क्वांटम प्रयोगशाला मध्यप्रदेश : भारतीय सेना ने महू (मध्य प्रदेश) में क्वांटम प्रयोगशाला की स्थापना की । MP Qunatam Lab - Daily Hindi Paper | Online GK in Hindi | Civil Services Notes in Hindi

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रविवार, 2 जनवरी 2022

क्वांटम प्रयोगशाला मध्यप्रदेश : भारतीय सेना ने महू (मध्य प्रदेश) में क्वांटम प्रयोगशाला की स्थापना की । MP Qunatam Lab

 भारतीय सेना  ने महू (मध्य प्रदेश) में क्वांटम प्रयोगशाला की स्थापना की

क्वांटम प्रयोगशाला मध्यप्रदेश :  भारतीय सेना  ने महू (मध्य प्रदेश) में क्वांटम प्रयोगशाला की स्थापना की । MP Qunatam Lab



भारतीय सेना उभरते हुए प्रौद्योगिकी डोमेन के क्षेत्र में स्थिर और महत्वपूर्ण प्रगति कर रही है। राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय (एनएससीएस) के सहयोग से सेना ने हाल ही में प्रौद्योगिकी के प्रमुख विकासशील क्षेत्र में अनुसंधान एवं प्रशिक्षण के लिए महू (मध्य प्रदेश) के मिलिट्री कॉलेज ऑफ टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियरिंग- एमसीटीई में क्वांटम प्रयोगशाला की स्थापना की है। थल सेनाध्यक्ष जनरल एम एम नरवणे को उनकी हाल की महू यात्रा के दौरान इसके बारे में सूचना दी गई थी।

भारतीय सेना ने इसी संस्थान में एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) केंद्र भी स्थापित किया है, जिससे प्रमुख क्षेत्रों में 140 से अधिक नियुक्तियां की गई हैं और इसे उद्योग एवं शिक्षाविदों का सक्रिय सहयोग प्राप्त है। यहां पर अत्याधुनिक साइबर रेंज तथा साइबर सुरक्षा प्रयोगशालाओं के माध्यम से साइबर संघर्ष पर प्रशिक्षण दिया जा रहा है। पिछले वर्ष अक्टूबर में विद्युत चुंबकीय स्पेक्ट्रम एवं राष्ट्रीय सुरक्षा पर आयोजित एक संगोष्ठी में विद्युत चुंबकीय स्पेक्ट्रम संचालन में सेना की भागीदारी के लिए विचार किया गया था। तब से ही भारतीय सेना के प्रौद्योगिकी संस्थानों को एआई, क्वांटम और साइबर में निवेश करने के लिए प्रोत्साहन दिया जा रहा है।

क्वांटम प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारतीय सेना द्वारा किए गए शोध अगली पीढ़ी की संचार व्यवस्था तक तेजी से पहुंचने में मदद करेंगे और भारतीय सशस्त्र बलों में क्रिप्टोग्राफी की वर्तमान प्रणाली को पोस्ट क्वांटम क्रिप्टोग्राफी (पीक्यूसी) में परिवर्तित कर देंगे। क्वांटम की डिस्ट्रब्यूशन, क्वांटम संचार, क्वांटम कंप्यूटिंग और पोस्ट क्वांटम क्रिप्टोग्राफी भविष्य के प्रमुख क्षेत्र हैं।

अकादमिक संस्थानों (जैसे आईआईटी), डीआरडीओ संगठनों, अनुसंधान संस्थानों, कॉरपोरेट फर्मों, स्टार्टअप्स और उद्योग के प्रमुख व्यक्तियों को शामिल करते हुए एक बहु-हितधारक दृष्टिकोण अपनाकर, यह पहल आत्मनिर्भर भारत के अतिरिक्त एक प्रमुख संचालन कारक के साथ नागरिक सैन्य संलयन का उपयुक्त उदाहरण है। परियोजनाओं के लिए पर्याप्त धन के साथ-साथ आवश्यक समयसीमा आधारित उद्देश्यों पर कार्य किया गया है और भारतीय सेना में समाधान के प्रगतिशील क्षेत्ररक्षण के तेजी से आधार पर अपेक्षित है।