हंटर आयोग किससे संबंधित है (हंटर आयोग का गठन क्यों किया गया
हंटर आयोग किससे संबंधित है इसके उद्देश्य एवं कार्य
हंटर आयोग (14 अक्टूबर 1919)
जलियाँवाला हत्याकाण्ड की जांच हेतु
ब्रिटिश सरकार द्वारा हंटर आयोग का गठन किया गया।
भारत सचिव एडविन मांटेग्यू ने इस मामले
की जाँच के लिए एक समिति का गठन किया, जिसे
हंटर कमीशन के नाम से जाना गया।
इस आयोग का उद्देश्य बंबई, दिल्ली एवं पंजाब में हुए उपद्रवों की
जांच करना था और इनसे निपटने के उपाय सुझाना था।
इस कमीशन की रिपोर्ट आने पर 1920 में ब्रिगेडियर जनरल डायर को दोषी
पाया गया और कहा गया कि डायर ने अपने प्राधिकार से बाहर जाकर कार्य किया है।
लेकिन हंटर आयोग ने उसके लिए किसी
प्रकार के दंड या अनुशासनात्मक कार्यवाही की अनुशंसा नहीं की।
इससे पहले की हंटर आयोग अपनी कार्यवाही
शुरू कर पाता, सरकार ने अपने अधिकारियों को सुरक्षा
प्रदान करने के लिए क्षतिपूर्ति अधिनियम पारित कर दिया। इस इंडेमनिटी एक्ट को वाइट
वांशिग बिल कहा गया। मोतीलाल नेहरू तथा अन्य लोगों ने इस अधिनियम की निन्दा की।
इस तरह बिल पारित होने के पश्चात् देश
के क्रांतिकारी युवाओं में और अधिक उग्रता का महौल पैदा हो गया, जिसमें भगत सिंह, राजगुरू और सुखदेव जैसे युवा शामिल थे।
इंग्लैण्ड में तत्कालीन युद्ध सचिव
विंस्टन चर्चिल को इस रिपोर्ट की समीक्षा करने का कार्य सौंप दिया गया। भारत
विरोधी चर्चिल ने भी अमृतसर में घटी इस घटना की निन्दा की और इसे ‘शैतानी कृत्य’ करार दिया।
जनरल डायर को अपदस्थ करने के कैबिनेट
के निर्णय को सेना परिषद् को भेज दिया गया और अंततः डायर को 1920 में उनके पद से हटा दिया गया।