राजस्थान पुलिस प्रशासन
राजस्थान पुलिस प्रशासन
- राज्य में कानून एवं शांति व्यवस्था बनाये रखने हेतु गृह विभाग का गठन किया गया है। यह विभाग राज्य के गृह मंत्री के अधीन तथा निर्देशन में कार्य करता है। गृह मंत्री की सहायता हेतु उनके अधीन सचिवालय स्तर पर गृह सचिव होता है। पुलिस प्रशासन के मुखिया का पदनाम वर्तमान में पुलिस महानिदेशक (डी.जी.पी.) है। भारतीय पुलिस सेवा के वरिष्ठतम् अधिकारी को इस पद पर नियुक्त किया जाता है। पुलिस का मुख्यालय जयपुर में है।
- सम्पूर्ण राजस्थान राज्य को पुलिस प्रशासन की दृष्टि से आठ रेंज में बांटा गया है। (अजमेर, बीकानेर, भरतपुर, जयपुर रेंज- प्रथम, जयपुर रेंज- द्वितीय, जोधपुर, कोटा, उदयपुर)।
- एक रेंज का आकार सामान्यतः एक संभाग के समान ही होता है। प्रत्येक रेंज का प्रमुख अधिकारी पुलिस महानिरीक्षक (आई.जी.) होता है, जो भारतीय पुलिस सेवा का अधिकारी होता है।
- प्रत्येक रेंज को जिलों में विभक्त किया गया है। पुलिस प्रशासन के जिलों की संख्या राजस्व एवं सामान्य प्रशासन की दृष्टि से निर्धारित किये गए जिलों से भिन्न होती है। जहाँ राजस्व एवं सामान्य प्रशासन की दृष्टि से राज्य में 33 जिले है, वहीं पुलिस के आन्तरिक प्रशासन की दृष्टि से कुल 38 जिले सृजित किये गए हैं।
- निम्न तीन जिलों में पुलिस प्रशासन की दृष्टि के अतिरिक्त जिले सृजित है: जयपुर में चार ( पूर्व, उत्तर, दक्षिण, ग्रामीण), कोटा में दो (शहरी, ग्रामीण), जोधपुर में दो (शहर, ग्रामीण) ।
- जिला स्तर पर एक पुलिस अधीक्षक (एस.पी.) होता है, जो सम्पूर्ण जिले की पुलिस का नियंत्रण करता है। जिले में पुलिस का प्रयोग जिलाधीश के निर्देशानुसार किया जाता है तथा पुलिस का आन्तरिक प्रशासन पुलिस अधीक्षक द्वारा देखा जाता है।
- जिले को वृत्त (Circle) में विभक्त किया जाता है। जहाँ वृत्ताधिकारी (सी.ओ) प्रमुख अधिकारी होता है। जो सामान्यतः राज्य पुलिस सेवा (आर. पी. एस) का अधिकारी होता है । वृत्त को पुलिस थानों में बाँटा जाता है तथा पुलिस थाने के अधीन सबसे छोटी इकाई पुलिस चौकी होती है। थाने का भार सामान्यतः पुलिस निरीक्षक अथवा उपनिरीक्षक के पास होता है। इसके अतिरिक्त हैडकांस्टेबल, कांस्टेबल इत्यादि होते हैं।
- अन्य विभागों का भी इसी प्रकार उच्च से अधीनस्थ कड़ी जोड़ता हुआ प्रशासनिक ढाँचा रहता है। जैसे शिक्षा, चिकित्सा, कृषि, वाणिज्य, उद्योग, पंचायती राज इत्यादि । समस्त प्रशासनिक विभाग मिल कर राज्य में विकास के कार्य सम्पन्न करते हैं। सभी विभागों के आपसी सामंजस्य एवं समन्वय से राज्य में जनहित के कार्य सम्पन्न किये जाते है तथा राज्य के विकास को नवीन दिशा प्रदान की जाती है।