'कर्तव्य पथ' का उद्घाटन और नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा का अनावरण करेंगे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी
कर्तव्य पथ का उद्घाटन
प्रधानमंत्री श्री
नरेन्द्र मोदी 8 सितंबर, 2022 को शाम 7 बजे 'कर्तव्य पथ' का उद्घाटन करेंगे। सत्ता
के प्रतीक तत्कालीन राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्य पथ करना जन प्रभुत्व और सशक्तिकरण
का एक उदाहरण है। प्रधानमंत्री इस अवसर पर इंडिया गेट पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस
की प्रतिमा का भी अनावरण करेंगे। यह कदम प्रधानमंत्री के 'पंच प्राण' में से एक की तर्ज पर है
यानी 'औपनिवेशिक
मानसिकता का कोई भी निशान मिटाएं।'
वर्षों से, राजपथ और सेंट्रल विस्टा
एवेन्यू के आसपास के इलाकों में आगंतुकों की बढ़ती भीड़ का दबाव देखा जा रहा था, जिससे इसके बुनियादी
ढांचे पर दबाव पड़ रहा था। इसमें सार्वजनिक शौचालय, पीने के पानी, स्ट्रीट फर्नीचर और पार्किंग स्थल की पर्याप्त
व्यवस्था जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव था। इसके अलावा, मार्गों के पास अपर्याप्त
बोर्ड, पानी की खराब
सुविधाएं और बेतरतीब पार्किंग थी। साथ ही, गणतंत्र दिवस परेड और अन्य राष्ट्रीय कार्यक्रमों के दौरान
कम गड़बड़ी और जनता की आवाजाही पर कम से कम प्रतिबंध लगाने की आवश्यकता महसूस की
गई। इन चिंताओं को ध्यान में रखते हुए पुनर्विकास किया गया जबकि वास्तु शिल्प का
चरित्र बनाये रखने और अखंडता भी सुनिश्चित की।
कर्तव्य पथ बेहतर
सार्वजनिक स्थानों और सुविधाओं को प्रदर्शित करेगा, जिसमें पैदल रास्ते के साथ लॉन, हरे भरे स्थान, नवीनीकृत नहरें, मार्गों के पास लगे बेहतर
बोर्ड, नई सुख-सुविधाओं
वाले ब्लॉक और बिक्री स्टॉल होंगे। इसके अलावा इसमें पैदल यात्रियों के लिए नए
अंडरपास, बेहतर पार्किंग
स्थल, नए प्रदर्शनी
पैनल और रात्रि के समय जलने वाली आधुनिक लाइटों से लोगों को बेहतर अनुभव होगा।
इसमें ठोस अपशिष्ट प्रबंधन,
भारी वर्षा के
कारण एकत्र जल का प्रबंधन,
उपयोग किए गए पानी
का पुनर्चक्रण, वर्षा जल संचयन
और ऊर्जा कुशल प्रकाश व्यवस्था जैसी अनेक दीर्घकालिक सुविधाएँ शामिल हैं।
सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा
प्रधानमंत्री नेताजी
सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा का अनावरण भी करेंगे। यह प्रतिमा उसी स्थान पर स्थापित
की जा रही है, जहां इस साल की
शुरुआत में पराक्रम दिवस (23
जनवरी) के अवसर
पर नेताजी की होलोग्राम प्रतिमा का अनावरण किया गया था। ग्रेनाइट से बनी यह
प्रतिमा हमारे स्वतंत्रता संग्राम में नेताजी के अपार योगदान के लिए उन्हें सच्ची
श्रद्धांजलि होगी, और देश के उनके
प्रति ऋणी होने का प्रतीक होगी। मुख्य मूर्तिकार श्री अरुण योगीराज द्वारा तैयार
की गई 28 फुट ऊंची प्रतिमा
को एक ग्रेनाइट पत्थर से उकेरा गया है और इसका वजन 65 मीट्रिक टन है।