इंदौर के दर्शनीय स्थल | इंदौर पर्यटन स्थल पर निबंध | Indore Tourism Essay in Hindi - Daily Hindi Paper | Online GK in Hindi | Civil Services Notes in Hindi

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शनिवार, 16 जुलाई 2022

इंदौर के दर्शनीय स्थल | इंदौर पर्यटन स्थल पर निबंध | Indore Tourism Essay in Hindi

 इंदौर के दर्शनीय स्थल, इंदौर पर्यटन स्थल निबंध 

इंदौर के दर्शनीय स्थल | इंदौर पर्यटन स्थल पर निबंध | Indore Tourism Essay in Hindi


इंदौर के दर्शनीय स्थल , इंदौर पर्यटन स्थल पर निबंध

 

इंदौर को मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी कहा जाता है। उपनगर देवास और पोधमपुर से जुड़े इंदौर को तेजी से  विकसित हो रहे आर्थिक क्षेत्र के साथ पूरे देश में शिक्षा के प्रसिद्ध क्षेत्र का गौरव प्राप्त हो गया है। लगभग 50 हजार प्रतिवर्ष यहाँ स्नातक की पढ़ाई पूर्ण करते हैं। कभी होल्कर वंश के शासकों की राजधानी रहे इंदौर को पहचान अब शिक्षा क्षेत्र में हो रही है। राजस्थान की खानपान पद्धति को आत्मसात् करने वाले मालवा अंचल के इंदौर नगर खजाने वाले खजराने के गणेश जो का स्थान आस्था का केंद्र बनता जा रहा है। इंदौर का सबसे ज्यादा आकर्षण राजवाड़ा है। 1749 में होल्कर वंश के मल्हार राव होल्कर ने यह राजमहल निर्मित करवाया था। राजमहल के निर्माण में मराठा, मुग़ल और फ्रेंच वास्तुकला का उपयोग किया गया है। छत्रीपुरा और कृष्णपुरा की छवि खान नदी के किनारे पर बनी हुई है। इन छवियों पर होल्कर वंश के वंशजों को आदमकद प्रतिमाएँ बनी हैं।

 

इंदौर का लालबाग दर्शनीय स्थल होने के साथ जीवंत स्थल की बानगी है। लगभग 72 एकड़ में फैले लालबाग किसे के बगीचे देखने योग्य है। 1886 और 1921 में निर्मित इन बर्गीचों को इस तरह बनाया गया है कि महल के हर सिरे से बगीचों की खूबसूरती निहारी जा सके।

 

मिली-जुली संस्कृति, प्रतीक इंदौर में मंदिर, मस्जिद और चर्च की श्रृंखला है। 


इंदौर का अन्नपूर्णा देवी लालबाग महल के अंतिम सिरे पर मौजूद है। अन्नपूर्णा मंदिर मदुराई के मीनाक्षी देवी के मंदिर  से प्रेरणा लेकर बनाया गया है। मदुराई के मंदिर की तरह दक्षिण शैली की छवि स्पष्ट परिलक्षित होती है। अन्नपूर्णा देवी के मंदिर हमारे देश में कहीं और होने के प्रमाण नहीं मिलते हैं। इस अन्नपूर्णा मंदिर के पास शहंशाह-ए-मालवा की दरगाह बरगद के पेड़ के नीचे स्थित है। कहा जाता है कि बरगद का पेड़ 7 सौ साल पुराना है।

 

इंदौर का कांच मंदिर अपने आप में अनूठा है। बीसवीं सदी में प्रसिद्ध जैन उद्योगपति सेठ हुकुमचंद ने इस कांच मंदिर का निर्माण करवाया था। इस कांच मंदिर की विशेषता है कि मंदिर की दीवारें, छत, फर्श और दरवाजे सभी कांच से निर्मित हैं। सबसे ऊंची मंदिर पर विशेष कांच से निर्मित विशेष कक्ष में तीन तीर्थंकरों आदिनाथ, शांतिनाथ और चंद्रप्रभा की परछाई दिखाई देती है।

 

विश्व की सर्वाधिक लंबाई वाली गणेश जी की मूर्ति इंदौर में स्थापित है। कांच मंदिर की पश्चिम दिशा में स्थित गणेश जी के मंदिर को बड़ा गणपति मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर में स्थापित गणेश जी की मूर्ति की लंबाई सिर से पैर तक 8 मीटर है। 19वीं सदी में बड़ा गणपति मंदिर का निर्माण किया गया। पं. नारायण दाधीच ने 1901 ईस्वी में इस मंदिर की स्थापना की। रानी अहिल्या बाई होल्कर द्वारा निर्मित अन्य गणेश मंदिर खजराना में स्थित है। खजुराहो वाले गणेश जी के बारे में कहा जाता है कि श्रद्धाभाव से मनौती मानने पर सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। खजराना वाले गणेश जी को खजाना वाला गणेश जी भी कहते हैं । इंदौर सहित बाहर से आने वाले सैकड़ों गणेश भक्तों की आस्था के प्रतीक हैं खजराने वाले गणेश जी। खजराना वाले गणेश मंदिर से गीता भवन जुड़ा है। गीता भवन में विभिन्न धर्म से जुड़े देवी-देवताओं की मूर्तियां हैं।

  

इंदौर में घंटाघर के नाम से मशहूर गांधी हॉल का निर्माण 1948 में किया गया था। इस घंटाघर के चारों तरफ विशाल घड़ियां लगी हैं। रेसीडेंसी क्षेत्र में चहुंओर चर्च की श्रृंखला है। इसमें लाल चर्च, सफेद चर्च और सेंट एनी चर्च शामिल हैं। मध्य भारत के पुराने चर्च में शुमार इन चर्चा की स्थापना 1858 में की गई थी। विशेष पुरातात्विक शैली में निर्मित एडवर्ड अस्पताल और मेडिकल स्कूल देखने योग्य हैं। केंद्रीय संग्रहालय में सर्वश्रेष्ठ मूर्तियों का संग्रह है। गुप्तकालीन से लेकर परमार काल की हिंदू और जैन धर्म की मूर्तियां यहां स्थापित हैं।

 

इंदौर के महात्मा गांधी मार्ग पर पिछले एक दशक में तेजी से विस्तार हुआ है। बहुमंजिला शापिंग मॉल बनने का सिलसिला जारी है। पाश्चात्य और प्राचीन शैली के मिले-जुले उत्कृष्ट उदाहरण नए एवं पुराने व्यावसायिक केंद्र बन रहे हैं। राजवाड़ा के आसपास निर्मित बाजार में सराफा बाजार और खजूरी बाजार शामिल हैं। इन बाजारों में सोने-चांदी के आभूषणों से लेकर माहेश्वरी साड़ियां भी मौजूद हैं। स्वर्ण आभूषणों की दुकानों के बंद होने के बाद शाम को सराफा बाजार खान पान के उम्दा केंद्र में तब्दील हो जाता है। मार्ग के किनारे पर लगने वाली खान-पान की अस्थाई दुकानों पर समोसा, कचौरी, पानीपुरी, पाव भाजी, छोले टिकिया, साबूदाना की खिचड़ी तथा मौसम के अनुरूप गाजर का हलवा, लौकी का हलवा, भुट्टे का नमकीन और मीठा व्यंजन सहित अनेक प्रकार के व्यंजन मिलते हैं। कहा जाता है कि मालवा अंचल को वाणी में मिठास और खाद्य सामग्री में अनूठी मिठास है। मालवा क्षेत्र में खाने के शौकीन लोगों के कारण खानपान का व्यवसाय लाखों रुपये में होता है। राजवाड़ा के आसपास प्रतिदिन लगने वाली दुकानों को संख्या सौ से अधिक होती है। कुछ दुकानें रात्रि 12 बजे के बाद शुरू होती हैं और भोर तक खुली रहती हैं।।

 

ब्रिटिश सरकार की गतिविधियों का केंद्र रेसीडेंसी कोठी भी है। इस कोठी पर कब्जा करने के प्रयास में विद्रोह करने वाले भागीरथ सिलावट और शहादत खान को फांसी पर लटका दिया गया था। 1857 के युद्ध में फांसी पर चढ़े दोनों शहीदों में से एक शहादत खान की मजार कोठी के पास निर्मित है। 1920 ईस्वी में निर्मित माता बीजासेन का मंदिर विमानतल के पास है। विमानतल मार्ग पर पुरातात्विक महत्व का भवन स्थित है। इस भवन में सोमा सुरक्षा का शस्त्र संग्रहालय है। रात्रि के समय सांस रोककर देखने वाले पर्यटन स्थल में यह एक स्थान शामिल है। इंदौर से 10 किलोमीटर दूर जैन धर्म की गोमतगिरी विद्यमान है। यहाँ भगवान गोमतगिरी की प्रतिमा स्थापित है। यहाँ संगमरमर से निर्मित 24 मंदिर हैं। प्रत्येक मंदिर में तीर्थंकर विराजमान है। इंदौर को धार्मिक महत्व की धरोहर के अतिरिक्त चारों और धार्मिक पर्यटन के स्थान मौजूद हैं। उज्जैन 55 किलोमीटर, नर्मदा किनारे बसे ओंकारेश्वर, महेश्वर हैं। नर्मदा की परिक्रमा लगाने वाले भक्तों के लिए महेश्वर और ओंकारेश्वर अद्भुत अलौकिक तीर्थस्थल हैं। सौ किलोमीटर दूरी पर बस माण्डू और 62 किलोमीटर दूर स्थित धार बसा है। धार कभी मालवा के राजा की राजधानी थी।

 

इंदौर पहुंचने के लिए हवाई मार्ग से पहुँचा जा सकता है। भारत के सभी प्रमुख शहरों से इंदौर के देवी अहिल्या अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पहुंचा जा सकता है। पूरे देश में इंदौर पहुंचने के लिए रेलगाड़ी की सुविधा उपलब्ध है। आगरा से मुम्बई को जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग और इंदौर से अहमदाबाद को जोड़े जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग-59 पर स्थित इंदौर सड़क मार्ग से पहुँचने के लिए भोपाल, ग्वालियर, जयपुर, अहमदाबाद, मुंबई, पुणे, नासिक और औरंगाबाद से साधन मौजूद हैं.