राज्यसभा ने आज 105वें संविधान संशोधन विधेयक पारित: राज्यों को मिला ओबीसी सूची बनाने का अधिकार |105th Constitutional Amendment in Rajya Sabha today - Daily Hindi Paper | Online GK in Hindi | Civil Services Notes in Hindi

Breaking

बुधवार, 11 अगस्त 2021

राज्यसभा ने आज 105वें संविधान संशोधन विधेयक पारित: राज्यों को मिला ओबीसी सूची बनाने का अधिकार |105th Constitutional Amendment in Rajya Sabha today

105वें संविधान संशोधन विधेयक 
राज्यसभा ने आज 105वें संविधान संशोधन विधेयक को पारित
राज्यसभा ने आज 105वें संविधान संशोधन विधेयक को पारित: राज्यों को मिला ओबीसी सूची बनाने का अधिकार |105th Constitutional Amendment in Rajya Sabha today



11 अगस्त 


राज्यसभा ने आज 105वें संविधान संशोधन विधेयक को पारित कर दिया जिससे अब राज्यों को फिर से अन्य पिछड़े वर्ग (ओबीसी) की सूची बनाने का अधिकार मिल गया है।

लोकसभा इस विधेयक को पहले की पारित कर चुकी है और इस तरह से इस संविधान संशोधन विधेयक पर संसद की मुहर लग गयी है। इस विधेयक के पक्ष में 187 मत पड़े जबकि विरोध में शून्य।

राज्यसभा में करीब पांच घंटे तक चली चर्चा का सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉ. वीरेन्द्र कुमार द्वारा जवाब देने के बाद सदन ने इसे मत विभाजन के जरिये पारित कर दिया। संविधान संशोधन विधेयक होने के कारण इस पर मतदान करना पड़ा क्योंकि इस तरह केे विधेयक के लिए सदन में उपस्थित दो तिहाई सदस्यों की सहमति की जरूरत होती है। हालांकि सभी राजनीतिक दलों ने इस विधेयक का समर्थन किया था और इसे पारित कराने का आश्वासन दिया था।


(127 वें संशोधन) विधेयक के नाम को बदल कर संविधान (105वां संशोधन) विधेयक किया गया


विधेयक को पारित करने से पूर्व संविधान (127 वें संशोधन) विधेयक के नाम को बदल कर संविधान (105वां संशोधन) विधेयक किया गया।

चर्चा का जवाब देते हुए डॉ. वीरेन्द्र कुमार ने कहा कि इस विधेयक के पारित होने के बाद राज्य सरकारों की सूची के अनुसार ओबीसी समुदाय के लोगों को शिक्षा और नौकरी में आरक्षण मिलने का मार्ग प्रशस्त होगा एवं कल्याणकारी योजनाओं के लाभ मिलेंगे। उन्होंने कहा कि ओबीसी समुदाय के हितों की रक्षा को लेकर सरकार की नीति और नीयत दोनों साफ हैं। वर्ष 2018 में 102वें संविधान संशोधन के समय सबने उसका समर्थन किया था और विसंगति को लेकर कोई इशारा नहीं किया था। इस विधेयक से राज्यों के जो अधिकार खत्म हो गये थे, उन्हें बहाल किया गया है।

डॉ. कुमार ने कहा कि आरक्षण को लेकर सरकार ने उच्चतम न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दायर की थी जिस पर अदालत ने साफ किया था कि 102वें संशोधन से संविधान के बुनियादी ढांचे और संघीय व्यवस्था पर कोई असर नहीं पड़ता है। उन्होंने कहा कि एक जुलाई को उच्चतम न्यायालय द्वारा पुनरीक्षण याचिका रद्द किये जाने के बाद सरकार ने विधेयक लाने का फैसला किया। इस विधेयक के पारित होने से महाराष्ट्र के अलावा अन्य राज्यों को भी फायदा होगा।

इसके बाद पीठासीन अधिकारी सस्मित पात्रा ने इस विधेयक को मत विभाजन के जरिये पारित कराया। कुछ सदस्यों ने इसमें संशोधन के प्रस्ताव दिये थे जिसे मत विभाजन और ध्वनिमत से निरस्त कर दिये गये।