लाला लाजपत राय का जीवन परिचय। लाला लाजपत राय के राजनीतिक गुरु । Short Biography lala Laj pat rai - Daily Hindi Paper | Online GK in Hindi | Civil Services Notes in Hindi

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रविवार, 14 नवंबर 2021

लाला लाजपत राय का जीवन परिचय। लाला लाजपत राय के राजनीतिक गुरु । Short Biography lala Laj pat rai

   लाला लाजपत राय का जीवन एवं राजनीतिक गुरु

लाला लाजपत राय का जीवन परिचय लाला । लाला लाजपत राय के राजनीतिक गुरु  । Short Biography lala Laj pat rai



लाला लाजपत राय का जीवन परिचय

जन्म 28 जनवरी, 1865

मृत्यु  17 नवम्बर,1928

 

  • 28 जनवरी 1865 को पंजाब के मोगा जिले में लाला लाजपत राय का जन्म हुआ था. लाला लाजपतराय के माता पिता उन्हें प्रेम से लाजपत राय कहकर बुलाते थे. लाजपत राय के पिता जी वैश्य थे, किंतु उनकी माती जी सिक्ख परिवार से थीं. अलग अलग धर्म के होने के बाद भी दोनों एक दूसरे को बहुत अच्छी तरह से समझते थे.


  • लाला लाजपतराय जी ने स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद कानून की उपाधि प्राप्त करने के लिए 1880 में लाहौर के राजकीय कॉलेजमें प्रवेश लिया. इस दौरान वे आर्य समाज के आंदोलन में शामिल हो गए. लालाजी ने कानूनी शिक्षा पूरी करने के बाद जगरांव में वकालत शुरू कर दी. इसके बाद उन्होंने हरियाणा के रोहतक और हिसार शहरों में वकालत की. स्वामी दयानंद सरस्वती के निधन के बाद लालाजी ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर एंग्लो वैदिक कॉलेज के विकास के प्रयास करने शुरू कर दिए.  

  • लाला लाजपत राय भारत के महानतम स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे।
  • उन्हें 'पंजाब केसरी' (Punjab Kesari) और 'पंजाब का शेर' (Lion of Punjab) नाम से भी जाना जाता था।
  • उन्होंने लाहौर के गवर्नमेंट कॉलेज से कानून की पढ़ाई की।
  • वे स्वामी दयानंद सरस्वती से प्रभावित होकर लाहौर में आर्य समाज (Arya Samaj) में शामिल हो गए।
  • उनका विश्वास था कि हिंदू धर्म में आदर्शवादराष्ट्रवाद (Nationalism) के साथ मिलकर धर्मनिरपेक्ष राज्य (Secular State) की स्थापना करेगा।
  • बिपिन चंद्र पाल और बाल गंगाधर तिलक के साथ मिलकर उन्होंने चरमपंथी नेताओं की  एक तिकड़ी (लाल-बाल-पाल) बनाई।
  • ये हिंदू महासभा (Hindu Mahasabha) से भी जुड़े थे।
  • उन्होंने छुआछूत के खिलाफ अपना विरोध प्रदर्शित किया।
  • वे भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस (Indian National Congress- INC) में शामिल हो गए और पंजाब के कई राजनीतिक आंदोलनों में हिस्सा लिया।
  • राजनीतिक आंदोलनों में हिस्सा लेने के कारण उन्हें वर्ष 1907 में बर्मा भेज दिया गया था, लेकिन पर्याप्त सबूतों के अभाव में कुछ महीनों बाद वे वापस लौट आए।
  • उन्होने बंगाल विभाजन का विरोध किया।
  • उन्होंने वर्ष 1917 में अमेरिका में होम रूल लीग ऑफ अमेरिका (Home Rule League of America) की स्थापना की और इसके द्वारा अमेरिका में अंतर्राष्ट्रीय  समुदाय से भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के लिये नैतिक समर्थन मांगा।
  • उन्हें अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कॉन्ग्रेस (All India Trade Union Congress) का अध्यक्ष भी चुना गया था।
  • उन्होंने वर्ष 1920 में कॉन्ग्रेस के नागपुर अधिवेशन में गांधी जी के असहयोग आंदोलन (Non-Cooperation Movement) का समर्थन किया।
  • उन्होंने रौलेट एक्ट (Rowlatt Act) और उसके बाद होने वाले जलियांवाला बाग  हत्याकांड (Jallianwala Bagh massacre) का विरोध किया।
  • उन्हें वर्ष 1926 में केंद्रीय विधानसभा का उप नेता चुना गया।
  • वर्ष 1928 में उन्होंने साइमन कमीशन के साथ सहयोग करने से इनकार करते हुए विधानसभा में एक प्रस्ताव रखा क्योंकि आयोग में किसी भी भारतीय सदस्य को शामिल नहीं किया गया था।
  • उन्होंने  अकाल पीड़ित लोगों की मदद करने और उन्हें मिशनरियों के चंगुल से बचाने के लिये वर्ष 1897 में हिंदू राहत आंदोलन ( Hindu Relief Movement) की स्थापना की।
  • उन्होंने वर्ष 1921 में सर्वेंट्स ऑफ पीपुल सोसाइटी ( Servants of People Society) की स्थापना की।
  • उनके द्वारा लिखित महत्त्वपूर्ण साहित्यिक कृतियों में यंग इंडिया, इंग्लैंड डेब्ट  टू इंडियाएवोल्यूशन ऑफ जापान, इंडिया विल टू फ्रीडम, भगवद्गीता का संदेश, भारत का राजनीतिक भविष्य, भारत में राष्ट्रीय शिक्षा की समस्या, डिप्रेस्ड ग्लासेस और अमेरिका का यात्रा वृतांत शामिल हैं।
  • उन्होंने हिसार बार काउंसिल, हिसार आर्य समाज, हिसार कॉन्ग्रेस, राष्ट्रीय डीएवी प्रबंध समिति जैसे कई संस्थानों और संगठनों की स्थापना की।
  • वे आर्य गजट के संपादक एवं संस्थापक थे।
  • उन्होने वर्ष 1894 में पंजाब नेशनल बैंक की आधारशिला रखी।


लाला लाजपत राय की मृत्यु कब और कैसे हुई 


  • वर्ष 1928 में जब वे लाहौर में साइमन कमीशन के खिलाफ एक मौन विरोध का नेतृत्व कर रहे थे तो उन पर पुलिस अधीक्षक जेम्स स्कॉट द्वारा बेरहमी से लाठीचार्ज किया गया जिसमें वे गंभीर रूप से घायल हो गए और कुछ ही हफ्तों बाद उनकी मृत्यु हो गई।


लाला लाजपत राय के राजनीतिक गुरु 


लाला लाजपत राय के राजनीतिक गुरु मैजिनी थे। इटली के क्रांतिकारी मैजिनी को लाजपतराय अपना आदर्श मानते थे। किसी पुस्तक में जब उन्होंने मैजिनी का भाषण पढ़ा तो उससे इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने मैजिनी की जीवनी पढ़नी चाही। वह भारत में उपलब्ध नहीं थी। उन्होंने उसे इंग्लैंड से मंगवाया। मैजिनी द्वारा लिखी गई अभूतपूर्व पुस्तक ड्यूटीज ऑफ मैनका लाला लाजपतराय ने उर्दू में अनुवाद किया। लाला लाजपत राय को भारत के महान क्रांतिकारियों में गिना जाता है।