बावनगजा ऋषभदेव की मूर्ति की ऊंचाई बावनगजा बड़वानी के बारे में जानकारी
बावनगजा ऋषभदेव की मूर्ति की ऊंचाई
- सरकारी आंकड़ों के आधार पर बावनगजा
में आदिनाथ (ऋषभदेव
की 25.6 मीटर)
ऊंची (मोनोलिथ) प्रतिमा
(1 मीटर में 3.28 फीट , 1 गज में भी लगभग 3 फीट
होते हैं ) यदि फीट में बात की जाये तो जैन साहित्यों में बावनगजा
में आदिनाथ ऋषभदेव
की मूर्ति की ऊंचाई 84 फीट होने की जानकारी मिलती है।
- कुछ
स्थानो में आदिनाथ ऋषभदेव
की मूर्ति की ऊंचाई 72 फीट होने की जानकारी मिलती है।
बावनगजा बड़वानी के बारे में जानकारी
- बावनगजा बड़वानी से
दक्षिण दिशा में आठ किलोमीटर दूर है, जहां 1,220 मीटर ऊंचे सतपुड़ा पर्वत के मध्य भाग में जैन धर्म के आदि
तीर्थंकर भगवान आदिनाथ (ऋषभदेव
की 25.6 मीटर) ऊंची (मोनोलिथ) प्रतिमा
पहाड़ पर ही उकेरी गई है। यह प्रतिमा बावनगजा के नाम से प्रसिद्ध और विश्व की
सर्वोत्तम विशाल, शिल्प- वैभव संपन्न जैन प्रतिमा मानी जाती है। बावनगजा की
प्रतिमा में केवल आकार में ही ऊंचाई नहीं, वरन् वीतरागता, सौम्यता एवं कला और भाव प्रवणता की ऊंचाईयां भी विद्यमान हैं।
बावनगजा में बावन हाथ ऊंची भगवान आदिनाथ की मूर्ति
- प्रतिमा का शिल्प
विधान भी अनूठा और समानुपातिक है, उसके अंग प्रत्यंग सुडौल हैं और मुख पर विराग, करूणा
और हास्य की छवि मुखरित है। प्रतिमा के दाएं-बाएं भगवान के सेवक के रूप में
यक्ष- यक्षिणी की मूर्तियां भी उत्कीर्ण हैं। इस प्रतिमा के निर्माण-काल की
पूर्ण प्रामाणिक जानकारी उपलब्ध नहीं है। लेकिन बारहवीं तेरहवीं शताब्दी के
एक विद्वान और अर्जुन वर्मन परमार (1210-18) के दरबार रत्न भट्टारक मदन् कीर्ति द्वारा लिखित शासन
चतुस्त्रिंशिका नामक ग्रंथ में इस प्रतिमा का ऐसा उल्लेख अवश्य मिलता है, कि
वृहत्पुर (बड़वानी का प्राचीन नाम ) नामक नगर में बावन हाथ ऊंची भगवान आदिनाथ
की एक मूर्ति साधनावस्थित है, जिसे वृहद् देव (बावनगजा) कहा जाता है। मूर्ति का निर्माण
अर्क कीर्ति नाम के राजा ने करवाया था। इससे यह अनुमान अवश्य लगता है, कि
यह प्रतिमा भट्टारक कीर्ति के समय में भी अवस्थित थी। मदन कीर्ति का इतिहास
सम्मत समय 12वीं 13वीं शताब्दी है।
- कुछ विद्वानों की यह भी मान्यता है, कि
बावनगजा प्रतिमा बीसवें तीर्थंकर मुनि सुव्रतनाथ की समकालीन है और इसे
रामायणकालीन शिल्पियों ने तैयार किया था। जनश्रुति है, कि
प्राचीन समय में हाथ को गज मानने की परम्परा प्रचलित होने के कारण ही इस
प्रतिमा का नाम बावनगजा पड़ा ।
नोट : बावनगजा में आदिनाथ ऋषभदेव की मूर्ति की ऊंचाई 84 फीट (25.6 मीटर) है ना की 52 गज या 52 फीट । यदि नाम के आधार पर 52 गज माना जाए तो यह लगभग 156 फीट होगा जो की गलत होगा। बावन हाथ ऊंची भगवान आदिनाथ की एक मूर्ति होने से इसे वृहद् देव (बावनगजा) कहा जाता है।