क्रिसमस डे कब मनाया जाता है
25 दिसम्बर को
क्रिसमस पर 10 लाइन
- यीशु या यीशु मसीह (इब्रानी :येशुआ; अन्य नाम:ईसा मसीह, जीसस क्राइस्ट), जिन्हें नासरत का यीशु भी कहा जाता है, ईसाई धर्म के प्रवर्तक हैं। ईसाई लोग उन्हें परमपिता परमेश्वर का पुत्र और ईसाई त्रिएक परमेश्वर का तृतीय सदस्य मानते हैं।
- ईसा मसीह उनके पिता का नाम जोसफ था और माता का नाम मरियम था. आज से 1992 वर्ष पूर्व 25 दिसम्बर को ईसा मसीह का जन्म यरुशलम के बेतलहम नामक गाँव में हुआ था
- 25 दिसंबर को ईसाई धर्म के संस्थापक ईसा मसीह का जन्म हुआ था।
- क्रिसमस शब्द का जन्म क्राईस्टेस माइसे अथवा 'क्राइस्टस् मास' शब्द से हुआ है।
- ऐसा अनुमान है कि पहला क्रिसमस रोम में 336 ईस्वी में मनाया गया था। यह प्रभु के पुत्र जीजस क्राइस्ट के जन्मदिन को याद करने के लिए पूरे विश्व में 25 दिसम्बर को मनाया जाता है
- फलस्तीनी शहर बेथलहम को ईसा मसीह (जीसस क्राइस्ट) के जन्म स्थान और ईसाइयों की सबसे पवित्र जगहों में से एक माना जाता है।
- गुड फ्राइडे ईसाई धर्म के लोग बीच मनाया जाने वाला ऐसा त्योहार है, जिसे शोक दिवस के रूप में मनाते हैं. इस दिन ईसा मसीह को तमाम शारीरक यातनाएं देने के बाद सूली पर चढ़ाया गया था. गुड फ्राइडे को होली फ्राइडे, ब्लैक फ्राइडे या ग्रेट फ्राइडे भी कहते हैं.
- क्रिसमस डे के दिन ईश्वर की संतान जीसस क्राइस्ट (जिसे ईसा मसीह भी कहा जाता है।) का जन्मदिवस है।
- ईसा के जन्मदिन 25 दिसंबर होने की बात को लोकप्रिय बनाने वाले व्यक्ति थे पोप सेक्स्तुस जूलियस अफ्रिकानुस। इन्होंने 221 ई. में ईसाई क्रोनोग्राफी में इस तिथि का जिक्र किया था।
क्रिसमस क्यों मनाया जाता है ?
Christmas kyon manaya jata hai
क्रिसमस डे के दिन ईश्वर की संतान जीसस क्राइस्ट (जिसे ईसा मसीह भी कहा जाता है।) का जन्मदिवस है।
बाइबल के अनुसार, जीसस ईश्वर की संतान है, जिसने पृथ्वी पर प्यार और सद्भावना का संदेश दिया था। शांति के मसीहा ईसा के जन्म की तारीख को लेकर वैसे तो कोई माणिक स्रोत नहीं है यहां तक कि बाइबल में भी उनके बर्थ डेट का जिक्र नहीं किया गया है।
इतिहास पर नजर डालें तो कुछ जगह उल्लेख मिलता है कि 7 से 2 ई. पूर्व के बीच जीसस क्राइस्ट का जन्म हुआ था। आज भी इनके जन्मतिथि से संबंधित आज भी कई सवाल मौजूद हैं। लेकिन परंपरागत रूप से रोमन के पहले ईसाई सम्राट कॉन्सटेंटाइन के समय इस तिथि को मान्यता मिली।
ईसा के जन्म के संबंध में तथ्य
ईसा के जन्मदिन 25 दिसंबर होने की बात को लोकप्रिय बनाने वाले व्यक्ति थे पोप सेक्स्तुस जूलियस अफ्रिकानुस।
इन्होंने 221 ई. में ईसाई क्रोनोग्राफी में इस तिथि का जिक्र किया था। इससे
पहले क्रिसमस मनाने की कोई निश्चित तिथि
नहीं थी। उसी समय से 25 दिसंबर को जीसस क्राइस्ट का जन्मदिवस
मनाया जाने लगा, जो क्रिसमस डे के नाम से प्रसिद्ध है।
जीसस क्राइस्ट का जन्मदिवस को लेकर कथा
ईसा के जन्म की कहानी
ईसाई धर्म में जीसस क्राइस्ट का जन्मदिवस को लेकर एक रोचक कथा प्रचलित है। कथा के मुताबिक ईश्वर ने अपने दूत जिब्राईल/गैब्रिएल को मरियम नाम की महिला के पास भेजा ताकि उनके गर्भ से जीसस का जन्म हो सके।
गैब्रिएल ने मरियम को बताया
कि जन्म लेने वाले बच्चे का नाम जीसस क्राइस्ट होगा और वह ऐसा राजा बनेगा जिसके साम्राज्य की कोई सीमा
नहीं होगी।
ऐसी कहानी है कि जब-जब देवदूतों का जन्म होता
है तो गैब्रिएल पहले आकर इसकी सूचना
दे जाते हैं। जिस समय मरियम की जीसस के जन्म की जानकारी मिली थी, उस समय वह अविवाहित थीं। कुछ समय बाद
मरियम की शादी जोसफ नाम के युवक से हुई थी। मरियम और जोसेफ नाजरथ नामक जगह पर रहते थे, जो इजराइल के एक शहर का नाम है।
उस वक्त इस शहर पर रोमन का साम्राज्य था। जब
मरियम गर्भवती थीं तो उस समय जनगणना
का कार्यक्रम चल रहा था, इस वजह से नाजरथ में कोई भी जगह खाली
नहीं थी। इस वजह से जीसस क्राइस्ट का जन्म
अस्तबल में हुआ था। अस्तबल से दूर चरवाहे
भेड़ चरा रहे थे। कहा जाता है कि देवदूतों ने चरवाहों से कहा था कि ईश्वर की संतान ने अभी जन्म लिया है, वह एक मुक्तिदाता है।
देवदूतों की बात सुनकर चरवाहे और शहर के
लोग बच्चे को देखने गए। जब उन्होंने बच्चे को देखा तो चकाचौंध हो
गए, क्योंकि
बच्चे में सूर्य के समान तेज था। धीरे-धीरे वहां भीड़ बढ़ती गई।
लोगों का मानना था कि ईश्वर ने मानव कल्याण के लिए अपने पुत्र के
पृथ्वी पर आया है।
ईसाइयों महत्वपूर्ण त्योहार क्रिसमस
क्रिसमस डे पर निबंध
ईसाइयों का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार
क्रिसमस विश्व भर में 25 दिसम्बर
को खूब
हर्षोल्लास से मनाया जाता है। क्रिसमस की पूर्व संध्या यानि 24 दिसंबर से
ही क्रिसमस से जुड़े कार्यक्रम शुरू हो जाते हैं। यूरोपीय और पश्चिमी देशों
में इस दौरान खूब रंगारंग कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। भारत में गोवा
राज्य में क्रिसमस की काफी धूम रहती है इसके अलावा विभिन्न शहरों की बड़ी
चर्चों में भी इस दिन सभी धर्मों के लोग एकत्रित होकर प्रभु यीशु का ध्यान
करते हैं। क्रिसमस की पूर्व संध्या पर लोग प्रभु की प्रशंसा में कैरोल
गाते हैं और क्रिसमस के दिन प्यार व भाईचारे का संदेश देने एक दूसरे के
घर जाते हैं।
क्रिसमस डे कैसे मनाया जाता है
क्रिसमस अब सिर्फ एक धार्मिक पर्व नहीं रहा
बल्कि इसने सामाजिक पर्व का रूप धारण कर लिया है तभी तो अब सभी समुदायों के लोग
बढ़−चढ़कर इसे मनाते हैं और आपस में खुशियां बांटते हैं। क्रिसमस हंसी−खुशी का
त्यौहार है इस दिन विश्व भर के गिरजाघरों में प्रभु यीशु की जन्मगाथा की झांकियां
प्रस्तुत की जाती हैं और गिरजाघरों में प्रार्थना की जाती है। क्रिसमस को सभी ईसाई
लोग मनाते हैं और आजकल कई गैर ईसाई लोग भी इसे एक धर्मनिरपेक्ष, सांस्कृतिक उत्सव के रूप में मनाते
हैं। बाजारवाद ने भी इस पर्व के प्रचार में बड़ी भूमिका निभाई है। क्रिसमस के
दौरान उपहारों का आदान−प्रदान, सजावट
का सामान और छुट्टी के दौरान मौजमस्ती के कारण यह एक बड़ी आर्थिक गतिविधि भी बन
गया है।
क्रिसमस ट्री और क्रिसमस डे
क्रिसमस ट्री क्रिसमस डे पर क्यों लगाते हैं
इस पर्व के दौरान सभी लोग अपने घरों में क्रिसमस ट्री लगाते हैं जिसे अच्छे अच्छे उपहारों से सजाया जाता है। इसकी सुंदरता देखते ही बनती है। क्रिसमस से 12 दिन के उत्सव क्रिसमसटाइड की भी शुरुआत होती है। इस पर्व पर बच्चों के बीच सांता क्लाज की बहुत धूम रहती है। सांता क्लाज बच्चों के लिए मनचाहे तोहफे लेकर आते हैं और बच्चों को खुशियों से भर देते हैं। बच्चे खुद भी इस पर्व पर सुंदर रंगीन वस्त्र पहनते हैं और हाथ में चमकीली छड़ियां लिए हुए सामूहिक नृत्य करते हैं। बच्चों के अलावा बड़ों में भी इस पर्व को लेकर उत्साह रहता है। ईसाइयों के अलावा अन्य लोग भी इस दौरान अपने घर में क्रिसमस ट्री लगाते हैं। इसे अच्छे अच्छे उपहारों से सजाया जाता है और इसकी सुंदरता देखते ही बनती है। आजकल बाजार में बने बनाए क्रिसमस ट्री भी मिलते हैं।
उपरोक्त अध्ययन करने के बाद आप आप इन प्रश्नों
के उत्तरों का जवाब देने में समर्थ होंगे-