मुझसे बुरा न कोय दोहे का हिन्दी अर्थ |
Mujhsey Bura Na Koi Dohe Ka Hindi Arth
बुरा जो देखन मैं चला , बुरा ना मिलया कोय ,
जो दिल खोजा आपना , मुझसे बुरा न कोय। ।
निहित शब्द – कोय – कोई , अपना – अपना।
मुझसे बुरा न कोय दोहे का हिन्दी अर्थ व्याख्या –
उपयुक्त पंक्ति में कबीर कहते हैं कि बुराइयां खोजते-खोजते मुझे बहुत समय हो गया है। जब मैं बुराई की खोज में निकलता हूं तो मुझे अनेकों – अनेक प्रकार की बुराइयां नजर आती है। मैं इन बुराइयों को देख – देखकर बहुत ही आनंदित होता हूं। परन्तु जब मैंने बुराइयों को अपने भीतर खोजना आरंभ किया तो मेरे अंदर व्याप्त बुराइयों के आगे सांसारिक बुराइयां कम है। अर्थात बुराइयां व्यक्ति के अंदर समाहित होती है। उन बुराइयों को दूर करना चाहिए ना कि संसार में बुराइयों को खोजना चाहिए। पहले स्वयं की बुराई दूर होएगी उसके पश्चात ही जगत से बुराई का ह्रास हो सकेगा।