बैंगनी क्रांति : अरोमा मिशन पूरे देश से स्टार्ट-अप्स और कृषकों को आकर्षित कर रहा - Daily Hindi Paper | Online GK in Hindi | Civil Services Notes in Hindi

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रविवार, 16 जनवरी 2022

बैंगनी क्रांति : अरोमा मिशन पूरे देश से स्टार्ट-अप्स और कृषकों को आकर्षित कर रहा

 बैंगनी क्रांति

बैंगनी क्रांति : स्टार्ट-अप्स इंडिया"में "बैंगनी क्रांति"जम्मू और कश्मीर का योगदान है।Baigni Kranti


स्टार्ट-अप्स इंडिया"में "बैंगनी क्रांति"जम्मू और कश्मीर का योगदान है”, 2016 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस पहल की शुरुआत की थी

 

देश आज (16 January 2022 )पहला राष्ट्रीय स्टार्ट-अप दिवस मना रहा है



केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज यहां कहा कि "स्टार्ट-अप इंडिया"में "बैंगनी क्रांति"जम्मू-कश्मीर का योगदान है। उन्होंने बताया कि इस पहल की शुरुआत 2016 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने की थी और आज हम पहला राष्ट्रीय स्टार्ट-अप दिवस मना रहे हैं।


बैंगनी क्रांति के बारे में जानकारी 

  • लैवेंडर इत्र का उपयोग अगरबत्ती बनाने के लिये किया जाता है।
  • आयातित सुगंधित किस्मों को घरेलू किस्मों से प्रतिस्थापित करके घरेलू सुगंधित फसल आधारित कृषि अर्थव्यवस्था का निर्माण करना।
  • इसका मुख्य उत्पाद लैवेंडर तेल है, जो कम-से-कम 10,000 रुपए प्रति लीटर  बिकता है।
  • हाइड्रोसोल, जो फूलों से आसवन के बाद बनता है, साबुन और फ्रेशनर बनाने के लिये उपयोग किया जाता है। 

अरोमा मिशन

  • अरोमा (सुगंध) उद्योग एवं ग्रामीण रोज़गार के विकास को बढ़ावा देने के लिये कृषि, प्रसंस्करण और उत्पाद विकास क्षेत्रों में वांछित हस्तक्षेप के माध्यम से अरोमा (सुगंध) क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन लाना है।
  • यह मिशन ऐसे आवश्यक तेलों के लिये सुगंधित फसलों की खेती को बढ़ावा देगा, जिनकी अरोमा (सुगंध) उद्योग में काफी अधिक मांग है।
  • यह मिशन भारतीय किसानों और अरोमा (सुगंध) उद्योग को मेन्थॉलिक मिंटजैसे कुछ अन्य आवश्यक तेलों के उत्पादन और निर्यात में वैश्विक प्रतिनिधि बनने में मदद करेगा।
  • इसका उद्देश्य उच्च लाभ, बंजर भूमि के उपयोग और जंगली एवं पालतू जानवरों से फसलों की रक्षा करके किसानों को समृद्ध बनाना है।

 


केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के जरिए अरोमा मिशन की शुरुआत की थी, जिसने भारत में प्रसिद्ध "बैंगनी क्रांति"को जन्म दिया है। 


इस बारे में मंत्री ने बताया कि सीएसआईआर ने कई जिलों में खेती के लिए जम्मू स्थित अपनी प्रयोगशाला- इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंटीग्रेटिव मेडिसिन (आईआईआईएम) के जरिए उच्च मूल्‍य की जरूरी तेल वाली लैवेंडर फसल की शुरुआत की थी। शुरुआत में डोडा, किश्तवाड़, राजौरी और इसके बाद अन्य जिलों, जिनमें रामबान और पुलवामा आदि शामिल हैं, इसे शुरू किया गया था। उन्होंने आगे कहा कि थोड़े ही समय में अरोमा/लैवेंडर की खेती कृषिगत स्टार्ट-अप के लिए कृषि में एक लोकप्रिय विकल्प बन गई है।

 

डॉ. जितेंद्र सिंह ने एक तथ्य, जिसके बारे अधिकांश लोगों को जानकारी नहीं है, उसे साझा किया। उन्होंने बताया कि डोडा जिले के सुदूर गांव खिलानी के रहने वाले भारत भूषण नाम के एक युवा सफलता की अनुकरणीय कहानी बन चुके हैं। भूषण ने सीएसआईआर-आईआईआईएम के सहयोग से लगभग 0.1 हेक्टेयर भूमि में लैवेंडर की खेती शुरू की। इसके बाद जैसे-जैसे लाभ होना शुरू हुआ, उन्होंने अपने घर के आस-पास मक्के के खेत के एक बड़े क्षेत्र को भी लैवेंडर के बगान में बदल दिया। मंत्री ने आगे बताया कि आज उन्होंने 20 लोगों को काम पर रखा है, जो उनके लैवेंडर के खेतों और पौधशाला (नर्सरी) में काम कर रहे हैं। वहीं, उनके जिले के लगभग 500 किसानों ने भी मक्के को छोड़कर बारहमासी फूल वाले लैवेंडर पौधे की खेती शुरू करके भारत भूषण का अनुसरण किया है।


डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, दुर्भाग्यपूर्ण है कि स्थानीय मीडिया में यह कभी नहीं बताया गया कि आईआईआईएम, जम्मू अरोमा और लैवेंडर की खेती में संलग्न स्टार्ट-अप्स को उनकी उपज बेचने में सहायता कर रही है। मुंबई स्थित अजमल बायोटेक प्राइवेट लिमिटेड, अदिति इंटरनेशनल और नवनैत्री गमिका जैसी प्रमुख कंपनियां इसकी प्राथमिक खरीदार हैं।


आजादी का अमृत महोत्सव के अवसर पर डॉ. जितेंद्र सिंह ने घोषणा की कि सीएसआईआर ने अरोमा मिशन का पहला चरण पूरा होने के बाद इसका दूसरा चरण शुरू किया है। आईआईएम के अतिरिक्त अब सीएसआईआर-आईएचबीटी, सीएसआईआर-सीआईएमएपी, सीएसआईआर-एनबीआरआई और सीएसआईआर-एनईआईएसटी भी अरोमा मिशन में हिस्सा ले रही हैं।


अरोमा मिशन पूरे देश से स्टार्ट-अप्स और कृषकों को आकर्षित कर रहा है। इसके पहले चरण के दौरान सीएसआईआर ने 6000 हेक्टेयर भूमि पर खेती में सहायता की। इस मिशन को देश के 46 आकांक्षी जिलों में संचालित किया गया। इसके तहत 44,000 से अधिक लोगों को प्रशिक्षित किया गया और किसानों को कई करोड़ रुपये की आय की प्राप्ति हुई है। वहीं, अरोमा मिशन के दूसरे चरण में पूरे देश के 75,000 से अधिक कृषक परिवारों को लाभान्वित करने के उद्देश्य से 45,000 से अधिक कुशल मानव संसाधनों को इसमें शामिल करने का प्रस्ताव है।