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सोमवार, 15 मार्च 2021

15 March Daily Current Affair in Hindi

 15 March Daily Current Affair in Hindi

15 March Daily Current Affair in Hindi


चेमनचेरी कुनिरामन नायर

  • 15 मार्च, 2021 को जाने माने कथकली कलाकार चेमनचेरी कुनिरामन नायर का केरल के कोझिकोड में निधन हो गया। 105 वर्षीय नायर‍ अपनी नृत्य मुद्रा और गरिमापूर्ण कला की वजह से कई दशकों तक कथकली प्रेमियों के बीच आकर्षण का केंद्र बने रहे। कथकली विधा में महत्त्वपूर्ण योगदान के लिये वर्ष 2017 में श्री नायर को पद्मश्री पुरस्कार से भी नवाज़ा गया था। इसके अलावा उनकी अद्भुत प्रतिभा के लिये उन्हें केरल संगीत नाटक अकादमी और केरल कलामंडलम पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था। 16 जून, 1916 को केरल में जन्मे, कुनिरामन नायर ने वर्ष 1930 में कीजपेपुर कुनियिल परदेवता मंदिर में अपना पहला नृत्य प्रदर्शन किया था। केरल के प्राचीन नृत्य नाटक कथकली के साथ कुनिरामन नायर की यात्रा की शुरुआत 14 वर्ष की उम्र में तब शुरू हुई, जब उन्होंने गुरु करुणाकरण मेनन द्वारा संचालित कथकली मंडली में शामिल होने के लिये अपना घर छोड़ दिया था। वर्षों के अभ्यास और कड़ी मेहनत के बाद 1945 में उन्होंने भारतीय नाट्यकलाम की स्थापना की, जो पूरे केरल में नृत्य का पहला स्कूल था। कथकली, भारतीय शास्त्रीय नृत्य की एक महत्त्वपूर्ण शैली है। यह दक्षिण भारतीय राज्य केरल में उद्गमित एक नृत्य नाटक कला है।

 

मिताली राज

  • हाल ही में मिताली राज अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट के सभी प्रारूपों में 10,000 रन बनाने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बन गई हैं। मिताली राज ने दक्षिण अफ्रीका के विरुद्ध चल रही एकदिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सीरीज़ में यह महत्त्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। मिताली राज अब ऐसी दूसरी अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेटर हैं, जिन्होंने क्रिकेट के सभी प्रारूपों में 10,000 रन बनाए हैं। इंग्लैंड की चार्लोट एडवर्ड्स अब तक एकमात्र ऐसी महिला क्रिकेटर थीं, जिन्होंने यह महत्त्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की थी। 3 दिसंबर, 1982 को जोधपुर राजस्थान में जन्मी मिताली राज ने जून 1999 में एकदिवसीय मैच में आयरलैंड के विरुद्ध अपने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट कॅरियर की शुरुआत की। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कुल 212 एकदिवसीय मैच खेले हैं और कुल 7 शतक तथा 54 अर्द्ध-शतक लगाए हैं। ज्ञात हो कि मिताली राज टेस्ट क्रिकेट और एकदिवसीय मैचों में भारतीय महिला क्रिकेट टीम की कप्तानी करती हैं।

 
आत्मनिर्भर निवेशक मित्रपोर्टल

  • वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने हाल ही में निवेशकों को डिजिटल सुविधा प्रदान करने के लिये एक समर्पित पोर्टल स्थापित करने की घोषणा की है। आत्मनिर्भर निवेशक मित्रनामक इस पोर्टल का उद्देश्य घरेलू निवेशकों को आवश्यक समर्थन, मार्गदर्शन और सूचना प्रदान करना है। इस पोर्टल को वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के तहत उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग’ (DPIIT) द्वारा अंतिम रूप दिया जा रहा है। इस पोर्टल के तहत इन्वेस्ट इंडियामें एक समर्पित डिजिटल निवेश प्रोत्साहन और सुविधा टीम स्थापित की जाएगी तथा यह घरेलू निवेशकों को इन्वेस्ट इंडियाके विशेषज्ञों के साथ वार्ता करने की सुविधा प्रदान करेगा, जिससे वे निवेश संबंधी मुद्दों पर चर्चा कर सकेंगे। यह पोर्टल निवेशकों को केंद्र और राज्य सरकार की नीतियों एवं नई पहलों के बारे में दैनिक रूप से अपडेट करेगा। इस पोर्टल को इन्वेस्ट इंडियाके तहत शुरू किया गया है, जिसे वर्ष 2009 में उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभागके तहत एक गैर-लाभकारी उपक्रम के रूप में स्थापित किया गया था।

 

इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों में प्रवेश की योग्यता में बदलाव

  • अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) ने इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों की प्रवेश-स्तरीय योग्यता में बदलाव करते हुए इच्छुक उम्मीदवारों के लिये फिज़िक्स, रसायन विज्ञान और गणित (PCM) की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया है। अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) द्वारा की गई घोषणा के मुताबिक, अब छात्रों को स्नातक स्तर पर इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों में प्रवेश पाने के लिये स्कूल में अनिवार्य रूप से इन विषयों का अध्ययन नहीं करना पड़ेगा। ज्ञात हो कि इससे पूर्व नियमों के मुताबिक,  फिज़िक्स, रसायन विज्ञान और गणित (PCM) आदि विषय कंप्यूटर विज्ञान और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे अधिकांश इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों के लिये अनिवार्य थे। हालाँकि उपरोक्त नियम राज्य सरकार और इंजीनियरिंग स्कूलों के लिये बाध्यकारी नहीं हैं। नए मानदंडों के तहत एक उम्मीदवार से कुल 14 विषयों की सूची में से किसी भी तीन विषयों में कम-से-कम 45 प्रतिशत स्कोर करने की उम्मीद की गई है।


साहित्य अकादमी पुरस्कार Sahitya Akademi Award

हाल ही में मराठी लेखिका नंदा खरे ने वर्ष 2014 में लिखे गए अपने उपन्यास उद्या” (Udya) के लिये साहित्य अकादमी पुरस्कार स्वीकार करने से इनकार कर दिया।

 

प्रमुख बिंदु

साहित्य अकादमी पुरस्कार के बारे में: 

साहित्य अकादमी पुरस्कार वर्ष 1954 में स्थापित, एक साहित्यिक सम्मान है। यह पुरस्कार साहित्य अकादमी (नेशनल एकेडमी ऑफ लेटर्स) द्वारा प्रतिवर्ष प्रदान किया जाता है।

अकादमी द्वारा प्रत्येक वर्ष अपने द्वारा मान्यता प्रदत्त 24 भाषाओं में साहित्यिक कृतियों के साथ ही इन्हीं भाषाओं में परस्पर साहित्यिक अनुवाद के लिये भी पुरस्कार प्रदान किये जाते हैं।

भारत के संविधान में शामिल 22 भाषाओं के अलावा, साहित्य अकादमी ने अंग्रेज़ी तथा राजस्थानी को भी उन भाषाओं के रूप में मान्यता दी है जिसमें अकादमी के कार्यक्रम को लागू किया जा सकता है।

साहित्य अकादमी पुरस्कार, ज्ञानपीठ पुरस्कार के बाद भारत सरकार द्वारा प्रदान किया जाने वाला दूसरा सबसे बड़ा साहित्यिक सम्मान है।


पुरस्कार विजेता के चयन हेतु मानदंड:

 

लेखक के पास अनिवार्य रूप से भारतीय राष्ट्रीयता होनी चाहिये।

पुरस्कार के लिये पात्र पुस्तक/रचना का संबंधित भाषा और साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान होना चाहिये।

जब दो या दो से अधिक पुस्तकों के लिये समान योग्यता पाई जाती है, तो पुरस्कार की घोषणा हेतु कुछ निश्चित मानदंडों जैसे- साहित्य के क्षेत्र में कुल योगदान तथा लेखकों की स्थिति/प्रतिष्ठा आदि को ध्यान में रखा जाता है।

मराठी उपन्यास उद्या' के विषय में: 

यह वर्तमान पूंजीवादी और मशीन चालित मानव जीवन के परिणामों के रूप में उभर रहे संभावित परिदृश्यों का एक भविष्यवादी दृष्टिकोण है।

यह उपन्यास इस बात की व्याख्या करता है कि कैसे मनुष्य को मशीनों द्वारा गुलाम बनाया गया है, विशेष रूप से ऐसी मशीनों द्वारा जो किसी के निजी जीवन की निगरानी करने हेतु अतिसंवेदनशील है।

ज्ञानपीठ पुरस्कार:

  • ज्ञानपीठ पुरस्कार भारत में सर्वोच्च साहित्यिक पुरस्कार है और इसे केवल एक भारतीय नागरिक को प्रतिवर्ष प्रदान किया जा सकता है।
  • भारतीय संविधान (8 वीं अनुसूची) में उल्लिखित अन्य भाषाओं के साथ अंग्रेज़ी में भी यह पुरस्कार प्रदान किया जाता है।
  • इस पुरस्कार के अंतर्गत 11 लाख रुपए की नकद राशि, एक प्रशस्ति पत्र और ज्ञान की देवी वाग्देवी (सरस्वती) की एक कांस्य प्रतिकृति प्रदान की जाती है।
  • यह सांस्कृतिक संगठन भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा प्रायोजित है।
  • वर्ष 2018 में लेखक अमिताव घोष ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता बनने वाले पहले अंग्रेजी भाषा के लेखक बने।
  • मलयालम भाषा के अक्कीतम अच्युतन नंबूदिरी को वर्ष 2019 में ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया गया था।

अन्य साहित्य अकादमी पुरस्कार:

  • साहित्य अकादमी बाल साहित्य पुरस्कार लेखकों द्वारा बाल साहित्य में उनके योगदान के आधार पर दिया जाता है और पुरस्कार वर्ष से तुरंत पहले के पाँच वर्षों के दौरान पहली बार प्रकाशित पुस्तकों से संबंधित है।
  • साहित्य अकादमी युवा पुरस्कार 35 वर्ष और उससे कम आयु के लेखक द्वारा प्रकाशित पुस्तकों से संबंधित है।

 

मेरा राशन मोबाइलएप्लीकेशन

देश में 'वन नेशन वन राशन कार्ड' (One Nation One Ration Card) प्रणाली को सुविधाजनक बनाने हेतु  उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय (Ministry of Consumer Affairs, Food and Public Distribution) द्वारा  'मेरा राशन' (Mera Ration) नामक मोबाइल एप लॉन्च किया गया है यह लाभार्थी को  किसी भी उचित मूल्य की दुकान (Fair Price Shop- FPS) तक आसान पहुंँच प्रदान करेगा। 

इस एप का लाभ विशेष रूप से उन राशन कार्ड धारकों को मिलेगा जिन्हें आजीविका हेतु अन्य स्थानों पर जाना पड़ता है।

प्रमख बिंदु:

एप के बारे में: इस एप्लीकेशन को राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (National Informatics Center-NIC) द्वारा विकसित किया गया है।

भाषा: फिलहाल इस एप में अंग्रेज़ी एवं हिंदी भाषा का विकल्प उपलब्ध है।

यद्यपि इसे 14 भाषाओं में प्रस्तुत किये जाने की योजना है, जिन्हें उन स्थानों के आधार पर पहचाना जाएगा जहांँ से अधिकांश प्रवासी लोग आते हैं।

लाभार्थियों को सुविधाएंँ:

इसके द्वारा लाभार्थी आसानी से निकटतम उचित मूल्य की दुकान तक पहुँच सकते हैं।

इस एप के माध्यम से लाभार्थी इस बात का पता लगा सकते हैं कि पूर्व में खाद्यान्न का कुल कितना हस्तांतरण किया गया है तथा कितना खाद्यान्न उसके द्वारा प्राप्त किया जा सकता है। इसके अलावा उसके आधार सीडिंग (Aadhaar Seeding) की स्थति (आधार कार्ड को बैंक खाता से जोड़ना) के बारे में जाना जा सकता है।

इसकी सहायता से लाभार्थी के प्रवास का विवरण दर्ज किया जा सकता है। 

यह सुझाव/प्रतिक्रिया दर्ज करने का विकल्प प्रस्तुत करता है।

वन नेशन वन राशन कार्ड (ONORC) 

कार्यान्वयन:

ONORC योजना को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (National Food Security Act- NFSA), 2013 के तहत राशन कार्डों की देशव्यापी पोर्टेबिलिटी प्रदान करने के उद्देश्य से खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।

यह अधिनियम लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (Targeted Public Distribution System) के तहत कानूनी तौर पर 75% ग्रामीण आबादी और 50% शहरी आबादी को सब्सिडी युक्त अनाज प्राप्त करने का अधिकार प्रदान करता है।

महत्त्व: 

यह प्रणाली सभी NFSA लाभार्थियों, विशेष रूप से प्रवासी लाभार्थियों को देश में किसी भी उचित मूल्य की दुकान (FPS) से बायोमेट्रिक/आधार प्रमाणीकरण के माध्यम से सरल तरीके से मौजूदा राशन कार्ड द्वारा पूर्ण या आंशिक खाद्यान्न प्राप्त करने हेतु अनुमति देती है।

किसी भी उचित मूल्य की दुकान को चुनने की स्वतंत्रता पहले उपलब्ध नहीं थी।

ऐसे राज्य जो वन नेशन वन राशन कार्ड प्रणाली में सुधार करने में सक्षम रहे हैं वे सकल राज्य घरेलू उत्पाद (Gross State Domestic Product- GSDP) का 0.25% अतिरिक्त उधार लेने के पात्र थे।

उत्तराखंड सहित सत्रह राज्यों में 'वन नेशन वन राशन कार्ड' प्रणाली संचालित है।

कवरेज:

वर्ष 2019 में ONORC को 4 राज्यों में शुरू किया गया था तथा वर्ष 2020 तक यह 32 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में लागू किया जा चुका है।

शेष 4 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों (असम, छत्तीसगढ़, दिल्ली और पश्चिम बंगाल) में इस योजना के आने वाले कुछ महीनों में समन्वित  होने की उम्मीद है।

यह देश में लगभग 69 करोड़ NFSA लाभार्थियों (लगभग 86% NFSA जनसंख्या) को कवर करता है। ONORC के तहत लगभग 1.5 ~ 1.6 करोड़ पोर्टेबिलिटी लेन-देन का मासिक औसत दर्ज किया जा रहा है।

सभी के लिये ONORC की उपलब्धता:

सरकार द्वारा 5.4 लाख राशन की दुकानों के माध्यम से प्रत्येक व्यक्ति को प्रति माह 5 किलो सब्सिडी युक्त खाद्यान्न की आपूर्ति की जा रही है।

ONROC प्रणाली के साथ प्रवासी पोर्टल (Migrants’ Portal) का एकीकरण श्रम और रोज़गार मंत्रालय के सहयोग से किया जाता है।

ONORC शहरी विकास मंत्रालय (Ministry of Housing & Urban Affairs) द्वारा संचालित प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना (PM SANNidhi Program) का हिस्सा है।

लोगों तक ONORC के बारे में जानकारियों का प्रचार, सूचना और प्रसारण मंत्रालय, प्रेस सूचना ब्यूरो, MyGov, आउटरीच और संचार ब्यूरो की मदद से किया गया है।

क्षुद्रग्रह 2001 FO32


राष्ट्रीय वैमानिकी एवं अंतरिक्ष प्रशासन (NASA) ने भविष्यवाणी की है कि क्षुद्रग्रह 2001 FO32 वर्ष 2021 में पृथ्वी के पास से गुजरने वाला सबसे बड़ा क्षुद्रग्रह है। यह 21 मार्च को पृथ्वी के सबसे करीब होगा। 

प्रमुख बिंदु:

 2001 FO32 क्षुद्रग्रह: 

  • खोज: इसकी खोज 20 वर्ष पहले की गई थी और तब से वैज्ञानिक सूर्य के चारों ओर इसके परिक्रमा पथ पर बहुत ही सटीक तरीके से इसका अध्ययन कर रहे हैं।
  • इसकी खोज मार्च 2001 में सोकोरो, न्यू मैक्सिको में स्थित लिंकन नियर-अर्थ एस्टेरॉयड रिसर्च (LINEAR) प्रोग्रामद्वारा की गई थी।
  • 1998 OR2 अंतिम बार देखा गया विशेष रूप से बड़ा क्षुद्रग्रह था, जो 29 अप्रैल, 2020 को पृथ्वी के करीब से गुज़रा था, जबकि 2001 FO32, 1998 OR2 से कुछ छोटा है।
  • कक्षा: यह सूर्य के चारों ओर अत्यधिक विलक्षण कक्षा में स्थित है और 810 दिनों (लगभग 2 वर्ष) में एक परिक्रमा पूरी करता है। इसकी कक्षा पृथ्वी के कक्षीय तल से 39° झुकी हुई है।
  • यह कक्षा इस क्षुद्रग्रह को बुध की तुलना में सूर्य के करीब ले जाती है और यह मंगल की तुलना में सूर्य से दोगुनी दूरी पर स्थित है।
  • गति: यह क्षुद्रग्रह लगभग 1,24,000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से गुज़़रेगा जो कि तुलनात्मक रूप से उन अधिकांश क्षुद्रग्रहों की गति से तेज़ है, जो पृथ्वी के सामने से गुज़रते हैं।

पृथ्वी से टकराने का कोई खतरा नहीं:

  • यह क्षुद्रग्रह 'नियर अर्थ ऑब्जेक्ट' के रूप में वर्णित है। यह क्षुद्रग्रह पृथ्वी से लगभग 2 मिलियन किलोमीटर (पृथ्वी से चंद्रमा की कुल दूरी के 51/4  गुना) की दूरी पर होगा।
  • खगोलीय दृष्टिकोण से यह दूरी इतनी है कि इसे संभावित खतरनाक क्षुद्रग्रहके रूप में वर्गीकृत किया गया है।
  • आने वाली सदियों में पृथ्वी को टकराव संबंधी कोई खतरा नहीं है।
  • अगली संभावित घटना: क्षुद्रग्रह वर्ष 2052 तक पृथ्वी के करीब नहीं आएगा, उस समय यह लगभग 2.8 मिलियन किमी. पास से गुज़रेगा।

महत्त्व: 

  • यह खगोलविदों को क्षुद्रग्रह के आकार और अल्बेडो (Albedo) के बारे में अधिक सटीक जानकारी प्राप्त करने का अवसर प्रदान करेगा (अर्थात् यह कितना चमकीला या परावर्तक सतह वाला है) तथा इसके संघटन, आकार की बेहतर समझ और इसकी संरचना के बारे में जानकारी जुटाई जा सकेगी।
  • जब सूरज की रोशनी किसी क्षुद्रग्रह की सतह से टकराती है, तो इसमें उपस्थित खनिज प्रतिबिंबित होते हुए कुछ तरंगदैर्ध्य को अवशोषित करते हैं। सतह से परावर्तित प्रकाश के स्पेक्ट्रम का अध्ययन करके खगोलविद् क्षुद्रग्रह की सतह पर खनिजों के रासायनिक "फिंगरप्रिंट" को माप सकते हैं।


चर्चा में रहने वाले अन्य क्षुद्रग्रह:

  •  क्षुद्रग्रह 2020 ND
  • 163348 (2002 NN4)
  • क्षुद्रग्रह 2018VP1
  • क्षुद्रग्रह 16 Psyche
  • क्षुद्रग्रह बेन्नू

क्षुद्रग्रह क्या होते हैं 

  • क्षुद्रग्रह सूर्य की परिक्रमा करते हैं और सौरमंडल में स्थित छोटे पिंड हैं।
  • ये धातुओं और चट्टानों से निर्मित होते हैं।
  • इनकी छोटी और अंडाकार कक्षाएँ होती हैं।
  • क्षुद्रग्रह बेल्ट सौरमंडल में एक टोरस के आकार का क्षेत्र है, जो लगभग बृहस्पति और मंगल ग्रहों की कक्षाओं के बीच स्थित है।

क्षुद्रग्रहों का वर्गीकरण:

  • मुख्य क्षुद्रग्रह पेटी: अधिकांश क्षुद्रग्रह मंगल और बृहस्पति के बीच स्थित क्षुद्रग्रह पेटी में पाए जाते हैं।
  • ट्रोजंस (Trojans): ये क्षुद्रग्रह एक बड़े ग्रह के साथ कक्षा साझा करते हैं, लेकिन इसके साथ टकराते नहीं हैं क्योंकि वे कक्षा में लगभग दो विशेष स्थानों (L4 और L5 लैग्रैन्जियन पॉइंट्स) के आस-पास एकत्रित होते हैं, जहाँ सूर्य और ग्रहों के बीच संतुलित गुरुत्वाकर्षण खिंचाव होता है।
  • लैग्रैन्जियन पॉइंट्स अंतरिक्ष में स्थित ऐसे बिंदु हैं, जहाँ सूर्य और पृथ्वी जैसे दो निकायों का गुरुत्वाकर्षण बल आकर्षण और प्रतिकर्षण के क्षेत्रों का निर्माण करता है। इनका उपयोग अंतरिक्षयान द्वारा समान स्थिति में बने रहने के लिये आवश्यक ईंधन की खपत को कम करने हेतु किया जा सकता है।
  • नियर अर्थ ऑब्जेक्ट: इन ऑब्जेक्ट्स की कक्षाएँ पृथ्वी के करीब होती हैं। क्षुद्रग्रह जो वास्तव में पृथ्वी के कक्षीय पथ को पार करते हैं, उन्हें अर्थ-क्रॉसर्स’ (Earth-crossers) के रूप में जाना जाता है।

संभावित खतरनाक क्षुद्रग्रह:

  • इसका मतलब है कि एक क्षुद्रग्रह के पृथ्वी के करीब आने की कितनी संभावना है।
  • विशेष रूप से ऐसे सभी क्षुद्रग्रह जिनकी मिनिमम ऑर्बिट इंटेरसेक्शन डिस्टेंस’ (MOID) 0.05 खगोलीय इकाई (लगभग 7,480,000 Km) या इससे कम तथा निरपेक्ष परिमाण (H) 22.0 (लगभग 150 MT व्यास)  हो,  उन्हें संभावित खतरनाक क्षुद्रग्रह माना जाता है।
  • मिनिमम ऑर्बिट इंटेरसेक्शन डिस्टेंसदो लगभग अतिच्छादित अंडाकार कक्षाओं के बीच न्यूनतम दूरी की गणना करने के लिये एक विधि है।
  • खगोलीय इकाई (AU) पृथ्वी और सूर्य के बीच की दूरी होती है और यह लगभग 150 मिलियन किमी. है।
  • निरपेक्ष परिमाण किसी भी तारे की चमक का एक मापक है, अर्थात् प्रत्येक समय तारे द्वारा उत्सर्जित ऊर्जा की कुल मात्रा।

 

ऊर्जा दक्षता उद्यम (E3) प्रमाणपत्र कार्यक्रम

हाल ही में विद्युत मंत्रालय (Ministry of Power) ने "ईंट निर्माण क्षेत्र के लिये ऊर्जा दक्षता उद्यम (E3) प्रमाणपत्र कार्यक्रम" (Energy Efficiency Enterprise (E3) Certifications Programme for the Brick Manufacturing Sector) शुरू किया है। 

E3 प्रमाणन योजना का उद्देश्य इस क्षेत्र में ऊर्जा दक्षता क्षमता का अधिक दोहन करना है।

प्रमुख बिंदु

ऊर्जा दक्षता उद्यम (E3) प्रमाणपत्र कार्यक्रम के विषय में:

 

  • E3 प्रमाणन ईंट उद्योग पर केंद्रित एक मान्य प्रक्रिया है। यह प्रमाणन ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (Bureau of Energy Efficiency) द्वारा प्रदान किया जाएगा।
  • यह ऊर्जा-कुशल विनिर्माण को अपनाने वाले ईंट निर्माताओं को पहचानने और ग्राहकों को ऐसी E3 प्रमाणित विनिर्माण इकाइयों से ईंट खरीदने के लिये प्रोत्साहित करने की पहल है।
  • यह प्रमाणपत्र उन ईंट निर्माण उद्यमों को प्रदान किया जाएगा जो इस योजना में निर्दिष्ट न्यूनतम विशिष्ट ऊर्जा खपत (Specific Energy Consumption) मानदंडों को पूरा करते हैं।
  • यह उद्यम ऊर्जा अनुकूल ईंट निर्माण प्रक्रिया और प्रौद्योगिकी तथा निम्न घनत्व वाली ईंटों (छिद्रित या छिद्रपूर्ण ईंटों) के उत्पादन को अपनाकर E3 प्रमाणन के योग्य हो सकता है।
  • E3 प्रमाणन को अपनाना वर्तमान में ईंट उद्योग के लिये स्वैच्छिक है।

ईंट विनिर्माण क्षेत्र: 

  • सकल घरेलू उत्पादन में योगदान: ईंट क्षेत्र का देश की जीडीपी में लगभग 0.7% का योगदान है, जो 1 करोड़ से अधिक श्रमिकों को मौसमी रोज़गार प्रदान करता है, साथ ही परिवहन एवं निर्माण जैसे अन्य आर्थिक क्षेत्रों पर भी इसका गहरा प्रभाव है।
  • बाज़ार का आकार: भारत विश्व में दूसरा सबसे बड़ा ईंट उत्पादक देश है और  E20 प्रमाणन कार्यक्रम के माध्यम से यह मांग अगले 20 वर्षों में तीन से चार गुना होने की उम्मीद है।
  • ऊर्जा की खपत: ईंट निर्माण उद्योग में सालाना लगभग 45-50 मिलियन टन कोयले की खपत होती है, जो देश में कुल ऊर्जा खपत का 5-15% है।
  • ईंट क्षेत्र में स्टील और सीमेंट के बाद भारतीय औद्योगिक क्षेत्र में ऊर्जा दक्षता के लिये दूसरी सबसे बड़ी क्षमता मौजूद है।

E3 प्रमाणन के लाभ: 

E3 प्रमाणन के कार्यान्वयन से निम्नलिखित लाभ होंगे:

  • ईंट निर्माण प्रक्रिया में ऊर्जा की बचत।
  • ईंटों की गुणवत्ता में सुधार।
  • घरों की लागत में कमी।
  • ऐसी इमारतों के मालिकों को बेहतर तापीय सुविधा (Better Thermal Comfort) और बेहतर तापरोधी गुणों (Improve Insulation Property) के कारण ऊर्जा की बचत।
  • यह प्रतिवर्ष 7 मिलियन टन तेल और कार्बन मोनोआक्साइड (CO) की ऊर्जा बचत के बराबर है तथा वर्ष 2030 तक 7500 ईंट निर्माण इकाइयों द्वारा E3 प्रमाणन को अपनाने से लगभग 25 मिलियन टन की बचत अनुमानित है।


क्षेत्र का आधुनिकीकरण: E3 प्रमाणन योजना ईंट क्षेत्र के आधुनिकीकरण में तेज़ी लाने का प्रयास के साथ ही बाज़ार में उपलब्ध लाभ का उपयोग करके ग्राहकों की मांग को पूरा करके आत्मनिर्भर भारत (Aatmanirbhar Bharat) के विज़न को पूरा करने का काम कर रही है।

ECBC का अनुपालन: ऊर्जा कुशल ईंटें ऊर्जा संरक्षण भवन संहिता (Energy Conservation Building Code- ECBC) की आवश्यकताओं को पूरा करने में उपयोगी होंगी।

ऊर्जा दक्षता ब्यूरो

  • यह ब्यूरो विद्युत मंत्रालय के अंतर्गत एक वैधानिक निकाय है, जिसे वर्ष 2002 में ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2001 के प्रावधानों के तहत स्थापित किया गया था।
  • ऊर्जा दक्षता और संरक्षण के क्षेत्र में इन नीतियों तथा कार्यक्रमों को लागू करना अनिवार्य है।
  • यह भारतीय अर्थव्यवस्था की ऊर्जा आधिक्य को कम करने के प्राथमिक उद्देश्य के साथ विकासशील नीतियों और रणनीतियों में सहायता करता है।
  • प्रमुख कार्यक्रम: राज्य ऊर्जा दक्षता सूचकांक, प्रदर्शन और व्यापार योजना, मानक तथा लेबलिंग कार्यक्रम, ऊर्जा संरक्षण भवन कोड आदि।

ऊर्जा संरक्षण भवन कोड

  • इस कोड को नए व्यावसायिक भवनों में न्यूनतम ऊर्जा प्रदर्शन मानकों को स्थापित करने के लिये वर्ष 2007 में विकसित किया गया था।
  • इमारतों द्वारा ऊर्जा संसाधनों के एक महत्त्वपूर्ण अनुपात का उपभोग किया जाता है और ECBC इन इमारतों की ऊर्जा खपत को कम करने वाला एक आवश्यक नियामक उपकरण है।
  • ECBC 100 किलोवाट (kW) के संयोजित लोड या 120 kVA (किलोवोल्ट-एम्पीयर) और उससे अधिक की अनुबंधित मांग वाले नए वाणिज्यिक भवनों के लिये न्यूनतम ऊर्जा मानक निर्धारित करता है। 
  • BEE ने इमारतों के लिये एक स्वैच्छिक स्टार रेटिंग कार्यक्रम भी विकसित किया है जो एक इमारत के वास्तविक प्रदर्शन [इमारत के अपने क्षेत्रफल में ऊर्जा के उपयोग के संदर्भ में kWh/sq. m/year में व्यक्त)] पर आधारित है।

क्वाड शिखर सम्मेलन

  • हाल ही में भारतीय प्रधानमंत्री ने क्वाड (QUAD) समूह के प्रतिनिधियों के पहले शिखर सम्मेलन को संबोधित किया। इस बैठक को अमेरिका द्वारा एक आभासी मंच पर आयोजित किया गया। 
  • इससे पहले फरवरी 2021 में क्वाड मंत्रिस्तरीय बैठक में भारत-प्रशांत क्षेत्र और म्याँमार में सैन्य अधिग्रहण के मुद्दों पर चर्चा हुई।
  • क्वाड भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान देशों का एक समूह है, जिसका उद्देश्य भारत-प्रशांत क्षेत्र में लोकतांत्रिक देशों के हितों की रक्षा करना और वैश्विक चुनौतियों का समाधान करना है।

 

केंद्रीय बिंदु: 

कोविड-19, जलवायु परिवर्तन और उभरती प्रौद्योगिकियों जैसे विषय।

संकल्प: 

क्वाड, अंतर्राष्ट्रीय कानूनों पर आधारित स्वतंत्र, मुक्त एवं समृद्ध' भारत-प्रशांत क्षेत्र सुनिश्चित करने तथा भारत-प्रशांत क्षेत्र और क्षेत्रों में मौजूद चुनौतियों से निपटने के प्रति प्रतिबद्ध है।

क्वाड वैक्सीन पार्टनरशिप:

महामारी का मुकाबला करने के लिये टीकों तक "न्यायसंगत" पहुँच सुनिश्चित करने हेतु सहमत।

अपने वित्तीय संसाधनों, विनिर्माण क्षमताओं और तार्किक शक्तियों को एकत्रित करने की योजना पर सहमत।

जापान, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया भारत द्वारा शुरू की गई वैक्सीन  मैत्री पहल को वित्तीय सहायता प्रदान करेंगे।

भारत की वैक्सीन मैत्री पहल’ (भारत की वैक्सीन कूटनीति) की सराहना की।

वैक्सीन मैत्री पहल पड़ोसी देशों को कोविड-19 के टीके प्रदान करने के लिये भारत द्वारा शुरू की गई एक पहल है।

चीन से संबंधित चर्चा:

वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर क्वाड नेताओं ने चीनी आक्रामकता के कई उदाहरणों में से एक के रूप में चर्चा की।

हॉन्गकॉन्ग, शिनज़ियांग, ताइवान स्ट्रेट और ऑस्ट्रेलिया पर दवाब तथा सेनकाकू विवाद से संबंधित अन्य मुद्दों पर भी चर्चा की गई।

संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रतिष्ठानों (Microsoft Exchange और Solar Winds) पर चीनी साइबर हमले के बारे में और भारत, जापान तथा ऑस्ट्रेलिया में साइबर सुरक्षा संबंधी घटनाओं पर भी चर्चा की गई।

भारत का पक्ष: 

क्वाड अपने लोकतांत्रिक मूल्यों के चलते एकजुट है और भारत-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता का एक महत्त्वपूर्ण स्तंभ बना रहेगा।

इस समूह को प्राचीन भारतीय दर्शन वसुधैव कुटुंबकमका विस्तार कहा जाता है, जो दुनिया को एक परिवार मानता है।

अमेरिका का पक्ष: 

क्वाड एक सैन्य गठबंधन या उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (NATO) के समकक्ष नहीं है, यह अर्थव्यवस्था, प्रौद्योगिकी, जलवायु और सुरक्षा पर सहयोग करने का अवसर है।

समुद्री सुरक्षा, मानवीय और आपदा प्रतिक्रिया क्वाड एजेंडे के मूल में हैं।

भारत-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग के लिये QUAD एक महत्त्वपूर्ण क्षेत्र बनता जा रहा है।

ऑस्ट्रेलिया का पक्ष: 

क्वाड समूह के माध्यम से समान विचारधारा वाले लोकतंत्रों के एक नए स्थायी और शक्तिशाली क्षेत्रीय समूह की शुरुआत हो सकती है।जापान का पक्ष:

 

सदस्य देशों के शीर्ष नेताओं की बैठक के कारण क्वाड को नई गतिशीलता मिली है।

जापान एक स्वतंत्र और समृद्ध भारत-प्रशांत क्षेत्र और कोविड-19 से उभरने सहित क्षेत्र की शांति, स्थिरता के लिये ठोस योगदान करके अपने सहयोग को मज़बूती से आगे बढ़ाएगा।

चीन की आशंका: 

चीन ने कहा है कि देशों के बीच आदान-प्रदान और सहयोग तीसरे पक्ष को लक्षित करने के बजाय आपसी समझ से करना चाहिये और किसी विशेष गुट का पीछा करने से बचना चाहिये।

संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के शीर्ष राजनयिकों के बीच मार्च 2021 के अंत में अलास्का में बैठक होने वाली है।

QUAD को खुलेपन, समावेशिता और जीत के परिणामों के सिद्धांतों को बनाए रखना चाहिये और ऐसे कार्यों को करना चाहिये जो क्षेत्रीय शांति, स्थिरता और समृद्धि के अनुकूल हों।

क्वाड क्या है 

  • चतुर्भुज सुरक्षा संवाद’ (QUAD- Quadrilateral Security Dialogue) अर्थात् क्वाड भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के बीच अनौपचारिक रणनीतिक वार्ता मंच है।
  • यह 'मुक्त, खुले और समृद्ध' भारत-प्रशांत क्षेत्र सुनिश्चित करने और उसके समर्थन के लिये इन देशों को एक साथ लाता है।
  • क्वाड की अवधारणा औपचारिक रूप से सबसे पहले वर्ष 2007 में जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंज़ो आबे द्वारा प्रस्तुत की गई थी, हालाँकि चीन के दबाव में ऑस्ट्रेलिया के पीछे हटने के कारण इसे आगे नहीं बढ़ाया जा सका।
  • शिंज़ो आबे द्वारा वर्ष 2012 में हिंद महासागर से प्रशांत महासागर तक समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये ऑस्ट्रेलिया, भारत, जापान और अमेरिका को शामिल करते हुए एक डेमोक्रेटिक सिक्योरिटी डायमंड’ (Democratic Security Diamond) स्थापित करने का विचार प्रस्तुत किया गया।
  • क्वाडसमूह की स्थापना नवंबर 2017 में हिंद-प्रशांत क्षेत्र को किसी बाहरी शक्ति (विशेषकर चीन) के प्रभाव से मुक्त रखने हेतु नई रणनीति बनाने के लिये हुई और आसियान शिखर सम्मेलन के एक दिन पहले इसकी पहली बैठक का आयोजन किया गया।
  • क्वाड के सभी चार देशों (जापान, भारत, ऑस्ट्रेलिया और यूएसए) ने वर्ष 2020 में मालाबार अभ्यास (Malabar Exercise) में भाग लिया।
  • मालाबार अभ्यास भारत, जापान और संयुक्त राज्य अमेरिका की नौसेनाओं के बीच होने वाला एक वार्षिक त्रिपक्षीय नौसेना अभ्यास है, जिसे भारतीय तथा प्रशांत महासागरों में बारी-बारी से आयोजित किया जाता है।

संगे ज्वालामुखी

हाल ही में इक्वाडोर स्थित संगे ज्वालामुखी में हुए विस्फोट के बाद इससे निकले राख के बादल आकाश में 8,500 मीटर (लगभग 28, 890 फीट) की ऊँचाई तक पहुँच गए।

संगे ज्वालामुखी:   

  • संगे ज्वालामुखी इक्वाडोर के साथ-साथ विश्व के सबसे सक्रिय ज्वालामुखियों में से एक है।
  • संगे एंडीज़ के उत्तरी ज्वालामुखी क्षेत्र में स्थित सबसे दक्षिणी मिश्रित ज्वालामुखी (लावा और राख की वैकल्पिक परतों से बना एक ज्वालामुखी) है। यह 5230 मीटर ऊँचा है।
  • एंडीज़ विश्व की सबसे लंबी पर्वत शृंखला (जल के ऊपर) है और इसमें विश्व की कुछ सबसे ऊँची चोटियाँ शामिल हैं।
  • संगे राष्ट्रीय उद्यान एंडीज़ पर्वतों के पूर्वी हिस्से में इक्वाडोर के मध्य भाग में स्थित है। यह एक विश्व धरोहर स्थल है।

विस्फोट: 

इस ज्वालामुखी में विस्फोट का सबसे पुराना मामला वर्ष 1628 में दर्ज किया गया है। वर्ष 1728 से वर्ष 1916 के बीच तथा पुनः वर्ष 1934 से वर्तमान तक कमोबेश निरंतर विस्फोट के मामले देखे गए थे। 

इक्वाडोर के अन्य प्रमुख ज्वालामुखी: 

इक्वाडोर, पैसिफिक रिम के "रिंग ऑफ फायर" क्षेत्र का हिस्सा है और इस देश में आठ ज्वालामुखी हैं, जैसे- कोटोपेक्सी (5,897 मी.), कैम्बे (5,790 मी.), पिचिंचा (4,784 मी.) आदि।

ज्वालामुखी विस्फोट:

परिचय: 

ज्वालमुखी क्रिया के अंतर्गत पृथ्वी के आतंरिक भाग में मैग्मा व गैस के उत्पन्न होने से लेकर भू-पटल के नीचे व ऊपर लावा के प्रकट होने तथा शीतल व ठोस होने तक की समस्त प्रक्रियाएँ शामिल की जाती हैं।

 इसका सबसे आम परिणाम आबादी का स्थानांतरण है, क्योंकि अक्सर लावा के प्रवाह से बचने के लिये बड़ी संख्या में लोगों को भागने के लिये विवश होना पड़ता है।

प्रकार: ज्वालामुखीय गतिविधि और ज्वालामुखी क्षेत्रों को आमतौर पर छह प्रमुख प्रकारों में विभाजित किया जाता है: 

आइसलैंडिक (Icelandic):

इसमें पिघला हुआ बेसाल्टी लावा लंबे और समानांतर दरार  (Parallel Fissure) से बहता है। इस प्रकार का बहाव अक्सर लावा पठारों का निर्माण करता है।

हवाईयन (Hawaiian):

यह आइसलैंडिक ज्वालामुखी के समान ही होता है। हालाँकि इसमें ज्वालामुखी के शिखर व त्रिज्यीय दरारों से तरल लावा का प्रवाह होता है, इससे शील्ड ज्वालामुखी का निर्माण होता है, जो काफी बड़े होते हैं और मंद ढलान वाले होते हैं।

स्ट्राम्बोलियन (Strombolian):

इनमें गर्म गैसों के मध्यम विस्फोट शामिल होते हैं जो चक्रीय या लगभग निरंतर छोटे विस्फोटों में तापदीप्त लावा को थक्के के रूप में बाहर निकालते हैं।

इस तरह के कम अंतराल वाले निरंतर विस्फोटों के कारण इटली के उत्तर-पूर्वी तट से दूर स्ट्रॉमबोली द्वीप पर स्थित स्ट्रोम्बोली ज्वालामुखी को "भूमध्य सागर का प्रकाश स्तंभ" कहा गया है।

वल्कैनियन (Vulcanian):

इसका नाम स्ट्रोमबोली के पास वल्केनो द्वीप से प्रेरित है, इस ज्वालामुखी में आमतौर पर ज्वालामुखी की राख से भरे गैस के विस्फोट होते हैं। यह मिश्रण गहरे, अशांत बादलों का निर्माण करता है जो तेज़ी से ऊपर उठते है और घुमावदार आकार में फैल जाते हैं।

पिलियन:

इसका अभिप्राय ऐसे विस्फोट से है, जो पाइरोक्लास्टिक प्रवाह उत्पन्न करते हैं, यह गर्म गैस और ज्वालामुखीय पदार्थ का एक घना मिश्रण होता है।

इन विस्फोटों द्वारा उत्पन्न द्रवीय मिश्रण (fluidized slurries) हवा की तुलना में भारी होते हैं, किंतु इनमें कम श्यानता होती है और ये तीव्र वेग के साथ ढलानों से नीचे गिरते हैं, नतीजतन ये बेहद विनाशकारी होते हैं।

पीनियन:

यह तीव्र ज्वालामुखी विस्फोट का एक प्रकार है। इस प्रकार के विस्फोट में गैस युक्त मैग्मा से निकलने वाली गैसें तीव्र विस्फोट उत्पन्न करती हैं, जिसके माध्यम से मैग्मा बाहर निकलता रहता है।