विश्व कैंसर दिवस विशेष :कैंसर क्या है क्यों होता है? | World Cancer Day - Daily Hindi Paper | Online GK in Hindi | Civil Services Notes in Hindi

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गुरुवार, 2 फ़रवरी 2023

विश्व कैंसर दिवस विशेष :कैंसर क्या है क्यों होता है? | World Cancer Day

  विश्व कैंसर दिवस विशेष :कैंसर क्या है क्यों होता है?

विश्व कैंसर दिवस विशेष :कैंसर क्या है क्यों होता है? | World Cancer Day
 

 विश्व कैंसर दिवस विशेष :कैंसर क्या है क्यों होता है?

प्रतिवर्ष 4 फरवरी को विश्व कैंसर दिवस मनाया जाता है। यह अंतर्राष्ट्रीय कैंसर नियंत्रण के लिये संघ (Union for International Cancer Control- UICC) की एक पहल है। इस दिवस की शुरुआत 4 फरवरी, 2000 को पेरिस में न्यू मिलेनियम के लिये कैंसर के खिलाफ विश्व शिखर सम्मेलन (World Summit Against Cancer for the New Millennium) में हुई थी।

विश्व कैंसर दिवस का उद्देश्य दुनिया भर में सरकारों और व्यक्तियों को इस बीमारी के खिलाफ कार्रवाई करने के लिये जागरूक बनाकर कैंसर से होने वाली मौतों को कम करना है।

पेरिस चार्टर का उद्देश्य अनुसंधान को बढ़ावा देना, कैंसर को रोकना, रोगी देखभाल सेवाओं में सुधार, जागरूकता बढ़ाना, वैश्विक समुदाय को कैंसर की रोकथाम के लिये संगठित करना और विश्व कैंसर दिवस को अपनाना है।

 


कैंसर क्या होता है ?

कैंसर शरीर की कोशिकाओं के समूह की असामान्य, अव्यवस्थित एवं अनियंत्रित वृद्धि है। यदि कोशिकाओं के समूह की असामान्य, अव्यवस्थित एवं अनियंत्रित की समय पर जांच व इलाज न हो तो यह शरीर के दूसरे हिस्सों में भी फैल सकता है। 

 

कैंसर क्यों होता है?

कैंसर हमारी कोशिकाओं के भीतर डी. एन. ए. (आनुवांशिक सामग्री) की क्षति के कारण होता है। डी. एन. ए. की क्षति सभी सामान्य कोशिकाओं में होती रहती है। लेकिन इस क्षति का सुधार हमारे स्वयं के शरीर द्वारा हो जाता है। कभी कभी इस क्षति का सुधार नहीं हो पाता जिससे कोशिकाओं के गुणों में परिवर्तन हो जाते हैं। संचित डीएनए की क्षति अंत में कैंसर को जन्म दे सकती है। 

 

कैंसर के लिए कोई एक विशेष कारक जिम्मेदार नहीं होता है। कुछ तत्व बाहरी एजेंट के रूप में कैंसर उत्पन्न करने के कारक (कैस्किनोजेन्स) के रूप में कार्य करते हैं। ये निम्नलिखित हैं: 

 शारीरिक कैंसरकारी तत्व: पराबैंगनी और आयनीकरण विकिरण।

रासायनिक कैंसरकारी तत्व: ऐस्बेस्टस, तंबाकू, एफ्लोटॉक्सिन (दूषित आहार से), और आर्सेनिक (दूषित पेयजल से)

जैविक कैंसरकारी तत्व: वायरस, बैक्टीरिया या हेपेटाइटिस बी और सी वायरस और मानव पेपिलोमावायरस (एचपीवी) जैसे परजीवियों से होने वाला संक्रमण

वृद्धावस्था, कैंसर के विकास के लिए एक अन्य महत्वपूर्ण कारक है।

तंबाकू और अल्कोहल का सेवन, अस्वास्थ्यकर आहार एवं शारीरिक निष्क्रियता इत्यादि 

 

ग्रीवा कैंसर क्या होता है

यह एक प्रकार का कैंसर है जो गर्भाशय की ग्रीवा की कोशिकाओं में होता है।

मानव पेपिलोमावायरस (HPV) के विभिन्न उपभेद अधिकांश ग्रीवा कैंसर की उत्पत्ति में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

HPV के संपर्क में आने पर शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली आमतौर पर शरीर को वायरस प्रभावित करने से रोकती है। हालाँकि कुछ लोगों में वायरस वर्षों तक जीवित रहता है जिससे कुछ गर्भाशय ग्रीवा कोशिकाएँ कैंसर कोशिकाएँ बन जाती हैं।

HPV वैक्सीन (Cervarix) कैंसर पैदा करने वाले दो उपभेदों HPV 16 और 18 से सुरक्षा प्रदान करती है।

 

कैंसर अन्य तथ्य

पुरुषों में सबसे सामान्य प्रकार के कैंसर- फेफड़े, प्रॉस्टैटट, कोलोरेक्टल (पेट के कैंसर या बड़ी आंत्र के कैंसर को कोलोरेक्टल कैंसर कहा जाता है), अमाशय और यकृत कैंसर हैं

महिलाओं में सबसे सामान्य प्रकार के कैंसर- स्तन, कोलोरेक्टल, फेफड़े, गर्भाशय ग्रीवा और थायरॉयड कैंसर हैं।

भारत में पांच सबसे अधिक होने वाले कैंसर- स्तन कैंसर, सर्वाइकल कैंसर या ग्रीवा का कैंसर, मुंह का कैंसर, फेफड़े और कोलोरेक्टल कैंसर हैं।

 

 

कैंसर नियंत्रण हेतु सरकारी प्रयास

कैंसर नियंत्रण एवं उपचार, हृदयरोग और आघात के राष्ट्रीय कार्यक्रम (एनपीसीडीसीएस) का क्रियान्वयन राष्ट्रीय स्वस्थ्य मिशन (एनएचएम) के अंतर्गत ज़िला स्तर पर किया जा रहा है।

केंद्र सरकार कैंसर नियंत्रण और सस्ती सुलभ चिकित्सा सेवा उपलब्ध करवाने के राज्य सरकारों के प्रयास में सहायक की भूमिका निभाती है।

आयुष्मान भारत के अंतर्गत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएम-जेएवाई) का क्रियान्वयन किया जा रहा है ताकि बीमारी की चपेट में आए गरीब परिवारों को बेहतर चिकित्सा सुविधा और आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जा सके। इसके अंतर्गत प्रत्येक लाभार्थी को प्रति वर्ष 5 लाख रुपये का स्वस्थ्य बीमा उपलब्ध कराया जा रहा है।

एनपीपीएऔषधि कीमत नियंत्रण आदेश (डीपीसीओ) 2013 के अंतर्गत सभी प्रकार की दवाओं की कीमतों को नियंत्रित करता है। यह आवश्यक औषधियों की राष्ट्रीय सूची में दर्ज दवाओं के लिए कीमतों का निर्धारण करती है। डीपीसीओ, 2013 की पहली अनुसूची में जिन दवाओं को शामिल किया गया था उनमें कैंसर के उपचार की दवाएं भी शामिल है।

भारत-ब्रिटेन कैंसर शोध पहल: विज्ञान और टेक्नोलॉजी मंत्रालय के जैव प्रौद्योगिकी विभाग तथा कैंसर रिसर्च यूके (सीआरयूके) का 5 वर्ष का सहयोगी द्विपक्षीय शोध कार्यक्रम है। यह कार्यक्रम कैंसर के किफायती दृष्टिकोण पर फोकस करेगा।

 

 

कैंसर का उपचार:

कैंसर के उपचार के विकल्प के रूप में सर्जरी, कैंसर की दवाएँ या रेडियोथेरेपी शामिल हैं।

उपशामक देखभाल (Palliative Care) जो रोगियों एवं उनके परिवारों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने पर केंद्रित है, कैंसर देखभाल का एक अनिवार्य घटक है। 

 

कैंसर के प्रभाव

 

कैंसर से जीवन का नुकसान होता है और इसका सामाजिक रूप से भी बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है।

कैंसर से पीड़ित व्यक्ति मृत्यु के पूर्व अत्यंत गंभीर मनःस्थिति से गुजरता है तथा उसका सम्पूर्ण परिवार संकटो का सामना करता है।

इसके निदान में लगने वाला व्यय उनके बचत को प्रभावित करता है।

अतः कैंसर को कम करना सामाजिक और आर्थिक असमानता को संबोधित करने, आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने और सतत विकास को गति देने के लिए आवश्यक है ।

राष्ट्रीय कैंसर ग्रिड (NCG) के बारे में जानकारी 

राष्ट्रीय कैंसर ग्रिड (NCG) का गठन अगस्त 2012 में किया गया था।

राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (National Pharmaceutical Pricing Authority- NPPA) ने कैंसर पीड़ित मरीज़ों के लिये स्वास्थ्य सेवाओं को अधिक किफायती बनाने अर्थात् कैंसर-रोधी दवाओं की कीमतों को कम करने के लिये फरवरी 2019 में 42 एंटी कैंसर दवाओं के लिये व्यापार मार्जिन युक्तिकरण (Trade Margin Rationalisation) पर एक पायलट परियोजना लॉन्च की थी। इससे दवाओं की कीमतों में कमी आई है।