बेंगलुरु, 23 जुलाई
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने ट्विटर
इंडिया के प्रबंध निदेशक मनीष माहेश्वरी को अपराध दंड प्रकिया संहिता (सीआरपीसी)
की धारा 41ए के तहत जारी किए गए उत्तर प्रदेश पुलिस की नोटिस को शुक्रवार को
निरस्त कर दिया। यह नोटिस ट्विटर पर पोस्ट किए गए एक वीडियो को लेकर दर्ज
प्राथमिकी के संबंध में था।
न्यायमूर्ति जी नरेंद्र ने इस मामले
में सुनवाई करते हुए कहा कि धारा 41 ए के तहत जारी की गयी नोटिस पुलिस की ओर से एक
दुर्भावनापूर्ण कार्य था और पुलिस ने इस तथ्य पर ध्यान नहीं दिया कि याचिकाकर्ता
को प्राथमिकी में आरोपी के रूप में नहीं रखा गया था।
इस कथित वीडियो में दिखाया गया है कि
एक मुस्लिम व्यक्ति को 'जय श्री राम' और 'वंदे मातरम' के नारे लगाने के लिए मजबूर किया गया था। उत्तर प्रदेश
पुलिस ने दावा किया कि हमला व्यक्तिगत था और कथित हमलावर हिंदू और मुस्लिम दोनों
थे।
पुलिस के अनुसार, इस वीडियो के साथ छेड़छाड़ की गई थी और और ट्विटर ने इस
भड़काऊ सामग्री के प्रसार को रोकने के लिए अपनी तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की थी।
न्यायालय ने कहा कि धारा 41 ए के तहत
जारी किए नोटिस को सीआरपीसी की धारा 160 के तहत नोटिस के रूप में पढ़ा जाएगा और
पुलिस को यह छूट है कि वह याचिकाकर्ता से या तो वर्चुअल तरीके से या उसके आधिकारिक
अथवा निजी आवास पर जाकर बातचीत करके बयान या जानकारी हासिल कर सकती है।
न्यायमूर्ति नरेंद्र ने कहा कि धारा 41ए को लागू करने से अदालत के मन में यह संदेह पैदा होता है कि यह प्रतिवादी पुलिस द्वारा 'हाथ मरोड़ने का तरीका' था। अदालत ने यह भी कहा कि पुलिस ने याचिकाकर्ता की इस दलील पर भी कोई ध्यान नहीं दिया कि अमेरिका स्थित ट्विटर इंडिया और ट्विटर इंक दो अलग-अलग संस्थाएं हैं और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पोस्ट की गई सामग्री पर ट्विटर इंडिया का कोई नियंत्रण नहीं है।