पंजाब सरकार ने फसल का पैसा सीधे किसान के अकाउंट में भेजने से किया इंकार, आढ़तियों के साथ बैठक में अमरिंदर का फैसला
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना जिसमें किसानों को अपनी फसल की कीमत सीधे उनके अकाउंट में मिलेगी देश के विभिन्न राज्यों में लागू हो गई है, इस योजना के लागू होने के बाद किसान को उसकी फसल का पूरा मूल्य अपने अकाउंट में मिलेगा, इसी क्रम में केंद्र सरकार ने पंजाब सरकार को आदेश दिया था कि वह पंजाब में किसानों के खाते में सीधी अदायगी ( DBT) की योजना लागू करे, लेकिन कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पंजाब में DBT लागू करने से इंकार कर दिया, पंजाब सरकार के इस फैसले के बाद केंद्र और राज्य सरकार के बीच विवाद गहरा गया है.
गौरतलब है मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने आढ़तियों (कमीशन एजेंट) के साथ बैठक के दौरान किसानों को सीधी अदायगी करने से इन्कार कर दिया है। बैठक में फैसला किया गया कि मुख्यमंत्री इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे, क्योंकि प्रधानमंत्री वर्तमान में विभिन्न राज्यों के चुनाव में व्यस्त हैं तो कैप्टन फिलहाल सीधी अदायगी न किए जाने को लेकर पत्र लिखेंगे।
कैप्टन ने आढ़तियों को बताया कि इस मुद्दे पर उन्होंने 19 मार्च को प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से निजी तौर पर मुलाकात की थी। वहीं पंजाब के खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री भारत भूषण आशु भी इसी मामले में अमित शाह से मुलाकात कर चुके हैैं। कैप्टन ने आढ़तियों को भरोसा दिया कि पंजाब सरकार किसानों को आढ़तियों के जरिए अदायगी करने के लिए बनी प्रणाली को तबाह करने वाले केंद्र सरकार के कदम के खिलाफ लड़ाई लड़ेगी।
आढ़तियों का 131 करोड़ रुपये का बकाया जारी करने के आदेश
कैप्टन ने संबंधित विभाग को राज्य सरकार की तरफ बकाया आढ़तियों की 131 करोड़ रुपये की राशि जारी करने के आदेश भी दिए। कैप्टन ने कहा कि फसल खरीद की सीधी अदायगी किसानों के खाते में डालने के मुद्दे पर वह आढ़तियों के साथ हैं और उनके दरवाजे आढ़तियों के लिए हमेशा खुले हैं।
हरियाणा के आढ़तियों ने दिया धोखा : कालड़ा
बैठक के दौरान फेडरेशन आफ आढ़ती एसोसिएशन आफ पंजाब के प्रधान विजय कालड़ा ने आरोप लगाया कि हरियाणा के आढ़तियों ने केंद्र के सीधी अदायगी के प्रस्ताव को स्वीकार करके उनसे धोखा किया है। एसोसिएशन अदायगी की मौजूदा व्यवस्था कायम रखने के लिए संघर्ष कर रही है। वहीं, मंडी में लाई जाने वाली उपज को जमीनी रिकार्ड के साथ जोड़ने की भी एपीएमसी एक्ट में कोई व्यवस्था नहीं है। अगर ऐसा करना है तो एक्ट में संशोधन करना पड़ेगा।
डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) से क्या फायदा है?
DBT का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसमें किसी तरह के फ्रॉड की कोई गुंजाईश नहीं रहती है, जब लाभार्थी के खाते में सरकार सीधे तौर पर पैसे ट्रांसफर करती है तो इसमें बिचौलियों की कोई भूमिका नहीं रहती है. इस प्रकार सरकारी योजना का पूरा फायदा लाभार्थी को मिल जाता है.
इसके लिए लाभार्थी के आधार नंबर की भी जरूरत होती है ताकि सरकार यह सुनिश्चित कर सके कि सही लाभार्थी के पास ही लाभ मिल रहा है या नहीं. चूंकि, आधार भारत में एक तरह की यूनिवर्सल ID, ऐसे में सरकार को वास्तविक लाभार्थी की पहचान करने में आसानी होती है.