गो इलेक्ट्रिक अभियान Go electric campaign
गो इलेक्ट्रिक अभियान क्या है
- ई-मोबिलिटी और ईवी चार्जिंग (EV Charging) अवसंरचना के साथ इलेक्ट्रिक कुकिंग के लाभों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिये "गो इलेक्ट्रिक अभियान' की शुरुआत की है।
गो इलेक्ट्रिक अभियान का लक्ष्य
- देश को 100% ई-मोबिलिटी और स्वच्छ एवं सुरक्षित
ई-कुकिंग की ओर ले जाना।
- राष्ट्रीय स्तर पर जागरूकता बढ़ाना और देश की
आयात निर्भरता (खनिज तेल के संदर्भ में) को कम करना।
- कम कार्बन अर्थव्यवस्था के मार्ग पर आगे बढ़ना, जिससे देश और ग्रह को जलवायु परिवर्तन
के प्रतिकूल प्रभावों से बचाया जा सके।
गो इलेक्ट्रिक अभियान कार्यान्वयन
- केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय के तत्त्वावधान में
ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (BEE) को सार्वजनिक चार्जिंग, ई-मोबिलिटी और इसके पारिस्थितिकी तंत्र
को बढ़ावा देने के लिये जागरूकता अभियान चलाने का उत्तरदायित्त्व सौंपा गया है।
ई-मोबिलिटी क्या है (E-Mobility) :
- ई-मोबिलिटी विद्युत् ऊर्जा स्रोतों (जैसे कि
राष्ट्रीय ग्रिड) की बाहरी चार्जिंग क्षमता से ऊर्जा का उपयोग करते हुए वर्तमान
में प्रचलित कार्बन उत्सर्जक जीवाश्म ईंधन के प्रयोग को कम करने में सहायता करती
है।
- वर्तमान में भारत केवल परिवहन के लिये 94
मिलियन टन तेल और पेट्रोलियम उत्पादों का उपयोग करता है परंतु वर्ष 2030 तक इसके
दोगुना होने की उम्मीद है।
- जीवाश्म ईंधन के मामले में भारत का वर्तमान
आयात बिल 8 लाख करोड़ रुपए का है।
- इसमें पूरी तरह से इलेक्ट्रिक, पारंपरिक हाइब्रिड, प्लग-इन हाइब्रिड के साथ-साथ
हाइड्रोजन-ईंधन चालित वाहनों का उपयोग शामिल है।
- भारत सरकार ने देश में इलेक्ट्रिक वाहनों को
अपनाने और इनके विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिये कई पहलों की शुरुआत की है। फेम (FAME) इंडिया योजना ऐसी ही एक पहल है।
वैकल्पिक ईंधन के रूप में इलेक्ट्रिक ईंधन:
- इलेक्ट्रिक ईंधन जीवाश्म ईंधन का एक प्रमुख
विकल्प है।
- पारंपरिक ईंधन की तुलना में इलेक्ट्रिक ईंधन की
लागत और उत्सर्जन कम होता है तथा यह स्वदेशी भी है।
- सार्वजनिक परिवहन का विद्युतीकरण न केवल
किफायती होता है, बल्कि पर्यावरण के अनुकूल भी है।
- राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 10,000 इलेक्ट्रिक
वाहनों के उपयोग से ही प्रतिमाह 30 करोड़ रुपए की बचत हो सकती है।
हरित हाइड्रोजन (Green
Hydrogen):
- व्यावसायिक वाहनों में ग्रीन हाइड्रोजन का
प्रयोग एक बड़ा परिवर्तनकारी कदम हो सकता है जो कच्चे तेल की आवश्यकता और इसके आयात
को हर संभव तरीके से समाप्त करने में सहायता करेगा।
- ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन अक्षय ऊर्जा और
इलेक्ट्रोलिसिस [जल (H2O) को
विभाजित करने हेतु का उपयोग करके किया जाता है।
यह ग्रे हाइड्रोजन और ब्लू हाइड्रोजन से अलग होता है:
- ग्रे हाइड्रोजन का उत्पादन मीथेन से होता है और
यह वातावरण में ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन करती है।
ब्लू हाइड्रोजन:
- इस प्रकार की हाइड्रोजन
उत्पादन प्रक्रिया के तहत उत्सर्जित गैसों को संरक्षित कर उन्हें भूमिगत रूप से
संग्रहीत किया जाता है ताकि वे जलवायु परिवर्तन का कारक न बनें।
- इसके अलावा बसों जैसे भारी वाहनों के लिये ग्रीन
हाइड्रोजन एकआदर्श विकल्प है।
- कृषि अपशिष्ट और बायोमास से उत्पन्न हरित ऊर्जा
के उपयोग से देश भर के किसानों को लाभ होगा।
- भारत में सौर ऊर्जा कीमतों के कम होने के कारण
केंद्रीय नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा देश में सस्ती लागत पर हरित
हाइड्रोजन का उत्पादन किया जा सकता है।
इलेक्ट्रिक कुकिंग:
- इंडक्शन कुकिंग को बढ़ावा देकर सरकार को ऊर्जा
पहुँच में सुधार लाने की अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करने में सहायता मिलेगी।
- सैद्धांतिक रूप से यदि इलेक्ट्रिक चूल्हों का
इस्तेमाल किया जाता है, तो सार्वभौमिक विद्युतीकरण को सार्वभौमिक स्वच्छ कुकिंग में बदला जा
सकता है।
- बिजली आधारित समाधान (उपकरणों के संदर्भ में)
का एक लाभ यह है कि इसके तहत शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में सौर ऊर्जा का
लाभ उठाया जा सकता है।
ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (Bureau of
Energy Efficiency)
- ऊर्जा दक्षता ब्यूरो की स्थापना भारत सरकार
द्वारा ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2001 के उपबंधों के अंतर्गत 1 मार्च, 2002 को की गई थी।
- यह भारतीय अर्थव्यवस्था की ऊर्जा की अत्यधिक
मांग को कम करने के प्राथमिक उद्देश्य के साथ विकासशील नीतियों और रणनीतियों के
निर्माण में सहायता करता है।