बच्चों
में कोविड-19
खतरे
और सावधानियांCovid-19 Dangers and Precautions in Children
सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर की निदेशक डॉ. रंजना
अग्रवाल ने अपनी प्रारंभिक टिप्पणी में ‘जिज्ञासा’, जोकि वर्ष 2017 के मध्य में शुरू हुई
छात्रों-वैज्ञानिकों को जोड़ने की पहल है और जिसका उद्देश्य स्कूली छात्रों में 'वैज्ञानिक चेतना' पैदा करना और उन्हें विज्ञान उन्मुख
बनाना है, के
जरिए दो महान संस्थानों, वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) और केन्द्रीय
विद्यालय संगठन (केवीएस) के बीच असाधारण संबंधों पर प्रकाश डाला। उन्होंने आगे कहा
कि 'जिज्ञासा' ने वास्तव में न केवल छात्रों के बीच
एक सराहनीय प्रभाव पैदा किया है, बल्कि वैज्ञानिकों में भी उत्साह जगाया है। उन्होंने कहा कि 'जिज्ञासा' छात्रों को सीधे वैज्ञानिकों के साथ
बातचीत करने का अवसर प्रदान करता है और इस तरह युवा दिमाग को नवीन सोच और
दृष्टिकोण की ओर प्रेरित करता है। दीर्घकालिक स्तर पर, विशेष रूप से समाज के लिए फायदेमंद
विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास के संदर्भ में इस पहल से प्रभावशाली परिणाम
मिलने की उम्मीद है।
एसबीएमसीएच, चेन्नई के बाल रोग विभाग के प्रोफेसर
और आईएपी केईबी सदस्य प्रो. आर. सोमशेखर, ने सूक्ष्म विवरणों को शामिल करते हुए
"बच्चों में कोविड-19: खतरे और सावधानियां" विषय पर एक व्यापक मुख्य
भाषण दिया। उन्होंने कहा कि बच्चों में कोविड-19 का अभी भी मध्यम असर है। भले ही
बच्चे सार्स-कोव-2 वायरस की चपेट में हैं, फिर भी उनमें से अधिकांश बिना लक्षण
वाले हैं और मात्र 1-2% को अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। डॉ. सोमशेखर ने माता-पिता
को वयस्कों से संक्रमण के संचरण की संभावना और इन दिनों बच्चों में बढ़ते जठरांत्र
संबंधी लक्षणों के बारे में आगाह किया। उन्होंने समझाया कि अन्य फ्लू और सामान्य
सर्दी के बीच कोविड -19 लक्षणों की पहचान और अंतर कैसे करें।
डॉ. सोमशेखर ने कहा कि कोविड -19 ने अब तक कर्नाटक को छोड़कर भारत में बच्चों को ज्यादा प्रभावित नहीं किया है। उन्होंने बच्चों के लिए कोविड-19 के उपचार के विभिन्न विकल्पों पर चर्चा की। सत्र को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने हमारे दैनिक जीवन में अपनाए जाने लायक कुछ उपायों के बारे में सुझाव दिया: शारीरिक व्यायाम, बच्चों के साथ खेलना, स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने वाले खाद्य पदार्थों से बचना, अच्छी नींद, मास्क पहनना, संतुलित आहार और उम्र के अनुसार टीकाकरण। सबसे महत्वपूर्ण बात के रूप में, उन्होंने लक्षणों और बच्चे के व्यवहार में बदलाव पर कड़ी नजर रखने की सलाह दी।
डॉ. वाई. माधवी, वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक, सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर ने चर्चा का संचालन किया और समापन सत्र का सार प्रस्तुत किया। श्री आर. एस. जयसोमू, मुख्य वैज्ञानिक, सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर ने धन्यवाद प्रस्ताव पेश किया। डॉ. एन. के. प्रसन्ना, वैज्ञानिक, सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर ने इस कार्यक्रम को सफलतापूर्वक आयोजित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर के समस्त कर्मचारियों ने इस कार्यक्रम की पहुंच बढ़ाने में सक्रिय भूमिका निभाई।