विश्व रेबीज दिवस 2021: थीम (विषय) उद्देश्य महत्व
विश्व रेबीज दिवस रेबीज की रोकथाम के बारे में
जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रतिवर्ष 28 सितंबर को मनाया जाता है। यह दिवस फ्रांस के प्रसिद्ध रसायनज्ञ और
सूक्ष्मजीवविज्ञानी लुई पाश्चर की पूण्यतिथि के अवसर पर 28 सितंबर मनाया जाता है, जिन्होंने पहला रेबीज टीका विकसित
विकसित किया था तथा रेबीज रोकथाम की नींव रखी।
यह समुदायों, व्यक्तियों, गैर सरकारी संगठनों और सरकारों को
एकीकृत करने तथा अपने कार्यों को सांझा करने का अवसर है।
विश्व रेबीज दिवस थीम
- विश्व रेबीज दिवस थीम 2021 : रेबीज: तथ्य, डर नहीं'
- 2020 की थीम ‘एंड रेबीज: कोलाबोरेट, वैक्सीनेट' थी.
- 2019 के लिए थीम ‘रेबीज: वैक्सीनेट टू एलिमिनेशन' थी.
- 2018 की थीम थी ‘रेबीज: संदेश साझा करें, एक जीवन बचाएं'.
प्रतिवर्ष विश्व रेबीज दिवस के लिए अलग विषय
चयन किया जाता है। विश्व रेबीज दिवस वर्ष 2021 का विषय “रेबीज तथ्य : डरें नहीं ” है। यह विषय रेबीज रोकने के लिए शिक्षा
और जागरूकता के महत्व पर प्रकाश डालता है`। कोई भी व्यक्ति अलग-अलग स्तरों पर रेबीज़ की जानकारी सांझा कर सकता
है जैसे कि नीति-स्तर पर "वर्ष 2030 तक रेबीज से शून्य मानव मृत्यु" का लक्ष्य प्राप्त करना है तथा
समुदायिक स्तर पर जानकारी जैसे कि घावों का उपचार, (कुत्ते के काटने के मामले में घाव और पोस्ट एक्सपोजर टीकाकरण देखभाल)
और स्कूली बच्चों के लिए कुत्ते के काटने से बचाव की शिक्षा देकर रेबीज़ से बचाव
किया जा सकता है।
रेबीज क्या है?
रेबीज एक विषाणु जनित रोग है। जब तक इसके लक्षण
शुरू होते हैं, तब तक यह हमेशा घातक होता है, लेकिन यह पूरी तरह से रोकथाम योग्य है।
इसके बावजूद विश्व में अफ्रीका और एशिया के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले नब्बे
प्रतिशत बच्चों की मृत्यु के साथ हर वर्ष रेबीज से अनुमानित 59000 लोगों की मृत्यु हो जाती हैं।
भारत में रेबीज एक बड़ी सार्वजनिक स्वास्थ्य
समस्या है, जिससे प्रतिवर्ष अनुमानित 20,000 लोगों की मृत्यु हो जाती है। यह
अंडमान और निकोबार तथा लक्षद्वीप को छोड़कर सारे देश में स्थानिक है।
यह जानवरों से मनुष्यों में फैलता है तथा
मनुष्यों के लगभग निन्यानबे प्रतिशत मामलों में कारण कुत्ते का काटना होता है।
मनुष्य के शरीर में रेबीज़ का वायरस, रेबीज़ से पीड़ित जानवर के काटने, उससे होने वाले घाव और खरोंच एवं लार से प्रवेश करता है। कुत्ते के
काटने के बाद रेबीज के लक्षण एक से तीन महीने में दिखाई देते हैं।
बच्चे (पांच से पंद्रह वर्ष की आयु के बीच के
बच्चे) अपने चंचल स्वभाव के कारण कुत्ते के काटने और रेबीज़ के प्रति अतिसंवेदनशील
होते हैं, क्योंकि वे प्राय: कुत्ते के काटने और
रोग के बारे में जागरूकता के बिना कुत्तों के साथ खेलते हैं। बच्चे प्राय: डांट के
डर से बचने के लिए माता-पिता से कुत्ते के काटने/घावों को छुपाते हैं। कभी-कभी
बच्चा कुत्तों के हमला किए जाने पर काटने/खरोंच से अवगत नहीं होता है तथा
माता-पिता अक्सर हमले को अनदेखा करते हैं या गर्म मिर्च या हल्दी जैसे घरेलू
उत्पादों लगाकर घाव का उपचार करते हैं।
रेबीज की रोकथाम-
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार ने रेबीज के कारण मनुष्य
मृत्यु से बचाव और रेबीज (कुत्ते) नियंत्रण के माध्यम से रेबीज के संचारण को रोकने
के उद्देश्य से राष्ट्रीय रेबीज नियंत्रण कार्यक्रम" को लागू किया है*।
कार्यक्रम के अनुसार रेबीज, कुत्ते के काटने के तुरंत बाद
चिकित्सीय देखभाल की आवश्यकता के महत्व और विभिन्न निवारक उपायों के बारे में जन
जागरूकता उत्पन्न की जानी चाहिए। लोगों को निम्नलिखित तथ्यों के बारे में शिक्षित
किया जाना चाहिए-
कुत्ते के काटने से बचने के लिए लोगों विशेषकर
बच्चों को कुत्ते के व्यवहार और उसकी शारीरिक भाषा (जैसे कि क्रोध, संदिग्धता, मित्रता) के बारे में शिक्षित करें।
रेबीज की रोकथाम के लिए कुत्ते के काटने पर
पोस्ट एक्सपोजर टीकाकरण (काटने के बाद टीकाकरण) लें।
यदि कुत्ता काटता है→साबुन और पानी से दस मिनट तक धोएं→ स्वास्थ्य केंद्र जाएं→ काटने के उपचार के लिए (घाव की देखभाल
+ प्रोफिलैक्सिस अर्थात् पीईपी- काटने के बाद) टीकाकरण लें।
कुत्तों के टीकाकरण से रेबीज रोकें।
उच्च ज़ोखिम वाले समूहों जैसे कि वायरस और
संक्रमित सामग्री संभालने वाले प्रयोगशाला कर्मचारियों, मनुष्यों में रेबीज के मामलों को
संभालने वाले चिकित्सकों और व्यक्तियों, पशु चिकित्सकों, पशु
संभालने और पकड़ने वाले व्यक्तियों, वन्यजीव वार्डन को प्री एक्सपोजर टीकाकरण (पूर्व-ज़ोखिम टीकाकरण) लेने
की सलाह दी जाती है।
क्या न करें-
हाथ से घाव छूना।
कटे घाव पर मिट्टी, मिर्च, तेल, जड़ी-बूटियां, चाक, पान की पत्तियों जैसे उत्तेजक पदार्थ लगाना।
विश्व रेबीज दिवस संदेश:
अपने कुत्ते का टीकाकरण कराएं। रेबीज के खिलाफ़
कुत्तों के टीकाकरण से आप अपनी एवं अपने परिवार की सुरक्षा भी कर सकते हैं।
कुत्ते के काटने से बचें: कुत्ते की शारीरिक
भाषा को पढ़ना सीखें, उन्हें तंग न करें या उन पर हमला न
करें।
बच्चों को सिखाएं कि यदि कोई जानवर उन्हें कटता
या खरोंच मारता है, तो वे ये बात उन्हें
(अभिभावक/माता-पिता को) बताएं। ऐसा करने के लिए बच्चे को प्रोत्साहित करें।
घाव को तुरंत दस मिनट तक धोएं और टीकाकरण के बारे में अपने चिकित्सक से परामर्श करें।