सम्पूर्ण चाणक्य नीति अर्थ सहित 01
चाणक्य के अनुसार ऐसे व्यक्ति की मृत्यु किसी भी समय हो सकती है
दुष्टा भार्या शठं मित्रं भृत्यश्चोत्तरदायकः ।
ससर्पे च गृहे वासो मृत्युरेव न संशयः ॥
शब्दार्थ-
जिस आदमी की स्त्री दुष्ट हो, जिसके मित्र नीच स्वभाव के हों और
नौकर-चाकर जवाब देने वाले हों और जिस घर में सांप रहता हो, ऐसे घर में रहने वाला व्यक्ति निश्चय
ही मृत्यु के करीब रहता है;
अर्थात् ऐसे व्यक्ति की मृत्यु किसी भी
समय हो सकती है।
आचार्य चाणक्य के मतानुसार, दुष्टा से आशय
आचार्य चाणक्य के मतानुसार, धूर्त मित्र से आशय
- आचार्य चाणक्य के मतानुसार, दुष्टा से आशय कटु बोलने वाली दुराचारिणी स्त्री, धूर्त मित्र से अर्थ धूर्त स्वभाव वाला मित्र और सामने बोलने वाला या जवाब देने वाला नौकर- ये योग्य नहीं होते हैं। इन्हें अपने से दूर कर देना चाहिए। ये किसी भी संमय मृत्यु-तुल्य नुकसान कर सकते हैं। इनकी तुलना घर में रहने वाले सांप से की गयी है, जो कभी भी मृत्यु का कारण बन सकता है।
 
चाणक्य के अनुसार ऐसे व्यक्ति का घर नर्क हो जाता है
- किसी भी घर गृहस्थी वाले इंसान के लिए उसकी पत्नी का दुष्ट होना उसके लिए इस संसार में घर नर्क के समान कहा जाता है। यदि पत्नी अपने पति के प्रति श्रद्धापूर्वक समर्पण भावना नहीं रखती तो व्यक्ति तनाव में रहता है-वह आत्महत्या तक के लिए तैयार हो जाता है। इसी तरह मित्र की नीचता, नौकर का मुंहफट होना सदा घर में रहने वाले सांप की तरह कष्टदायक होता है।
 
चाणक्य के अनुसार  स्त्री, मित्र, नौकर से ऐसा व्यवहार करना चाहिए 
आचार्य चाणक्य का मत है कि स्त्री, मित्र, नौकर को बहुत नीति के साथ व्यवहार में लाना चाहिए। उनसे बहुत
सन्तुलित व्यवहार रखना चाहिए। यह व्यवहार सन्तुलन बिगड़ जाये तो उन्हें अपने से
दूर कर देना ही हितकर है अन्यथा घर में रहने वाले सर्प की तरह नुकसान निश्चित है।
