आयकर विभाग की कानपुर और दिल्ली छापामारी | IT Raid Delhi Kanpur - Daily Hindi Paper | Online GK in Hindi | Civil Services Notes in Hindi

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शनिवार, 31 जुलाई 2021

आयकर विभाग की कानपुर और दिल्ली छापामारी | IT Raid Delhi Kanpur


आयकर विभाग की  कानपुर और दिल्ली छापामारी | IT Raid Delhi Kanpur

 

आयकर विभाग ने 29.07.2021 को कानपुर और दिल्ली स्थित एक बड़े समूह पर तलाशी की कार्रवाई की। यह समूह पान मसालों के निर्माण और रियल एस्टेट के कारोबार से जुड़ा है। कानपुर, नोएडा, गाजियाबाद, दिल्ली और कोलकाता में फैले कुल 31 परिसरों की तलाशी ली गई।

 

 यह समूह पान मसालों की बिना हिसाब बिक्री तथा बिना लेखाजोखा वाले रियल एस्‍टेट कारोबार के जरिये बड़ी मात्रा में धन अर्जित करता रहा है। इस अघोषित धन को शेल कंपनियों के एक विशाल लिंक के माध्यम से वापस कारोबार में लगाया जा रहा था। तलाशी के दौरान मिले डिजिटल और कागजी साक्ष्‍यों से पता चला कि समूह ने ऐसी कागजी कंपनियों का एक राष्ट्रव्यापी नेटवर्क बना रखा था। इन कंपनियों के निदेशकों के पास आय का कोई साधन नहीं है। जहां इनमें से कुछ व्यक्ति आयकर रिटर्न भी दाखिल नहीं कर रहे हैं, वहीं कुछ अन्य जो रिटर्न दाखिल करते हैं, वे बहुत कम राशि के लिए रिटर्न दाखिल करते हैं। इन जांचों से यह भी पता चला कि इन कागजी कंपनियां का उल्लिखित पतों पर कोई अस्तित्‍व नहीं था और उन्‍होंने कभी भी कोई व्यवसाय नहीं किया।

 

 हालांकि, इन कंपनियों ने केवल तीन वर्षों में रियल एस्टेट समूह को 226 करोड़ रुपये का तथाकथित ऋण और अग्रिम राशि प्रदान की। ऐसी 115 शेल कंपनियों का नेटवर्क पाया गया है। डिजिटल डेटा का फोरेंसिक विश्लेषण किया जा रहा है। मुख्य 'निदेशकों' ने भी स्वीकार किया कि वे केवल 'डमी निदेशक' थे और उन्‍हें जब उनकी 'सेवाओं' के लिए कमीशन की आवश्‍यकता पड़ती थी, तो वे डॉटेड लाइन पर हस्ताक्षर करते थे।

 

तलाशी के दौरान, आयकर टीमों ने गुप्त ठिकानों का भी पता लगाया, जहां बेहिसाब धन के विवरणों तथा काले धन को वैध बनाने से संबंधित ढेर सारे दस्तावेज पाए गए। ऐसे दस्तावेजों और साक्ष्‍यों का विश्लेषण किया जा रहा है। टीम ने 'कैश हैंडलर्स' की भूमिका और उनके विवरण सहित काम करने के उनके पूरे तौर-तरीकों का खुलासा किया है।

 

 पान मसाला के कारोबार के संबंध में भी उनके काम करने के तौर-तरीके समान ही रहे हैं। उन्होंने भी ऐसी शेल कंपनियों के व्यापक नेटवर्क के माध्यम से अपनी बेहिसाब आय को वापस अपने कारोबार में लगाया। पता चला है कि ऐसी कागजी कंपनियों से प्राप्त बेहिसाब ऋण और प्रीमियम की राशि तीन वर्षों में 110 करोड़ रुपये से भी अधिक रही है। समूह ने संपत्ति की बिक्री, फर्जी ऋण और शेयर प्रीमियम के बदले नकली अग्रिम दिखाकर ऐसी शेल कंपनियों के माध्यम से प्राप्‍त अघोषित धन को वापस अपने कारोबार में लगा दिया।

 

साक्ष्‍यों का फोरेंसिक विश्लेषण प्रगति पर है। शेल कंपनियों के अब तक 34 नकली बैंक खाते मिले हैं। बायोडिग्रेडेबल कचरे के निपटान के संबंध में आयकर अधिनियम, 1961 के तहत दावा की गई कटौतियों की भी विस्तृत जांच की जा रही है। यह भी पता चला है कि कोलकाता स्थित इन कागज कंपनियों में से कुछ के माध्यम से 80 करोड़ रुपये तक की राशि की खाद की झूठी बिक्री और खरीद प्रदर्शित की गई है, ताकि इस नकदी को बैंक खातों में जमा किया जा सके।

 

 तलाशी के दौरान, 7 किलोग्राम से ज्यादा सोना और 52 लाख रुपये से अधिक की नकदी बरामद हुई है। प्रारंभिक आंकड़े 400 करोड़ रुपये से अधिक के अघोषित लेनदेन की ओर संकेत करते हैं। आगे की जांच जारी है।