सरोजिनी नायडू का जीवन परिचय | Sarojani Naidu Biography in Hindi - Daily Hindi Paper | Online GK in Hindi | Civil Services Notes in Hindi

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गुरुवार, 9 फ़रवरी 2023

सरोजिनी नायडू का जीवन परिचय | Sarojani Naidu Biography in Hindi

सरोजिनी नायडू का जीवन परिचय 

सरोजिनी नायडू का जीवन परिचय | Sarojani Naidu Biography in Hindi



सरोजिनी नायडू का जीवन परिचय

  • जन्म 13 फ़रवरी, 1879
  • मृत्यु 2 मार्च सन् 1949 
  • पिता का नाम अघोरनाथ चट्टोपाध्याय और 
  • माता का नाम वरदा सुन्दरी था।

  • सुप्रसिद्ध कवयित्री,महान स्वतंत्रता सेनानी और नारीवादी आंदोलन की प्रखर नेता के रूप में सरोजिनी नायडू का नाम हमेशा भारतीय इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों से लिखा जाएगा। आपको बता दें सरोजनी नायडू देश के स्वतंत्रता आंदोलन में अग्रणी नेताओं में शुमार थी एवं वह अपने साथियों और भारतीय नव युवकों के लिए प्रेरणा स्रोत का काम करते थे।
  • सरोजिनी नायडू का जन्म 13 फ़रवरी, 1879 को हुआ था। उनकी पिता का नाम अघोरनाथ चट्टोपाध्याय और माता का नाम वरदा सुन्दरी था। उनके पिता उन्हें विज्ञान क्षेत्र में आगे बढ़ना देखना चाहते थे लेकिन उनकी दिलचस्पी इस क्षेत्र में नहीं थी। उन्होंने 12 साल की उम्र में ही मैट्रिक की परीक्षा पास करने के बाद उच्चतर शिक्षा के लिए उन्हें इंग्लैंड भेज दिया गया।


  • इंग्लैंड में उन्होंने लंदन के 'किंग्ज़ कॉलेजऔर 'कैम्ब्रिज के गर्टन कॉलेजमें शिक्षा ग्रहण की। आपको बता दें उन्होंने मात्र 13 वर्ष की आयु में कविता 'द लेडी ऑफ लेकलिखी थी। उनकी प्रसिद्ध रचनाओं में गोल्डन थ्रैशोल्डद बर्ड ऑफ टाइमद ब्रोकन विंगनीलांबु', ट्रेवलर्स सांगइत्यादि शामिल है। सरोजिनी नायडू के कविता संग्रह बर्ड ऑफ टाइम तथा ब्रोकन विंग ने उन्हें एक सुप्रसिद्ध कवयित्री बना दिया।


  • एक महान कवयित्री की तरह सरोजिनी नायडू एक महान स्वतंत्रता सेनानी भी थी। 1902 में सरोजनी नायडू ने कलकत्ता में एक ओजस्वी भाषण दिया जिससे गोपालकृष्ण गोखले बहुत प्रभावित हुए। गोखले ने उन्हें राजनीति में आगे बढ़ाने के लिए मार्गदर्शन किया। इसके साथ ही सरोजिनी नायडू की मुलाकात गांधी जी से सन् 1914 में लंदन में हुई। गांधी जी से मिलने के बाद सरोजिनी नायडू की राजनीतिक सक्रियता काफी बढ़ गई एवं वह कांग्रेस की एक ओजस्वी प्रवक्ता बन गई। उन्होंने कांग्रेस की बहुत सारी समितियों में काम किया एवं देशभर में स्वतंत्रता आंदोलन के प्रति जागरूकता फैलाने का कार्य किया।


  • जलियांवाला बाग हत्याकांड के विरोध में उन्होंने अपना 'कैसर-ए-हिन्दका ख़िताब वापस कर दिया। सरोजिनी नायडू ने 1925 के कानपुर कांग्रेस अधिवेशन की अध्यक्षता की। इसके अलावा उन्होंने रॉलेट एक्ट का विरोध किया। 

  • सन् 1930 के प्रसिद्ध नमक सत्याग्रह में सरोजिनी नायडू गांधी जी के साथ चलने वाले स्वयंसेवकों में से एक थीं। आपको बता दें जब बातचीत करने के लिए जब महात्मा गांधी को गोलमेज कांफ्रेंसमें आमंत्रित किया गया तो महात्मा गांधी के प्रतिनिधि मंडल में सरोजिनी नायडू भी शामिल थीं। पुनः जब 1932 में महात्मा गांधी जब जेल भेजा गया तो गांधीजी ने आंदोलन को गति एवं दिशा देने का उत्तरदायित्व सरोजिनी नायडू को दे दिया।


  • 8 अगस्त सन् 1942 को जब गांधी जी ने भारत छोड़ो आंदोलन’ प्रारंभ करते हुए 'करो या मरोका आदेश दिया। 8 अगस्त की मध्यरात्रि में हीं गांधी जी और कांग्रेस कार्यकारी समिति के प्रमुख सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया गया। महात्मा गांधी जी को गिरफ्तार करके उनके निजी मंत्री महादेव देसाई और सरोजिनी नायडू के साथ पुणे के आगा ख़ाँ महल में रखा गया। इसके अलावा सरोजनी नायडू ने कई मौकों पर कांग्रेस पार्टी के भीतर उठे विवादों को हल करने में महती भूमिका निभाई।


  • भारत की आजादी के बाद उन्हें उत्तर प्रदेश का राज्यपाल नियुक्त किया एवं राज्यपाल पद पर नियुक्ति पाने वाली प्रथम भारतीय महिला का गौरव भी उन्हें प्राप्त हुआ। एक महान कवियत्रीमहान स्वतंत्रता सेनानी के अलावा सरोजनी नायडू नारी-मुक्ति आंदोलन की भी शीर्ष नेता थी। उनको नारी की दुखद स्थिति का एहसास था। उन्होंने नारी के प्रति होने वाले अन्याय के विरुद्ध ना केवल आवाज उठाई बल्कि उन्होंने महिलाओं को मूलभूत अधिकारों से दूर रखने वाले तात्कालिक प्रचलित व्यवस्था का भी विरोध किया।


  •  भारत की सबसे पुरानी और महत्त्वपूर्ण नारी संस्था 'अखिल भारतीय महिला परिषद' (आल इंडिया विमेन्स कान्फ्रेंस) से सरोजिनी नायडू जुड़ गई । आपको बता दें आज भारत की नारियों को जो राजनीतिकआर्थिक और क़ानूनी अधिकार प्राप्त हैंउन्हें दिलाने में इस संस्था का बहुत बड़ा योगदान रहा है। इस संस्थान को भारत की कोई अग्रणी महिला नेताओं की सेवाएं मिली जिनमें शामिल है लेडी धनवती रामा रावविजयलक्ष्मी पंडितकमलादेवी चट्टोपाध्यायलक्ष्मी मेननहंसाबेन मेहता इत्यादि।


  • भारतीय नारी मुक्ति के आंदोलन में सरोजिनी नायडू के योगदान को देखते हुए अखिल भारतीय महिला परिषद के नई दिल्ली स्थित केन्द्रीय कार्यालय को 'सरोजिनी हाउसनाम प्रदान किया गया है। 
  • 2 मार्च सन् 1949 को भारत माता के इस अमर बेटी का निधन हो गया। 13 फ़रवरी, 1964 को भारत सरकार ने उनकी जयंती के अवसर पर एक डाक टिकट भी चलाया। भारतीय इतिहास में इस महान नायिका को आगे आने वाली पीढ़ियों के द्वारा 'भारत कोकिला', 'राष्ट्रीय नेताऔर 'नारी मुक्ति आन्दोलन की समर्थकके रूप में सदैव याद किया जाता रहेगा।