फकीर की दुआ कहानी । हिंदी लघुकथा । Hindi Short Stories
दरवाजे पर एक फकीर धीमी आवाज में पुकार रहा था 'कुछ खाने को दे दो, रोटी दे दो खाने के लिए।' बड़ी देर हो गई लेकिन किसी ने दरवाजा नहीं खोला। फकीर भी लगातार पुकारता रहा। आखिर में घर से एक महिला बाहर निकल कर आई बोली- 'आगे जाओ बाबा अभी घर में कुछ नहीं है।' बाबा ने कहा-' कोई बात नहीं, दुआ ले लो। तुम्हारे घर में वैसे ही लोग बीमार हैं।'
महिला को आश्चर्य हुआ उसने पूछा- बाबा आपको कैसे पता ? फकीर ने कहा-' ये मत पूछो कैसे पता, बस ये पानी ले लो सबको पिला देना सब ठीक हो जाएगा।' दुआ देकर फकीर चला गया। कुछ दिनों बाद उस महिला के घर के सभी सदस्य ठीक हो गए। महिला पूरे शहर में फकीर को ढूंढ रही थी, जो उसे एक मंदिर के बाहर बैठे मिले महिला कहा- 'बाबा आपके चमत्कार से हम ठीक हो गए।'
फकीर मुस्कुरा कर बोला- 'वो पानी सादा था, कोई चमत्कार नहीं था उसमें।'
महिला ने कहा- 'फिर आपको कैसे पता चला कि घर में सब बीमार हैं ? फकीर बोला-'आपके पड़ोस के घर से मुझे मालूम चला कि आपके यहां सब बीमार हैं इसलिए वहां मांगने मत जाना अन्यथा तुम भी बीमार हो जाओगे। लेकिन मैं फिर भी भिक्षा मांगने आया। बेटा तुम सिर्फ इस विश्वास के कारण ठीक हुए हो कि मेरे दिए हुए पानी में ईश्वर का चमत्कार था। दरअसल हम ईश्वर को नहीं उसके चमत्कार को ढूंढते हैं। वैसे ही बीमारी का डर तुम्हें और बीमार कर रहा था। आसपास के लोगों की दूरी तुम्हारे आत्मविश्वास को खत्म कर चुकी थी। मैंने बस उसी विश्वास को जगाया है। जाओ बेटा, बस ईश्वर पर विश्वास रखो लोगों के शरीर से दूरी रखना किन्तु आत्मा से नहीं।' कहते हुए वह फकीर चला गया।