सुप्रीम कोर्ट ने केरल सरकार के उस फैसले पर
नाराजगी जाहिर की है जिसमें उसने ईद पर लोगों को दुकानें खोलने की इजाजत दी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह कांवड़ यात्रा में दिए आदेश का पालन करें, जिसमें कोर्ट ने लोगों के जीने का
स्वास्थ्य के अधिकार को सर्वोपरि माना था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह चौंकाने
वाली बात है कि केरल सरकार ने लॉकडाउन के नियमों में ढील देने की व्यापारियों की
मांग को मान लिया है। शीर्ष अदालत ने व्यापारियों के दबाव में बकरीद से पहले ढील
देने के लिए केरल सरकार को फटकार लगाई और कहा कि यह "माफी योग्य" नहीं
है।
हालांकि तमाम टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने बकरीद
के मौके पर छूट देने के केरल सरकार के नोटिफिकेशन को अपनी तरफ से रद्द नहीं किया।
आज छूट का आखिरी दिन था, इसलिए कोर्ट ने माना कि अब वक्त निकल चुका है। न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन और न्यायमूर्ति बी आर
गवई की पीठ ने कहा कि केरल सरकार ने बकरीद के अवसर पर पाबंदियों में इस तरह की छूट
देकर देश के नागरिकों के लिए राष्ट्रव्यापी महामारी के जोखिम को बढ़ा दिया है। पीठ
ने कहा, "हम
केरल सरकार को संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत निहित जीवन के अधिकार पर ध्यान देने
का निर्देश देते हैं।"
कोर्ट ने कहा कि केरल सरकार कांवड़ यात्रा में
दिए हमारे आदेश को ध्यान में रखे, जिसमें कोर्ट ने आर्टिकल 21 के तहत जीने के अधिकार को सर्वोपरि करार
दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि दबाव में आकर किसी की जिंदगी से खिलवाड़ नहीं
कर सकते। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर बकरीद पर छूट की वजह से कोरोना फैला तो कड़ी
कार्रवाई होगी।
कोर्ट ने कहा कि केरल सरकार ने बकरीद के अवसर
पर इस तरह की छूट देकर देश के नागरिकों के लिए राष्ट्रव्यापी महामारी के जोखिम को
बढ़ा दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर बकरीद के कारण केरल सरकार द्वारा
लॉकडाउन में ढील के कारण कोविड संक्रमण फैलता है, तो कोई भी व्यक्ति इसे अदालत के
संज्ञान में ला सकता है जो उचित कार्रवाई करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी भी
तरह का दबाव भारत के नागरिकों के जीवन के अधिकार के सबसे कीमती अधिकार का उल्लंघन
नहीं कर सकता है। अगर कोई अप्रिय घटना होती है तो कोई भी इसे हमारे संज्ञान में ला
सकता है और उसके अनुसार कार्रवाई की जाएगी।
राज्य सरकार के फैसले का किया गया था विरोध
इससे पहले केरल में ईद-उल-अजहा के पर्व पर
कोविड संबंधी पाबंदियों में छूट देने के राज्य सरकार के निर्णय का कई संगठन और
नेता ने भारी विरोध किया था। भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) से लेकर विश्व हिन्दू
परिषद (विहिप) तक ने इस निर्णय को वापस लेने की मांग की थी। वहीं यह मामला अब
सुप्रीम कोर्ट में आ पहुंचा है। शीर्ष अदालत ने केरल सरकार से इस पर जवाब मांगा
था। बता दें कि केरल में तीन दिन के लिए पांबदियों में ढील दी गई थी।
आईएमए ने रविवार को केरल सरकार से बकरीद से
पहले कोविड-19 प्रतिबंधों में ढील देने के फैसले को वापस लेने का अनुरोध करते हुए
इसे चिकित्सा आपातकाल के समय 'गैरजरूरी और अनुचित' बताया था। डॉक्टरों के शीर्ष संगठन ने कहा था कि यदि केरल सरकार इस
फैसले को वापस नहीं लेती तो वह सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगा।
राज्य सरकार ने दी थी पाबंदियों में ढील
बता दें कि केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन
ने शनिवार को कोविड संबंधी पाबंदियों में कुछ ढील देने का ऐलान किया था। विजयन ने
यहां संवाददाता सम्मेलन में छूट की घोषणा करते हुए कहा था कि बकरीद को देखते हुए
कपड़ा, जूते-चप्पल
की दुकानों, आभूषण, फैंसी स्टोर, घरेलू उपकरण बेचने वाली दुकानों और
इलेक्ट्रॉनिक दुकानों, हर तरह की मरम्मत की दुकानों तथा आवश्यक सामान बेचने वाली दुकानों को
18, 19
और 20 जुलाई को सुबह सात बजे से रात आठ बजे तक ए, बी, और सी श्रेणी के क्षेत्रों में खोलने
की इजाजत दी गई है।
उन्होंने कहा था कि डी श्रेणी के क्षेत्रों में इन दुकानों को केवल 19 जुलाई को खोलने की अनुमति होगी। जिन इलाकों में संक्रमण दर पांच फीसदी से कम है वे ए श्रेणी में हैं, पांच से दस फीसदी संक्रमण वाले क्षेत्र बी श्रेणी में, दस से 15 प्रतिशत वाले क्षेत्र सी श्रेणी में और 15 फीसदी से अधिक संक्रमण वाले क्षेत्र डी श्रेणी में हैं।