माई लव अफेयर विद मैरिज : मैंने अपनी कहानी सुनाई है - यह नारीवादी और राजनीति से प्रतीत होती है
- माई लव अफेयर विद मैरिज, एक वस्तुनिष्ठ उपकरण के
रूप में विज्ञान सहित प्रेम के बारे में व्यक्तिनिष्ठ प्रश्नों का उत्तर देने
का प्रयास है: निर्देशक सिग्ने बाउमेन
- मैंने अपनी कहानी सुनाई है - यह नारीवादी और राजनीति से
प्रतीत होती है क्योंकि महिलाओं को क्या करना चाहिए, ये सामाजिक
ताकतें तय करती हैं : सिग्ने बाउमेन
- हमने पैसा जुटाने के लिए लगातार 7 साल तक कोशिश की, फिल्म को बनाने
में 1600 से ज्यादा लोगों ने मदद की: निर्माता स्टर्गिस वार्नर
महिलाओं पर थोपे गए
स्टीरियोटाइप्स या ढर्रों के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंकने वाली जेल्मा का स्पष्ट
चित्रण करती फिल्म - माई लव अफेयर विद मैरिज निर्देशक सिग्ने बाउमेन से प्रेरित है और इस पर उनके निजी जीवन छाप है –
जिसमें उनकी दूसरी शादी की नाकामी, विशिष्ट भूमिकाओं में
महिलाओं की टाइपकास्टिंग के साथ बड़े होना और इस तरह की धारणाओं के खिलाफ बगावत के
अलावा-प्यार और रिश्तों की जटिलता के मूल के बारे में उनकी राय भी शामिल है।
53वें इफ्फी में पीआईबी
द्वारा आयोजित 'टेबल टॉक' में मीडिया
और फिल्म प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए सुश्री सिग्ने बाउमेन ने कहा कि
महिलाएं कैसे खाएं, कैसे कपड़े पहने, कैसे
बैठे, कैसा व्यवहार करें और कैसे/किससे शादी करें, जैसे मानदंडों के साथ बड़ी होती हैं – जिनका निर्धारण अक्सर उनकी माताओं
जैसे सबसे घनिष्ठ संबंधियों द्वारा उनको पूरी तरह नजरंदाज करते हुए किया जाता है।
हालात खराब होने की स्थिति में, समाज उसका भी एक परम्परागत
समाधान प्रदान करता है – इस बात को भी उस दृश्य में बहुत खूबसूरती से चित्रित किया
गया है, जहां जेल्मा की मां शादी के भीतर किसी भी टकराव से
बचने के रास्ते के तौर पर उसे सलाह देती है कि वह अपने पति से अधिक प्यार अपने
बच्चों से करे।
यह पूछने पर कि क्या
वह अपनी फिल्म को नारीवादी कहलाना चाहेंगी, सुश्री
सिग्ने ने इंगित किया कि कैसे "नारीवादी" शब्द महिलाओं की सामाजिक,
आर्थिक और राजनीतिक समानता से अधिक संबंधित है। उन्होंने कहा कि जब
महिलाएं अपनी कहानियां बताने के लिए उठती हैं और ऐसी समानता का दावा करती हैं,
तो महिलाओं की भूमिकाओं के बारे में समाज की निर्विवाद धारणाओं के
कारण उन्हें अड़चनों का सामना करना पड़ता है। उनका मानना है कि इस तरह की धारणाओं
के कारण, उनके द्वारा किया गया अपनी कुछ निजी बातों का वर्णन
कई लोगों को राजनीतिक या नारीवादी कार्य प्रतीत हो सकता है।
सुश्री सिग्ने ने कहा,
"व्यक्तियों के लिए तंग जगह-वह जैविक वास्तविकता बनाम सामाजिक
निर्देशों की दो निर्मम शक्तियों के बीच कैसे रहें–इसी कौतुहल ने मुझे इस फिल्म को
बनाने के लिए प्रेरित किया"।
निर्माता स्टर्गिस वार्नर ने फिल्म को मूर्त रूप
देने में लगे 7 वर्षों की
यात्रा के बारे में भी बात की, जो 1600 योगदानकर्ताओं के विभिन्न तरीकों से संभव हुई, जिसे फिल्म में आभार प्रकट कर स्वीकार किया गया है। श्री वार्नर ने
कहा, 3डी सेट सेट स्थापित करना, स्टॉप-मोशन और स्थिर तस्वीरें लेना और फिर उन पर एनीमेशन करना, राजनीतिक मानचित्र का सही एनीमेशन करना आदि इस फिल्म को आकार देने के
लिए किए गए प्रयास थे।
भारतीय
सिनेमाई क्षेत्र और फिल्मों पर, सुश्री सिग्ने ने
याद किया कि कैसे तत्कालीन सोवियत संघ में बड़े होने के दौरान, वह भारतीय फिल्में देखती थीं जो संपूर्ण मनोरंजन प्रदान करती थीं।
उन्होंने सुझाव दिया कि भारतीय फिल्म निर्माता व्यक्तिगत अनुभवों पर आधारित निजी
कहानियों पर फिल्में बनाते हैं। निर्माता स्टर्गिस वार्नर ने कहा कि उनकी जैसी
फिल्मों को विभिन्न संस्कृतियों में देखा जाना चाहिए और
ओटीटी प्लेटफार्मों/वितरकों को जहां तक संभव हो व्यक्तिगत कहानियों को यथासंभव
व्यापक रूप से प्रसारित करना चाहिए।
सुश्री सिग्ने ने
दर्शकों पर अपनी फिल्म के कल्पनाशील प्रभाव के बारे में निष्कर्ष निकाला – वह
महसूस करती हैं कि आज की पसंद कल के एक प्रगतिशील समाज को परिभाषित करेंगी,
और यह ऐसी फिल्मों द्वारा सक्षम होगा जो अलग हैं, जो भिन्न होना पसंद करती हैं और समाज उन्हें अलग होने की जगह देता है।
फिल्म “माय
लव अफेयर विद मैरिज” कल
आईएफएफआई 53 में प्रदर्शित
की गयी और इसका शानदार स्वागत हुआ।
माय लव अफेयर विद मैरिज की जानकारी
निर्देशन और
पटकथा: सिग्ने बाउमेन,
निर्माता:
रॉबर्ट्स विनोवस्किस, स्टर्गिस
वार्नर, सिग्ने बाउमेन, राउल नडालेट,
संपादक:
सिग्ने बाउमेन, स्टर्गिस वार्नर,
अभिनय:
ज़ेल्मा: डागमारा डोमिंकज़िक,
जैविकी :
मिशेल पॉक
माइथोलॉजी
सायरन: ट्रियो लेमोनेड - इवा काटकोव्स्का, क्रिस्टीन पास्तारे, इलुटा अलस्बेर्गा
सारांश
कम उम्र से ही, गीतों और परियों की कहानियों ने जेल्मा को आश्वस्त कर दिया था कि प्यार उसकी सभी समस्याओं का समाधान कर देगा, जब तक कि वह सामाजिक अपेक्षाओं का पालन करती है कि एक लड़की को कैसे काम करना चाहिए। लेकिन जैसे-जैसे वह बड़ी होती गई, प्यार की अवधारणा उसे कुछ ठीक नहीं लगी। जितना अधिक उसने इसके अनुरूप होने की कोशिश की, उतना ही उसके शरीर ने विरोध किया। महिला के आंतरिक विद्रोह को स्वीकृति देती एक कहानी।