केन-बेतवा लिंक परियोजना मध्यप्रदेश
केन-बेतवा लिंक परियोजना मध्यप्रदेश
- मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश के बुन्देलखण्ड अंचल में लम्बे अरसे से पेयजल और सिंचाई का संकट जग जाहिर रहा है। परिणाम स्वरूप यह क्षेत्र देश में आर्थिक रूप से कमजोर क्षेत्र के रूप में जाना जाता है। बुन्देलखण्ड का अधिकांश भू-खण्ड पथरीला है और सिंचाई के लिए पानी की कमी यहाँ के मेहनतकश रहवासियों को जीवन निर्वहन के लिये पलायन करने पर मजबूर करती है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने बुन्देलखण्ड क्षेत्र को "केन-बेतवा लिंक परियोजना'' की सौगात देते हुए एक नये विकसित बुन्देलखण्ड की परिकल्पना को साकार करने का महत्वाकांक्षी कदम बढ़ाया है। यह परियोजना पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी के सपने को साकार करते हुए बुन्देलखण्ड अंचल की तकदीर और तस्वीर बदलकर विकास की नई उड़ान भरेगी।
- लगभग 23733 वर्ग किलोमीटर में फैले बुन्देलखण्ड अंचल में "बेतवा-केन नदियों" को जीवन-रेखा कहा जाता है। इनके साथ ही धसान, सिंध (काली सिंध) नर्मदा का प्रवाह भी अंचल की आर्थिक समृद्धि में सहायक है।
- इस सब के बाबजूद बुन्देलखण्ड अंचल में पानी की गंभीर समस्या रही है। यही कारण रहा होगा कि अंचल में राजशाही के समय बड़ी संख्या में बड़े-बड़े तालाबों का निर्माण कराया गया, लेकिन घटती वर्षा और बढ़ते शहरीकरण से इन तालाबों का अस्तित्व समाप्त हो गया। परिणामस्वरूप सूखी खेती के साथ पेयजल समस्या ने भी विकराल रूप ले लिया।
- देश में श्री अटल बिहारी वाजपेयी ही ऐसे पहले प्रधानमंत्री थे, जिनका ध्यान बुंदेलखण्ड की इस समस्या पर गया। उन्होंने यह समझ लिया था कि पलायन रोकने और बुंदेलखण्ड के विकास के लिये यहाँ की पानी की समस्या को खत्म करना बेहद जरूरी है। इसीलिये अपने कार्यकाल के दौरान वर्ष 2002 में उन्होंने केन-बेतवा लिंक परियोजना की परिकल्पना तैयार करवाई। इसके जरिए उनका उद्देश्य बुंदेलखण्ड की दो बड़ी नदी केन एवं बेतवा को आपस में जोड़कर बारिश के पानी को बर्बाद होने से रोकना था, ताकि बारिश के पानी का संग्रहण और सही उपयोग हो और प्यासा बुंदेलखण्ड हरियाली से भरा क्षेत्र बन पाये। स्व. श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के बाद देश में कई सरकारें केन्द्र में आई और गई, मगर बुंदेलखण्ड की इस समस्या की ओर किसी ने ध्यान नहीं दिया। इसके बाद एक बार फिर जब भाजपा सरकार बहुमत के साथ केन्द्र में आई, तब प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने फिर से अटल जी के इस सपने को पूरा करने की ठानी। काफी समय तक यह परियोजना पानी बंटवारे के विवाद के चलते उलझी रही। करीब 19 वर्ष बाद प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के प्रयासों से पिछले वर्ष 2021 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ एवं मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के सहयोग से दोनों प्रदेश पानी बंटवारे पर सहमत हुए। उसके बाद इस परियोजना को आगे बढ़ाने की कवायद शुरू हुई।
- प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने इस बार आत्म-निर्भर अर्थ-व्यवस्था की तरफ एक और मजबूत कदम बढ़ाते हुए देश के अलग-अलग क्षेत्रों में नदियों को एक करने के प्रस्ताव को केन्द्रीय बजट में पास किया है। इसमें प्रधानमंत्री श्री मोदी द्वारा विशेष रूप से केन-बेतवा नदियों को लिंक करने के लिये 44 हजार 605 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत किया है। इस योजना में 90 प्रतिशत राशि केन्द्र सरकार खर्च करेगी। शेष दस फीसदी मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश सरकार खर्च करेगी। हम लोग पुराने समय से देखते आये हैं कि कई बार पानी के अभाव में बुंदेलखण्ड के किसानों को कई तरह की आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। मगर अब प्रधानमंत्री श्री मोदी का बुंदेलखण्ड के विकास पर विशेष ध्यान होने से स्वीकृत हुई केन-बेतवा लिंक परियोजना किसानों के जीवन और खेती में बदलाव लायेगी। इस योजना पर करीब 44 हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे। किसानों के खेत में पानी पहुँचाने के लिये इस परियोजना से प्रधानमंत्री श्री मोदी ने भगीरथ के समान कार्य किया है, जिससे बुंदेलखण्ड का विकास और अधिक तेजी से होगा। अब बुंदेलखण्ड के खेतों में और अधिक हरियाली आयेगी और गर्मी के मौसम में भी खेतिहर मजदूरों को रोजगार की तलाश में भटकना नहीं पड़ेगा।
केन-बेतवा लिंक परियोजना में मध्यप्रदेश और उत्तर जिले
केन-बेतवा लिंक परियोजना में मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश के 13 जिले आते हैं। इनमें मध्यप्रदेश के 9 जिले पन्ना, टीकमगढ़, छतरपुर, सागर, दमोह, दतिया, विदिशा, शिवपुरी और रायसेन शामिल हैं। वही उत्तर प्रदेश के बांदा, महोबा, झांसी और ललितपुर जिले हैं। इस पूरी योजना से इन सभी जिलों को पेयजल के साथ सिंचाई में लाभ होगा, जिससे करीब साढ़े नौ लाख किसानों को फायदा पहुँचेगा। उनका जीवन स्तर सुधरेगा और आय में वृद्धि होगी। करीब 10 लाख हेक्टेयर जमीन पर सिंचाई हो सकेगी और 62 लाख लोगों को पीने का साफ पानी मिल सकेगा। इस प्रोजेक्ट के तहत 103 मेगावाट हाइड्रो पावर और 27 मेगावाट की क्षमता वाला सोलर प्लांट भी बनाया जायेगा। परियोजना से उद्योग-धंधों को बढ़ावा मिलेगा, जिससे युवाओं के लिये रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और पलायन भी कम होगा। आशा करता हूँ कि प्रधानमंत्री श्री मोदी के इस प्रयास से बुंदेलखण्ड की जनता लाभान्वित होगी और हमारा बुंदेलखण्ड विकास की नई उड़ान भरेगा।