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मंगलवार, 16 फ़रवरी 2021

16 Feb 2021 Current Affairs in Hindi

 16 Feb 2021 Current Affairs

16 Feb 2021 Current Affairs in Hindi


थार मरुस्थल

  • पाकिस्तानी सेना थार मरुस्थल में एक महीने का सैन्याभ्यास जिदर-उल-हदीद’ (Jidar-ul-Hadeed) का आयोजन कर रही है। इसका उद्देश्य दुर्गम मरुस्थलीय वातावरण में संघर्ष के लिये तैयार होना है। 
  • पाकिस्तान द्वारा आयोजित एक बहुराष्ट्रीय नौसेना अभ्यास अमन -2021’ भी अरब सागर में प्रारंभ हो गया है। इस अभ्यास में अमेरिका, रूस, चीन और तुर्की सहित 45 देश हिस्सा लेंगे।
  • थार नाम थुलसे लिया गया है जो कि इस क्षेत्र में रेत की लकीरों के लिये प्रयुक्त  होने वाला एक सामान्य शब्द है।
  • यह उत्तर-पश्चिमी भारत के राजस्थान राज्य में और पूर्वी पाकिस्तान के पंजाब और सिंध प्रांत में विस्तृत है।
  • थार रेगिस्तान एक शुष्क क्षेत्र है जो 2,00,000 वर्ग किमी. में फैला हुआ है। यह भारत और पाकिस्तान की सीमा के साथ एक प्राकृतिक सीमा बनाता है।
  • इसकी सतह पर वातोढ़ (पवन द्वारा एकत्रित) रेत पाई जाती है जो पिछले 1.8 मिलियन वर्षों में जमा हुई है।
  • मरुस्थल में तरंगित सतह होती है, जिसमें रेतीले मैदानों और बंजर पहाड़ियों या बालू के मैदानों द्वारा अलग किये गए उच्च और निम्न रेत के टीले (जिन्हें टिब्बा कहते हैं) होते हैं, जो आसपास के मैदानों में अचानक वृद्धि करते  हैं।
  • टिब्बा गतिशील होते हैं और अलग-अलग आकार एवं आकृति ग्रहण करते हैं।
  • बरचनजिसे बरखानभी कहते हैं, मुख्य रूप से एक दिशा से आने वाली हवा द्वारा निर्मित अर्द्धचंद्राकार आकार के रेत के टीले हैं। सबसे आम प्रकार के बालुका स्तूपों में से एक यह आकृति दुनिया भर के रेगिस्तानों में उपस्थित होती है।

आस-पास का क्षेत्र:

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  • यह पश्चिम में सिंधु नदी के सिंचित मैदान, उत्तर और उत्तर-पूर्व में पंजाब के मैदान, दक्षिण-पूर्व में अरावली पर्वतमाला और दक्षिण में कच्छ के रण से घिरा है।

जलवायु:

 

  • उपोष्ण-कटिबंधीय रेगिस्तान की जलवायु संबंधित अक्षांश पर लगातार उच्च दबाव और अवतलन के परिणामस्वरूप निर्मित होती है।
  • प्रचलित दक्षिण-पश्चिमी मानसूनी हवाएँ जो गर्मियों में उपमहाद्वीप के बहुत से क्षेत्रों में वर्षा के लिये उत्तरदायी हैं, पूर्व की ओर स्थित थार मरुस्थल में वर्षा नही करती हैं।

लवणीय झील:

 

  • कई प्लाया’ (खारे पानी की झीलें), जिन्हें स्थानीय रूप से धंडके रूप में जाना जाता है, पूरे क्षेत्र में विस्तृत हैं।

वनस्पति और जीव:

  •  इस क्षेत्र में कैक्टस, नीम, खेजड़ी, अकेसिया नीलोटिका (Acacia Nilotica) जैसे जड़ी-बूटी के पौधे पाए जाते हैं। ये सभी पौधे खुद को उच्च या निम्न तापमान और कठिन जलवायु परिस्थितियों में समायोजित कर सकते हैं।
  • इस मरुस्थल में तेंदुए, एशियाई जंगली बिल्ली (Felis silvestris Ornata), चाउसिंघा (Tetracerus Quadricornis), चिंकारा (Gazella Bennettii), बंगाली रेगिस्तानी लोमड़ी (Vulpes bengalensis), ब्लैकबक (Antelope) और सरीसृप की कई प्रजातियाँ निवास करती हैं।


राष्‍ट्रीय संस्‍कृति महोत्‍सव

  • देश की सांस्कृतिक विविधता को बढ़ावा देने के लिये संस्‍कृति मंत्रालय द्वारा पश्चिम बंगाल के कूचबिहार ज़िले में तीन दिवसीय राष्ट्रीय संस्‍कृति महोत्‍सव-2021 का आयोजन किया जा रहा है। इस तीन दिवसीय कार्यक्रम में भारत की सांस्कृतिक विरासत, शास्‍त्रीय नृत्‍य, लोक नृत्‍य, गीत तथा स्‍थानीय हस्‍तशिल्‍प को प्रदर्शित किया जाएगा। इस महोत्सव के 10वें संस्करण का आयोजन अक्तूबर 2019 में मध्य प्रदेश में किया गया था, जबकि 11वें संस्करण का आयोजन पश्चिम बंगाल में किया जा रहा है। इस महोत्सव का आयोजन वर्ष 2015 से प्रतिवर्ष संस्‍कृति मंत्रालय द्वारा किया जा रहा है। इस कार्यक्रम के दौरान भारतीय संस्कृति के विभिन्न पहलुओं जैसे- लोक संगीत, नृत्य, हस्तशिल्प एवं पाक-कला के ज़रिये भारत की सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित किया जाता है। राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव के आयोजन के प्राथमिक उद्देश्यों में विभिन्न राज्यों/संघशासित प्रदेशों के लोगों के बीच सद्भाव को बढ़ाना, देश की विभिन्न संस्कृतियों के लोगों के बीच परस्पर समझ और संबंधों को बढ़ावा देना और भारत की एकता एवं अखंडता सुनिश्चित करना शामिल है। राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव का 11वाँ संस्करण इस लिहाज से भी काफी महत्त्वपूर्ण है कि इसका आयोजन ऐसे समय में किया जा रहा है, जब भारत समेत संपूर्ण विश्व कोरोना वायरस महामारी का मुकाबला कर रहा है और जिसने विशेष तौर पर सांस्कृतिक क्षेत्र को काफी प्रभावित किया है।


इसरो का स्वदेशी मैप

  • भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और मैप माई इंडियाने गूगल मैप के स्वदेशी विकल्प को विकसित करने के लिये भागीदारी की है। इस परियोजना के तहत इसरो (ISRO) के उपग्रह चित्रों और मैप माई इंडियाके डिजिटल मैप प्लेटफॉर्म का उपयोग किया जाएगा। मैप माई इंडियावेबसाइट के डेटाबेस को इसरो के हाई-एंड उपग्रह कैटलॉग और पृथ्वी अवलोकन डेटा के साथ जोड़ा जाएगा। उपयोगकर्त्ता इस नए स्वदेशी मैप के माध्यम से मौसम, कृषि उत्पादन, भूमि परिवर्तन आदि को ट्रैक करने में सक्षम होंगे, साथ ही आपदाओं के दौरान भी इसका इस्तेमाल किया जा सकेगा। यह साझेदारी भारत की आत्मनिर्भर भारतपहल के लिये काफी महत्त्वपूर्ण होगी। इस सेवा के तहत इसरो द्वारा विकसित भारत के नाविक पोज़िशनिंग सिस्टमका उपयोग किया जाएगा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (ISRO) की स्थापना वर्ष 1969 में हुई। यह भारत सरकार की अंतरिक्ष एजेंसी है और इसका मुख्यालय बंगलूरू में है। वहीं मैप माई इंडियावर्ष 1992 में स्थापित एक निजी कंपनी है, जो कि भारत की मानचित्र-निर्माण क्षमताओं को बढ़ाने की दिशा में कार्य कर रही है।

 

यूएस-मेक्सिको बॉर्डर पर दीवार निर्माण का आदेश रद्द

  • अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा अमेरिका-मेक्सिको सीमा पर दीवार के निर्माण को लेकर जारी किये गए आपातकालीन आदेश को रद्द कर दिया है। आँकड़ों की मानें तो अब तक इस दीवार के निर्माण में कुल 25 बिलियन डॉलर खर्च किये जा चुके हैं। अमेरिका-मेक्सिको बॉर्डर 2000 मील लंबा है तथा यह सीमा अमेरिका के चार राज्यों कैलिफोर्निया, एरिज़ोना, न्यू मेक्सिको और टेक्सास से लगी है। इस पर उचित तरीके से फेंसिंग नहीं हो पाई है, जिसके कारण कोई भी मेक्सिकन नागरिक अमेरिका में प्रवेश कर सकता है। अमेरिका में होने वाले इस अवैध प्रवासन को रोकने के लिये अमेरिका और मेक्सिको की सीमा पर दीवार बनाना पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के चुनावी अभियान का प्रमुख हिस्सा था। हालाँकि अमेरिकी काॅन्ग्रेस ने राष्ट्रपति की इस परियोजना का विरोध किया था, जिसके पश्चात् डोनाल्ड ट्रंप ने इस दीवार के निर्माण के लिये आपातकालीन शक्तियों का उपयोग करने की घोषणा की थी।


कोविड वाॅरियर मेमोरियल

  • ओडिशा सरकार ने राज्य में कोविड वाॅरियर मेमोरियलस्थापित करने का निर्णय लिया है। यह मेमोरियल ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में स्थित बीजू पटनायक पार्क में स्थापित किया जाएगा। इस मेमोरियल के निर्माण का उद्देश्य उन फ्रंटलाइन स्वास्थ्य कार्यकर्त्ताओं के बलिदान और निस्वार्थ सेवा को पहचान प्रदान करना और उन्हें सम्मानित करना है, जिन्होंने महामारी से लड़ते हुए अपनी जान गँवा दी। जो लोग इस संकट की स्थिति से लड़ते हुए शहीद हुए, उनका नाम इस स्मारक में उनकी स्मृति को जीवित रखने के लिये अंकित किया जाएगा। राज्य के निर्माण विभाग को कोविड वाॅरियर मेमोरियलके लिये नोडल विभाग बनाया गया है। आँकड़ों की मानें तो ओडिशा में अब तक महामारी से मुकाबला करते हुए लगभग 60  फ्रंटलाइन स्वास्थ्य कार्यकर्त्ताओं और स्वास्थ्य कर्मचारियों की मृत्यु हो गई है।


IITs में SC और ST छात्रों की संख्या में कमी

  • हाल ही में सूचना के अधिकार (Right to Information- RTI) के माध्यम से एकत्रित देश  के पाँच पुराने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों  (IITs) से संबंधित आँकड़ों से यह संकेत मिलता है कि इन संस्थानों में अनुसूचित जाति (Scheduled Caste- SC), अनुसूचित जनजाति (Scheduled Tribe- ST) और अन्य पिछड़ा वर्ग (Other Backward Classes- OBC) समुदाय के छात्रों की अनुमोदन दर (Acceptance Rate) काफी कम है। 
  • IITs में पीएचडी प्रोग्राम हेतु अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के आवेदकों के चयन होने की संभावना सामान्य श्रेणी (General Category-SC) के उम्मीदवारों से आधी है।


RTI आवेदनों से प्राप्त डेटा :

 

  • अनुमोदन दर आवेदन करने वाले प्रत्येक 100 छात्रों में से चयनित छात्रों की संख्या को संदर्भित करता है।
  • सामान्य श्रेणी के छात्रों हेतु यह दर 4% थी।
  • वही OBC छात्रों हेतु 2.7%,  SC के लिये 2.16% और  ST हेतु  यह दर केवल 2.2% है।
  • RTI के माध्यम से प्राप्त यह डेटा ऐसे समय में आया है, जब संसद में  शिक्षा मंत्रालय द्वारा वर्ष 2020 में प्रस्तुत आँकड़े पीएचडी की सीटें भरने में IITs की विफलता को दर्शाते हैं।
  • सरकार की आरक्षण नीति के तहत SC श्रेणी से छात्रों हेतु 15% सीटें, ST श्रेणी के छात्रों के लिये 7.5% और अन्य पिछड़ा वर्ग हेतु  27% सीटों का आवंटन अनिवार्य है।

 

IITs द्वारा अक्सर समाज के वंचित वर्ग और समुदायों के आवेदकों की कमी का हवाला दिया जाता रहा है। हालांँकि RTI से प्राप्त आँकड़े इसके काफी विपरीत हैं।

 प्रवेश लेने वाले सामान्य श्रेणी के छात्रों का प्रतिशत आवेदन करने वाले छात्रों से हमेशा अधिक रहा है। हालाँकि SC, ST और  OBC वर्ग के छात्रों की स्थिति इसके विपरीत देखी गई है।

शिक्षा मंत्रालय से प्राप्त डेटा: 

  • वर्ष 2015 से 2019 तक सभी IITs द्वारा दिये गए कुल प्रवेश में  अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग का प्रतिशत क्रमशः 9.1% तथा 2.1% था।
  • केवल 23.2% सीटें OBC के आवेदकों हेतु तथा शेष 65.6% या सभी सीटों का लगभग दो-तिहाई हिस्सा जनरल श्रेणी के आवेदकों के लिये आरक्षित था।

स्वीकृति दर में कमी का कारण:

पात्रता से संबंधित मुद्दे:

  • कुछ संस्थान सामान्य श्रेणी की भी सभी सीटें नहीं भर पाते हैं, क्योंकि उन्हें पर्याप्त योग्य उम्मीदवार नहीं मिल पाते हैं।

आर्थिक कारण:

  • योग्य छात्र पीएचडी में शामिल होने के बजाय अच्छी नौकरियों में चले जाते हैं, क्योंकि पीएचडी और पोस्ट पीएचडी में अनिश्चितताओं के साथ आय का निम्न स्तर बना रहता है।
  • यह संभव है कि पारिवारिक पृष्ठभूमि और आर्थिक स्तर का पीएचडी हेतु आवेदन करने वाले उम्मीदवारों पर प्रभाव पड़ सकता है।

'मेरिट' का तर्क

  •  आरक्षण को लेकर आईआईटी प्रशासकों ( IIT Administrators) और संकायों (Faculty) के मध्य लंबे समय से विरोध देखा जा रहा है, जिसे वे संस्थानों में अन्यायपूर्ण सरकारी हस्तक्षेप के रूप में देखते हैं।
  • शिक्षा मंत्रालय द्वारा गठित समिति की हालिया रिपोर्ट में संकाय की भर्ती में आरक्षण को समाप्त करने की सिफारिश की गई है।
  • समिति ने अपनी सिफारिशों में मुख्य रूप से उन तर्कों को शामिल किया जो शैक्षणिक उत्कृष्टता को बनाए रखने हेतु IITs की आवश्यकता के साथ-साथ आरक्षित श्रेणियों के योग्य उम्मीदवारों की कमी को पूरा करने हेतु मानदंडों पर बल देते हैं।


विषमताओं को कम करना:

  • सकारात्मक कार्रवाई और जाति-आधारित आरक्षण समाज में असमानता को घटाने में मदद कर सकता है, वंचित वर्ग को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुँच प्रदान कर सकता है, विविधता को बढ़ावा दे सकता है और इससे भी महत्त्वपूर्ण बात यह है कि समानता को बढ़ावा देने के लिये बाधाओं को दूर कर पिछली गलतियों में सुधार करने की आवश्यकता है।

मध्यस्थता और सुलह (संशोधन) विधेयक, 2021

हाल ही में लोकसभा ने "फ्लाई-बाय-नाइट ऑपरेटर" (fly-By-Night Operator) द्वारा धोखाधड़ी से कानून का दुरुपयोग किये जाने की जाँच के लिये मध्यस्थता और सुलह (संशोधन) विधेयक [Arbitration and Conciliation (Amendment) Bill], 2021 पारित किया है। 

यह विधेयक नवंबर 2020 में जारी मध्यस्थता और सुलह (संशोधन) अध्यादेश [Arbitration and Conciliation (Amendment) ordinance] की जगह लेगा।


विधेयक की विशेषताएँ:

 

मध्यस्थों की योग्यता:

  • इस विधेयक में मध्यस्थों की योग्यता को मध्यस्थता और सुलह अधिनियम, 1996 की 8वीं अनुसूची से परे रखा गया है। इस अधिनियम में एक मध्यस्थ का प्रावधान है:
  • उसे अधिवक्ता अधिनियम, 1961 के अंतर्गत एक वकील होना चाहिये, जिसके पास 10 साल का अनुभव हो, या भारतीय विधिक सेवा का एक अधिकारी होना चाहिये।
  • इस विधेयक के अनुसार, मध्यस्थों की योग्यता का निर्धारण एक मध्यस्थता परिषद द्वारा निर्धारित नियमों द्वारा किया जाएगा।

पुरस्कार पर बिना शर्त रोक:

  • यदि पुरस्कार भ्रष्टाचार के आधार पर दिया जा रहा है तो अदालत मध्यस्थता कानून की धारा 34 के तहत की गई अपील पर अंतिम फैसला आने तक इस पुरस्कार पर बिना शर्त रोक लगा सकती है।

लाभ:

 

  • यह विधेयक मध्यस्थता प्रक्रिया में सभी हितधारकों के बीच समानता लाएगा।
  • इससे सभी हितधारकों को धोखाधड़ी या भ्रष्टाचार से प्रेरित मध्यस्थता पुरस्कारों के प्रवर्तन को बिना शर्त रोकने का अवसर मिलता है।
  • मध्यस्थता और सुलह अधिनियम, 1996 के प्रावधानों का दुरुपयोग करदाताओं से पैसे वसूलने के लिये किया जा रहा था जिसे इस विधेयक द्वारा रोका जाएगा।

कमियाँ:

 

  • भारत पहले से ही अंतर्राष्ट्रीय अनुबंधों और समझौतों के प्रवर्तन के मामले में पीछे है। यह विधेयक मेक इन इंडिया (Make in India) अभियान की भावना को बाधित और इज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस इंडेक्स (Ease of Doing Business Index) की रैंकिंग में गिरावट कर सकता है।
  • भारत का उद्देश्य घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता का केंद्र बनना है। इन विधायी परिवर्तनों के कार्यान्वयन के माध्यम से वाणिज्यिक विवादों के समाधान में अब अधिक समय लग सकता है।

भारतीय मध्यस्थता परिषद

  • संवैधानिक पृष्ठभूमि: अनुच्छेद 51 के अनुसार, भारत निम्नलिखित संवैधानिक आदर्शों को पालन करने के लिये प्रतिबद्ध है:
  • संगठित लोगों के एक-दूसरे के प्रति व्यवहार में अंतर्राष्ट्रीय विधि और संधि-बाध्यताओं के प्रति आदर बढ़ाना।
  • अंतर्राष्ट्रीय विवादों के निपटारे के लिये मध्यस्थता को प्रोत्साहित करना। ए.सी.आई. इस संवैधानिक दायित्व की प्राप्ति हेतु एक कदम है।
  • उद्देश्य: मध्यस्थता और सुलह (संशोधन) अधिनियम, 2019 के तहत मध्यस्थता, सुलह तथा अन्य विवादों के निवारण के लिये एक निवारण तंत्र के रूप में भारतीय मध्यस्थता परिषद (Arbitration Council of India) का प्रावधान करना।
  • मध्यस्थता: यह एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें विवाद को एक स्वतंत्र तीसरे पक्ष को नियुक्त कर सुलझाया जाता है जिसे मध्यस्थ (Arbitrator) कहा जाता है। मध्यस्थ समाधान पर पहुँचने से पहले दोनों पक्षों को सुनता है।

सुलह: 

  • यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें विवादों के सुलह के लिये एक समझौताकार (Conciliator) को नियुक्त किया जाता है। यह विवादित पक्षों को समझौते पर पहुँचने में मदद करता है। बिना मुकदमे के विवाद का निपटारा करना एक अनौपचारिक प्रक्रिया है। इस प्रकार से तनाव को कम कर, मुद्दों की व्याख्या कर, तकनीकी सहायता आदि द्वारा सुलह कराया जाता है।

ACI की संरचना:

  • ACI में एक अध्यक्ष होगा, जिसे:
  • सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश; या
  • उच्च न्यायालय का न्यायाधीश; या
  • उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश; या
  • मध्यस्थता के क्षेत्र में विशेषज्ञता रखने वाला एक प्रतिष्ठित व्यक्ति होना चाहिये।
  • अन्‍य सदस्‍यों में सरकार द्वारा नामित लोगों के अतिरिक्‍त जाने-माने शिक्षाविद्, व्यवसायी आदि शामिल किये जाएंगे।
  • मध्यस्थों की नियुक्ति: इस अधिनियम के अंतर्गत उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय मध्यस्थ संस्थाओं को नामित कर सकते हैं।
  • सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नामित संस्था की नियुक्ति अंतर्राष्ट्रीय वाणिज्यिक मध्यस्थता के लिये की जाएगी।
  •  उच्च न्यायालय द्वारा नामित संस्था की नियुक्ति घरेलू मध्यस्थता के लिये की जाएगी।
  • यदि कोई मध्यस्थ संस्था उपलब्ध नहीं हैं तो मध्यस्थ संस्थाओं के कार्यों को करने के लिये संबंधित उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश मध्यस्थों का एक पैनल बना सकता है।
  • मध्यस्थ की नियुक्ति के लिये किये गए आवेदन को 30 दिनों के भीतर निपटाया जाना आवश्यक है।