प्रागैतिहासिक काल और राजस्थान का इतिहास | Prehistoric period and history of Rajasthan - Daily Hindi Paper | Online GK in Hindi | Civil Services Notes in Hindi

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सोमवार, 7 जून 2021

प्रागैतिहासिक काल और राजस्थान का इतिहास | Prehistoric period and history of Rajasthan

 

राजस्थान का इतिहास

प्रागैतिहासिक काल और राजस्थान का इतिहास

प्रागैतिहासिक काल और राजस्थान का इतिहास | Prehistoric period and history of Rajasthan



प्रागैतिहासिक काल और राजस्थान का इतिहास 


  • कर्नल जेम्स टॉड को राजस्थान के इतिहास का प्रणेता कहा जाता है 
  • पाषाण काल का समय लगभग 25 लाख ई.पू. से 1000 ई.पू. तक माना जाता है पाषाण काल को तीन भागो में विभाजित किया गया है पुरा पाषाण काल, मध्य  पाषाण काल एवं नव  पाषाण काल|
  • राजस्थान में पाषाण के अवशेष अजमेर , चित्तौरगढ़, भीलवाड़ा, जालौर, टोंक, अलवर, उदयपुर, जयपुर आदि स्थानों से मिले है 
  • कालीबंगा का शाब्दिक अर्थ है काले रंग की चूड़ियाँ जो गंगानगर के निकट सरस्वती-घग्गर नदियों के किनारे बसा था   कालीबंगा की खोज सबसे पहले अमलानंद घोष ने 1951 में की थी और इसका उत्खलन कार्य बी.के. थापर व बी.पी. लाल के निर्देशन में किया गया| कालीबंगा से हड़प्पा संस्कृति के अवशेष मिले है
  • आहड़ राजस्थान के उदयपुर के निकट बनास नदी घटी में स्थित था आहड़ के आस पास तांबा बहुत अधिक मात्र में पाया जाता था इसलिए इसे तम्रावती य ताम्बवती के नाम से भी जाना जाता था
  • आहड़ स्थल का उत्खलन ए.के.व्यास , एच.डी. सांकलिया के निर्देशन में किया गया
  • आहड़ संस्कृति का काल लगभग 2100  से 1500  ई.पू. तक माना जाता है

 

महाजनपद काल और राजस्थान का इतिहास 

 

  • प्राचीन भारत के सोलह महाजनपदो में से दो महाजनपद मत्स्य व अवन्ती राजस्थान में स्थित थे. मतस्य महाजनपद का संस्थापक राजा विराट था इसी के नाम पर इसकी राजधानी का नाम विराटनगर रखा गया था. अवन्ती महाजनपद के दो भाग थे उत्तरी अवन्ती व दक्षिणी अवन्ती उत्तरी अवन्ती की राजधानी उज्जियनी तथा दक्षिणी अवन्ती की राजधानी महिष्मति थी अवन्ती का राजा चंडप्रघोत महात्मा बुद्ध का समकालीन था .