अब तक शिक्षक भर्ती प्रक्रिया शुरु नही हो पाई है, जिसके
चलते शिक्षकों में आक्रोश पनपने लगा है, और वे अपनी मांगों को लेकर राज्य शिक्षा केंद्र में धरने पर बैठ गए
है।
दरअसल, मध्यप्रदेश के सरकारी स्कूल लंबे समय से शिक्षकों की कमी से जूझ
रहे है। इसी को देखते हुए करीब 8 सालों बाद 2018 में तत्कालीन शिवराज सरकार ने मप्र शिक्षक पात्रता परीक्षा 2018 का आयोजन किया था, इसके बाद कांग्रेस की सरकार आ गई और
उन्होंने सितंबर 2019 में रिजल्ट घोषित कर दिया।इसके तहत प्रदेश में करीब 40 हजार
शिक्षकों की नियुक्ति होनी थी, लेकिन
स्कूल शिक्षा विभाग ने 20500 ही पद स्वीकृत किए थे।
इसको लेकर 1 जनवरी 2020 से स्कूल शिक्षा विभाग ने
भर्ती प्रक्रिया भी शुरू की, जिसमें
उच्च माध्यमिक शिक्षक के 15 हजार और माध्यमिक के 5670 पदों पर भर्ती होना थी, इसके लिए 1जुलाई 2020 से प्रावधिक चयन
सूची एवं प्रतीक्षा सूची के अभ्यार्थियों के दस्तावेजों का सत्यापन भी शुरु हुआ जो
3 जुलाई 2020 तक जारी था,
लेकिन कोरोना के
चलते शासन ने इसे रोक दिया जो अबतक शुरु नही हो पाई है, और पीईबी ने अब नई भर्तियां निकाल दी
है, जिसके चलते शिक्षकों में आक्रोश पनप
रहा है और उन्होंने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। आज मंगलवार को प्रदेश के
सभी शिक्षक अपनी मांगों को लेकर राज्य शिक्षा केंद्र पर बैठ गए है।
कमलनाथ भी लिख चुके है पत्र
बीते दिनों पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शिवराज सरकार पर शिक्षक भर्ती रोकने का आरोप लगाया था और भर्ती प्रक्रिया जल्द से
जल्द शुरू कराने की मांग करते हुए सीएम शिवराजसिंह चौहान को एक पत्र भी लिखा था। इस पत्र में
नाथ ने लिखा था कि इन पदों पर भर्ती प्रक्रियाएं कांग्रेस सरकार ने पूरी कर ली थीं, सिर्फ अंतिम चरण की दस्तावेज सत्यापन
कार्य बचा था। जो की भाजपा सरकार आने के बाद से रुकी हुई है।इसके बाद कोरोना और
लॉकडाउन के चलते इस प्रक्रिया को रोक दिया गया
था। लेकिन अब अनलॉक हुए काफी समय बीत चुका है। इसलिए अब
दोबारा प्रक्रिया को शुरू किया जाना चाहिए, क्योकि इसे चयनित अभ्यर्थियों को परेशानी हो रही है और शिक्षा
व्यवस्था पर भी गलत असर पड़ रहा है।
नए साल में हो सकती है भर्ती
खास बात ये है कि बीते दिनों स्कूल शिक्षा
विभाग के साथ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बैठक हुई थी, जिसमें
स्कूलों को मार्च तक बंद करने और 5वीं-8वीं की बोर्ड परीक्षा ना कराने को लेकर तो
फैसला हुआ लेकिन नियुक्ति को लेकर कोई चर्चा नही हुई। इसके बाद सोमवार को भी स्कूल
शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक की और 10वीं और
12वीं की 18 दिसंबर से नियमित कक्षाएं खोलने को लेकर फैसला लिया , लेकिन शिक्षक भर्ती को लेकर कोई सहमति
नही बनी, जिसके चलते अभ्यर्थियों में आक्रोश
पनपने लगा है। अधिकारियों का कहना है कि अभी कोई विभाग से आदेश नही मिले है, ऐसे में माना जा रहा है कि मप्र के
स्कूलों को इस शैक्षणिक सत्र में भी नियमित शिक्षक नहीं मिल पाएंगे और शिक्षक बनने
का सपना देख रहे अभ्यर्थियों को कुछ समय और इंतजार करना पड़ेगा।
प्रदेश में शिक्षक भर्ती की प्रक्रिया
- 10 सितंबर 2018 को विज्ञापन जारी हुआ
- 1 से 11 फरवरी तक चली उच्च माध्यमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा
- 16 फरवरी से 10 मार्च तक माध्यमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा
- 28 अगस्त को उच्च माध्यमिक शिक्षक रिजल्ट आया
- 26 अक्टूबर को माध्यमिक शिक्षक का रिजल्ट आया
- 1 जुलाई से उच्च माध्यमिक शिक्षक भर्ती के लिए सत्यापन प्रक्रिया शुरू हुई।
- 4 जुलाई को लोक शिक्षक संचालनालय ने परिवहन की समस्या बताकर इस प्रक्रिया को तीन दिन बाद ही रोक दिया गया, जो अबतक रुकी हुई है।