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बुधवार, 21 सितंबर 2022

केंद्रीय सतर्कता आयोग के बारे में | CVC क्या होता है

केंद्रीय सतर्कता आयोग के बारे में ,  CVC क्या होता है  

केंद्रीय सतर्कता आयोग के बारे में | CVC क्या होता है




केंद्रीय सतर्कता आयोग के बारे में  (CVC)

CVC को सरकार द्वारा फरवरी 1964 में के. संथानम की अध्यक्षता वाली भ्रष्टाचार निवारण समिति (Committee on Prevention of Corruption) की सिफारिशों पर स्थापित किया गया था।

केंद्रीय सतर्कता आयोग एक शीर्षस्‍थ सतर्कता संस्‍थान है जो किसी भी कार्यकारी प्राधिकारी के नियंत्रण से मुक्‍त है तथा केंद्रीय सरकार के अंतर्गत सभी सतर्कता गतिविधियों की निगरानी करता हैसाथ ही केंद्रीय सरकारी संगठनों में विभिन्‍न प्राधिकारियों को उनके सतर्कता कार्यों की योजना बनानेनिष्‍पादन करनेसमीक्षा करने एवं सुधार करने के संबंध में सलाह देता है।

संसद ने केंद्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम, 2003 (CVC अधिनियम) अधिनियमित कियाजो CVC को वैधानिक दर्जा प्रदान करता है।

यह एक स्वतंत्र निकाय है जो केवल संसद के प्रति उत्तरदायी है।

यह भारत के राष्ट्रपति को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करता है।


केंद्रीय सतर्कता आयोग के सदस्य:

केंद्रीय सतर्कता आयुक्त- अध्यक्ष।

अधिकतम दो सतर्कता आयुक्त- सदस्य।

केंद्रीय सतर्कता आयोग कार्य:

CVC भ्रष्टाचार या कार्यालय के दुरुपयोग पर शिकायतें प्राप्त करता है और उचित कार्रवाई की सिफारिश करता है।


निम्नलिखित संस्थाननिकाय या व्यक्ति CVC से संपर्क कर सकते हैं:

 

केंद्र सरकारलोकपालसूचना प्रदाता/मुखबिर/सचेतक/व्हिसल ब्लोअर

व्हिसल ब्लोअर एक ऐसा व्यक्ति होता हैजो किसी कंपनी या सरकारी एजेंसी का कर्मचारी या बाहरी व्यक्ति (जैसे मीडियाउच्च सरकारी अधिकारीया पुलिस) हो सकता है जो किसी भी गलत काम के बारे में जनता या किसी उच्च अधिकारी को जानकारी का खुलासा (जो धोखाधड़ीभ्रष्टाचार आदि के रूप में हो सकती है।) कर सकता है।

विदित हो कि केंद्रीय सतर्कता आयोग कोई अन्वेषण एजेंसी नहीं है। यह CBI के माध्यम से या सरकारी कार्यालयों में मुख्य सतर्कता अधिकारियों (CVO) के माध्यम से मामले की जाँच/अन्वेषण कराता है।

यह भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के तहत लोक सेवकों की कुछ श्रेणियों द्वारा किये गए कथित अपराधों की जाँच करने का अधिकार रखता है।

मुख्य सतर्कता आयुक्त की सेवा शर्तें:

नियुक्ति:

केंद्रीय सतर्कता आयुक्त और सतर्कता आयुक्तों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा एक समिति की सिफारिश पर की जाती है जिसमें प्रधानमंत्री (अध्यक्ष)गृह मंत्री (सदस्य) और लोकसभा में विपक्ष का नेता (सदस्य) शामिल होता है।


कार्यकाल:

इनका कार्यकाल 4 वर्ष अथवा 65 वर्ष (जो भी पहले हो) तक होता है।


पदच्युत:

राष्ट्रपति द्वारा दुर्व्यवहार के आधार पर उन्हें केवल तभी पद से हटाया या निलंबित किया जा सकता हैजब सर्वोच्च न्यायालय ने उनके मामले की जाँच की हो और उनके खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश  की हो।

इसके अलावा सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जाँच में उस पर कदाचार अथवा अक्षमता के मामले साबित होने पर भी हटाया जा सकता है।

वह राष्ट्रपति को पत्र लिखकर अपना इस्तीफा भी सौंप सकता/सकती है।