इस्कॉन मंदिर क्या है (ISKCON Details in Hindi)
इस्कॉन मंदिर क्या है ISKCON Details in Hindi
वर्ष 1966 में स्थापित ‘इस्कॉन’ को आमतौर पर ‘हरे कृष्ण आंदोलन’ के रूप में जाना जाता है।
‘इस्कॉन’ ने श्रीमद्भगवद गीता और अन्य वैदिक साहित्य का 89 भाषाओं में अनुवाद किया है, जो दुनिया भर में वैदिक साहित्य के
प्रसार में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
इस्कॉन आंदोलन के सदस्य भक्तिवेदांत
स्वामी को कृष्ण चैतन्य महाप्रभु के प्रतिनिधि और दूत के रूप में देखते हैं।
श्रील भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद
‘अभय चरण डे’ के रूप में जन्मे (01 सितंबर, 1896 को कलकत्ता में) भक्तिवेदांत स्वामी एक भारतीय आध्यात्मिक शिक्षक और
इस्कॉन के संस्थापक थे।
उन्हें भक्ति-योग के विषय में दुनिया
के सबसे प्रमुख व्यक्तियों में से एक के रूप में सम्मान प्राप्त है, जिन्होंने भारत के प्राचीन वैदिक लेखन
में उल्लिखित कृष्ण भक्ति के मार्ग को अपनाया।
स्वामी जी ने सौ से अधिक मंदिरों की भी
स्थापना की और कई पुस्तकें लिखीं, जो
दुनिया को भक्ति योग के मार्ग का अनुसरण करना सिखाती हैं।
आगे के वर्षों में उन्होंने एक वैष्णव
भिक्षु के रूप में यात्राएँ कीं, वह
इस्कॉन में स्वयं के नेतृत्व के माध्यम से भारत तथा विशेष रूप से पश्चिम में
गौड़ीय वैष्णव संप्रदाय के धर्मशास्त्र के एक प्रभावशाली संचारक बन गए।
गौड़ीय वैष्णववाद:
यह चैतन्य महाप्रभु से प्रेरित एक
वैष्णव हिंदू धार्मिक आंदोलन है।
यहाँ "गौड़िया" बंगाल के गौर
या गौड़ क्षेत्र को वैष्णववाद के साथ संदर्भित करता है जिसका अर्थ है "विष्णु
की पूजा"।
गौड़ीय वैष्णववाद के मतानुसार,
राधा
और कृष्ण की भक्ति पूजा (भक्ति-योग के रूप में जाना जाता है) तथा भगवान के
सर्वोच्च रूपों (स्वयं भगवान, Svayam Bhagavan) में उनके कई दिव्य अवतार हैं।
सबसे लोकप्रिय गीत जैसे "हरे
कृष्णा और हरे रामा " के रूप में यह पूजा राधा और कृष्ण के पवित्र नामों के
साथ गीत का रूप लेती है, आमतौर पर हरे कृष्णा (मंत्र) स्वर के
रूप में कीर्तन किया जाता है तथा इसके साथ नृत्य भी किया जाता है।