अंकुर' कार्यक्रम मध्य प्रदेश : मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान 5 जून विश्व पर्यावरण दिवस करेंगे शुभारंभ
मुख्यमंत्री श्री शिवराज
सिंह चौहान 5 जून विश्व पर्यावरण दिवस पर भोपाल के स्मार्ट सिटी पार्क में
पौध-रोपण कर 'अंकुर' कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ करेंगे। पूरे
प्रदेश में शुरू होने वाले इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री श्री चौहान, पर्यावरण मंत्री श्री हरदीप सिंह डंग वीडियो
कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जिला नोडल अधिकारी और चयनित जिलों के 5-5 प्रतिभागी और
सत्यापनकर्ताओं से संवाद करेंगे। 'वायुदूत
एप' के माध्यम अब तक प्रदेश के लगभग 14 हजार
प्रतिभागियों ने अपना पंजीयन कराया है।
विजेता होंगे प्राणवायु अवार्ड से सम्मानित
'अंकुर' कार्यक्रम का उद्देश्य
'अंकुर' कार्यक्रम का उद्देश्य हरित क्षेत्र में वृद्धि के साथ प्रदेश को स्वच्छ पर्यावरण और प्राणवायु से समृद्ध प्रदेश बनाना है। कार्यक्रम में फलदार-छायादार वृक्षों का पौध-रोपण और देखभाल करने वाले जिलेवार चयनित विजेताओं को मुख्यमंत्री 'प्राणवायु'' अवार्ड से सम्मानित कर प्रमाण-पत्र प्रदान करेंगे।
अंकुर' कार्यक्रम में कैसे होंगे शामिल
'वायुदूत एप
कार्यक्रम में भाग लेने के लिये प्रतिभागियों को गूगल
प्ले स्टोर से 'वायुदूत
एप'' डाउनलोड कर पंजीयन कराना
होगा। प्रतिभागियों को स्वयं के संसाधन से कम से कम एक पौध का रोपण कर पौधे की
फोटो तथा एक माह बाद रोपित पौधे की नई फोटो पुन: एप पर डाउनलोड करना होगी।
प्रतिभागी सहभागिता प्रमाण-पत्र डाउनलोड कर सकेंगे। कार्यक्रम के क्रियान्वयन के
लिये पर्यावरण नियोजन समन्वय संगठन (एप्को) को नोडल एजेंसी बनाया गया है। विजेताओं
को 'वृक्षवीर''
और 'वृक्ष वीरांगना''
के
रूप में जाना जायेगा। विजेताओं में 50 प्रतिशत पुरुष और 50 प्रतिशत महिलाएँ होंगी।
इसी तरह आधे पुरस्कार ग्रामीण और आधे शहरी क्षेत्र के लिये होंगे।
पौध-रोपण घर के आँगन, शासकीय,
अशासकीय
भूमि, सामुदायिक स्थानों पर किये जा सकेंगे। पौध-रोपण
के पहले प्रतिभागी को संबंधित भू-स्वामी से सहमति लेनी होगी। शासकीय और सामुदायिक
स्थल पर किये गये पौध-रोपण से भविष्य में होने वाले लाभों के प्रथम हकदार समाज या
राज्य शासन होंगे। यह शर्त निजी भूमि पर लागू नहीं होगी। पौध-रोपण से प्रतिभागी को
उक्त भूमि के स्वामित्व का कोई अधिकार नहीं होगा। प्रतिभागी केवल प्रतियोगिता के
संभावित पुरस्कार के ही हकदार होंगे। इच्छुक प्रतिभागियों को स्थल एवं वृक्ष
प्रजाति का चयन और पौधे की सुरक्षा स्वयं करना होगी।