेल को गर्म पानी में मिला कर भाप ली जा सकती है।