PM Speech 2023 :प्रधानमंत्री का अमेरिकी कांग्रेस की संयुक्त बैठक में संबोधन
अध्यक्ष महोदय,
उपाध्यक्ष महोदया,
अमेरिकी कांग्रेस
के प्रतिष्ठित सदस्य,
देवियो और
सज्जनों,
नमस्कार!
अमेरिकी कांग्रेस
को संबोधित करना हमेशा एक बड़ा सम्मान होता है। ऐसा अवसर दो बार प्राप्त करना एक
असाधारण विशेषाधिकार है। इस सम्मान के लिए भारत की 1.4 अरब जनता की ओर से हार्दिक
आभार व्यक्त करता हूं। मैं देख रहा हूं कि आप में से लगभग आधे लोग 2016 में यहां
थे। मैं पुराने मित्रों के तौर पर आपके उत्साहपूर्ण भाव को महसूस करता हूं। बाकी
सभी के बीच भी मैं एक नई मित्रता का उत्साह महसूस कर सकता हूं। मुझे सीनेटर हैरी
रीड, सीनेटर जॉन मैक्केन, सीनेटर ओरिन हैच, एलिजा कमिंग्स, एलसी हेस्टिंग्स
और अन्य लोगों का स्मरण हैं, जिनसे मेरी 2016 में यहां भेंट हुई थी, पर यह दुख की बात
है कि अब वे हमारे साथ नहीं हैं।
अध्यक्ष महोदय,
यहां खड़े होकर, सात वर्ष पहले, यही वह जून है जब
हैमिल्टन ने सभी पुरस्कार जीते थे, मैंने कहा था कि
इतिहास की दुविधा हमारे साथ थी। अब, जब हमारा युग एक
मिलनस्थल पर है, मैं इस शताब्दी के लिए हमारे आह्वान के संदर्भ में चर्चा
करने के लिए यहां उपस्थित हूं। जिस लंबे और वक्र मार्ग पर हमने यात्रा की है, उसमें मित्रता की
कसौटी पर हम खरे उतरे हैं। सात वर्ष पहले जब मैं यहां आया था तब से बहुत कुछ बदल
गया है। लेकिन बहुत कुछ समान भी है- जैसे भारत और अमेरिका के बीच की मित्रता को
परिपुष्ट करने की हमारी प्रतिबद्धता। पिछले कुछ वर्षों में एआई-आर्टिफिशियल
इंटेलिजेंस में काफी प्रगति हुई है। साथ ही, अन्य एआई-
अमेरिका और भारत में और भी महत्वपूर्ण विकास हुए हैं।
अध्यक्ष महोदय और
विशिष्ट सदस्यगण,
लोकतंत्र की
खूबसूरती लोगों से लगातार जुड़े रहने, उनकी बात सुनना
और उनका मनोदशा को महसूस करना है। और, मैं जानता हूं कि
इसमें लंबी यात्रा, बहुत समय, ऊर्जा और प्रयास
लगता है। यह गुरुवार की दोपहर है- आप में से कुछ के लिए बेहद व्यस्थ दिन है। इसलिए, मैं आपके समय के
लिए आभारी हूं। मैं यह भी जानता हूं कि पिछले महीने आप कितने व्यस्त रहे हैं।
एक जीवंत
लोकतंत्र का नागरिक होने के नाते, मैं एक बात स्वीकार कर सकता हूं अध्यक्ष महोदय-
आपका काम कठिन है! उत्साह, प्रतिपालन और नीति के संघर्षों मैं इस कार्य को
जोड़कर देख सकता हूं। मैं विचारों और विचारधारा के तर्क-वितर्क को समझ सकता हूं
लेकिन मुझे यह देखकर प्रसन्नता हो रही है कि आज आप विश्व के दो महान लोकतंत्रों-
भारत और अमेरिका के बीच संबंधों का महोत्सव मनाने के लिए एक साथ उपस्थित हैं। जब
भी आपको पुष्ट द्विदलीय सहमति की आवश्यकता हो तो मुझे सहायता करने में प्रसन्नता
का अनुभव होगा। स्वदेश में विचारों का एक मंथन होगा- और होना भी चाहिए। लेकिन, जब हम अपने
राष्ट्र की बात करते हैं तो हमें एक साथ आना भी चाहिए। और, आपने दिखाया है
कि आप यह कर सकते हैं। इसके लिए बधाई स्वीकार करें!
अध्यक्ष महोदय,
अमेरिका की
स्थापना समान लोगों वाले राष्ट्र की अवधारणा से प्रेरित थी। अपने पूरे इतिहास में, आपने दुनिया भर
के लोगों को गले लगाया है। और, आपने उन्हें अमेरिकी स्वप्न में बराबर का
भागीदार बनाया है। यहां लाखों लोग हैं, जिनकी जड़ें भारत
में हैं। उनमें से कुछ इस कक्ष में शान से बैठते हैं। मेरे पीछे भी एक हैं, जिन्होंने इतिहास
रचा है! मुझे जानकारी दी गयी है कि समोसा कॉकस की अब सदन में अहम भूमिका है। मुझे
आशा है कि इसमें और बढ़ोत्तरी होगी और भारतीय पाक शैली की पूर्ण विविधता यहां लाई
जाएगी। दो शताब्दियों से अधिक समय से, हमने महान
अमेरिकियों और भारतीयों की जीवनशैली से एक-दूसरे को प्रेरित किया है। हम महात्मा
गांधी और मार्टिन लूथर किंग जूनियर को श्रद्धांजलि देते हैं। हम कई अन्य लोगों को
भी याद करते हैं जिन्होंने स्वतंत्रता, समानता और न्याय
के लिए कार्य किया। आज, उनमें से एक- कांग्रेस के सदस्य जॉन लुईस को भी
मैं भावभीनी श्रद्धांजलि देना चाहता हूं।
अध्यक्ष महोदय,
लोकतंत्र हमारे
पवित्र और साझा मूल्यों में से एक है। यह लंबे समय में विकसित हुआ है, और इसने विभिन्न
रूप और व्यवस्थाओं को अपनाया हैं। हालाँकि, पूरे इतिहास में, एक बात स्पष्ट
रही है।
लोकतंत्र वह
भावना है जो समानता और सम्मान का समर्थन करती है।
लोकतंत्र वह
विचार है जो परिचर्चा और संवाद का स्वागत करता है। लोकतंत्र वह संस्कृति है जो
विचार और अभिव्यक्ति को पंख देती है। भारत को अनादिकाल से ऐसे मूल्यों का सौभाग्य
प्राप्त है। लोकतांत्रिक भावना के विकास में भारत लोकतंत्र की जननी है।
सहस्राब्दियों पहले, हमारे सबसे पुराने धर्मग्रंथों में कहा गया था, 'एकम् सत् विप्रा
बहुधा वदन्ति'। इसका अर्थ है- सत्य एक है लेकिन बौद्धिक लोग उसे अलग-अलग
तरीकों से व्यक्त करते हैं। अब, अमेरिका सबसे पुराना और भारत सबसे बड़ा
लोकतंत्र है। हमारी साझेदारी लोकतंत्र के भविष्य के लिए शुभ संकेत है। हम सब मिलकर
दुनिया को बेहतर भविष्य देंगे और भविष्य को बेहतर दुनिया देंगे।
अध्यक्ष महोदय,
पिछले वर्ष भारत
ने अपनी आजादी के 75 साल पूरे किये. प्रत्येक मील का पत्थर महत्वपूर्ण है, लेकिन यह विशेष
था। हमने किसी न किसी रूप में एक हजार वर्षों के विदेशी शासन के बाद, आजादी की 75
वर्षों से अधिक की उल्लेखनीय यात्रा का महोत्सव मनाया। यह सिर्फ लोकतंत्र का ही
नहीं बल्कि विविधता, संविधान, उसकी सामाजिक सशक्तिकरण
की भावना के साथ-साथ न केवल हमारे प्रतिस्पर्धी और सहकारी संघवाद का बल्कि हमारी
आवश्यक एकता और अखंडता का भी उत्सव था।
हमारे पास दो
हजार पांच सौ से अधिक राजनीतिक दल हैं। हाँ, आपने सही सुना-
दो हजार पाँच सौ। भारत के विभिन्न राज्यों में लगभग बीस अलग-अलग पार्टियाँ शासन
करती हैं। हमारी बाईस आधिकारिक भाषाएँ और हजारों बोलियाँ हैं, और फिर भी, हम एक स्वर में
बात करते हैं। हर सौ मील पर हमारा भोजन बदल जाता है। डोसा से लेकर आलू पराठा तक और
श्रीखंड से लेकर संदेश तक, हम इन सबका आनंद लेते हैं। हम दुनिया के सभी
धर्मों का घर हैं, और हम उन सभी का उत्सव भी मनाते हैं। भारत में
विविधता जीवन जीने का एक स्वाभाविक तरीका है।
आज दुनिया भारत
के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानना चाहती है। मैं इस सदन में भी वह जिज्ञासा
देखता हूं। पिछले दशक में भारत में अमेरिकी कांग्रेस के सौ से अधिक सदस्यों का
स्वागत करके हम सम्मानित महसूस कर रहे हैं। हर कोई भारत के विकास, लोकतंत्र और
विविधता को समझना चाहता है। हर कोई जानना चाहता है कि भारत क्या सही कर रहा है और
कैसे। करीबी मित्रों के बीच, मुझे इसे साझा करते हुए प्रसन्नता का अनुभव हो
रहा है।
अध्यक्ष महोदय,
जब मैंने
प्रधानमंत्री के रूप में पहली बार अमेरिका का दौरा किया, तो भारत दुनिया
की दसवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी। आज भारत पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।
और, भारत जल्द ही तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगा। हम न केवल
विकसित हो रहे हैं बल्कि तेजी से बढ़ भी रहे हैं। जब भारत बढ़ता है तो पूरी दुनिया
बढ़ती है। आख़िरकार, हम दुनिया की आबादी का छठा हिस्सा हैं! पिछली
शताब्दी में, जब भारत ने अपनी स्वतंत्रता हासिल की, तो इसने कई अन्य
देशों को औपनिवेशिक शासन से खुद को मुक्त करने के लिए प्रेरित किया। इस सदी में, जब भारत विकास के
मानक स्थापित करेगा, तो यह कई अन्य देशों को भी ऐसा करने के लिए
प्रेरित करेगा। हमारा दृष्टिकोण सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास है।
इसका अभिप्राय है:, सबका विकास, सबके विश्वास और
सबके प्रयासों से साथ मिलकर आगे बढ़ना है।
आइए मैं आपके साथ
साझा करता हूँ कि यह दृष्टिकोण गति और व्यापकता के साथ किस प्रकार से कार्यान्वित
हो रहा है। हम बुनियादी ढांचे के विकास पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। हमने सवा सौ
करोड़ से अधिक लोगों को आश्रय प्रदान करने के लिए लगभग चालीस मिलियन घर दिए हैं।
यह ऑस्ट्रेलिया की जनसंख्या का लगभग छह गुना है! हम एक राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा
कार्यक्रम चलाते हैं जो लगभग पांच सौ मिलियन लोगों के लिए मुफ्त चिकित्सा उपचार
सुनिश्चित करता है। यह दक्षिण अमेरिका की जनसंख्या से भी अधिक है! हमने दुनिया के
सबसे बड़े वित्तीय समावेशन अभियान के साथ बैंकिंग को उन लोगों तक पहुंचाया जिनके
पास बैंकिंग सुविधा नहीं थी। लगभग पाँच सौ मिलियन लोगों को इसका लाभ हुआ।
यह उत्तरी
अमेरिका की जनसंख्या के करीब है! हमने डिजिटल इंडिया बनाने पर काम किया है. आज देश
में आठ सौ पचास करोड़ से अधिक स्मार्ट फोन और इंटरनेट उपयोगकर्ता हैं। यह यूरोप की
जनसंख्या से भी अधिक है! हमने अपने लोगों को भारत में निर्मित कोविड टीकों की दो
दशमलव दो अरब खुराकें देकर सुरक्षित किया, और वह भी
निःशुल्क! हो सकता है कि जल्द ही हम महाद्वीपों से भी आगे बढ़ जाऐं, इसलिए मैं यहीं
रुकूंना चाहूँगा!
प्रतिष्ठित
सदस्यगणों,
वेद दुनिया के
सबसे पुराने धर्मग्रंथों में से एक हैं। वे हजारों साल पहले रचित मानवता का एक
महान खजाना हैं। उस समय, महिला ऋषियों ने वेदों में कई छंदों की रचना की
और आज, आधुनिक भारत में, महिलाएं हमें
बेहतर भविष्य की ओर ले जा रही हैं। भारत का दृष्टिकोण सिर्फ महिलाओं को लाभ
पहुंचाने वाला विकास नहीं है। यह महिला नेतृत्व वाले विकास का है, जहां महिलाएं
प्रगति की यात्रा का नेतृत्व करती हैं। एक साधारण जनजाति की पृष्ठभूमि से निकलकर
एक महिला हमारी राष्ट्रपति बनी हैं।
लगभग एक दशमलव
पाँच मिलियन निर्वाचित महिलाएँ विभिन्न स्तरों पर हमारा नेतृत्व करती हैं और वह है
स्थानीय सरकारों के रूप में हैं। आज महिलाएं थल सेना, नौसेना और वायु
सेना में हमारे देश की सेवा कर रही हैं। विश्व में महिला एयरलाइन पायलटों का
प्रतिशत भी भारत में सबसे अधिक है। और, उन्होंने हमारे
मंगल मिशन का नेतृत्व करके हमें मंगल ग्रह पर भी पहुंचाया है। मेरा मानना है कि एक
बालिका के उत्थान पर निवेश करने से पूरे परिवार का उत्थान होता है। महिलाओं को
सशक्तिकरण, राष्ट्र का सशक्तिकरण कर देता है।
अध्यक्ष महोदय,
भारत युवा आबादी
वाला एक प्राचीन राष्ट्र है। भारत अपनी परंपराओं के लिए जाना जाता है। लेकिन युवा
पीढ़ी इसे टेक्नोलॉजी का हब भी बना रही है। चाहे वह इंस्टा पर क्रिएटिव रील्स हो
या रियल टाइम पेमेंट, कोडिंग या क्वांटम कंप्यूटिंग, मशीन लर्निंग या
मोबाइल ऐप, फिनटेक या डेटा साइंस, भारत के युवा इस
बात का एक बड़ा उदाहरण हैं कि एक समाज नवीनतम तकनीक को कैसे अपना सकता है। भारत
में, प्रौद्योगिकी न केवल नवाचार से जुड़ी है बल्कि समावेशन के
संबंध में भी है। आज डिजिटल प्लेटफॉर्म निजता की रक्षा करते हुए लोगों के अधिकारों
और सम्मान को सशक्त बना रहे हैं।
पिछले नौ वर्षों
में, एक अरब से अधिक लोगों को उनके बैंक खातों और मोबाइल फोन से
जुड़ी एक अद्वितीय डिजिटल बायोमेट्रिक पहचान मिली है। यह डिजिटल सार्वजनिक
बुनियादी ढांचा हमें वित्तीय सहायता के साथ नागरिकों तक सेकंडों में पहुंचने में
मदद करता है। आठ सौ पचास मिलियन लोगों को उनके खातों में प्रत्यक्ष लाभ वित्तीय
हस्तांतरण प्राप्त होता है। साल में तीन बार, एक बटन के क्लिक
पर सौ मिलियन से अधिक किसानों को उनके बैंक खातों में सहायता प्राप्त होती है। ऐसे
हस्तांतरणों का मूल्य तीन सौ बीस अरब डॉलर से अधिक हो गया है, और हमने इस
प्रक्रिया में पच्चीस अरब डॉलर से अधिक की बचत की है। यदि आप भारत का दौरा करें, तो आप देखेंगे कि
हर कोई भुगतान के लिए फोन का उपयोग कर रहा है, जिसमें एक सड़क
विक्रेता भी शामिल हैं।
पिछले वर्ष
दुनिया में हर 100 रियल टाइम डिजिटल भुगतान में से 46 भारत में हुए। लगभग चार लाख
मील ऑप्टिकल फाइबर केबल और सस्ते डेटा ने अवसरों की क्रांति ला दी है। किसान मौसम
संबंधी अपडेट देखते हैं, बुजुर्गों को सामाजिक सुरक्षा भुगतान मिलती है, छात्रों को
छात्रवृत्ति मिलती है, डॉक्टर टेली-मेडिसिन देते हैं, मछुआरे मछली
पकड़ने की संभावनाओं की मदद लेते हैं और छोटे व्यवसायों को अपने फोन पर सिर्फ एक
टैप से ऋण मिलता है।
अध्यक्ष महोदय,
लोकतंत्र, समावेश और
स्थिरता की भावना हमें परिभाषित करती है। यह दुनिया के प्रति हमारे दृष्टिकोण को
भी आकार देता है। भारत अपनी पृथ्वी के प्रति जिम्मेदार रहते हुए आगे बढ़ता है।
हमें यकीन है:
माता भूमि: पुत्रो अहं पृथिव्या:
इसका अर्थ है-
"पृथ्वी हमारी माता है और हम उसकी संतान हैं।"
भारतीय संस्कृति
पर्यावरण और हमारे ग्रह का हदय से सम्मान करती है। सबसे तेजी से बढ़ती
अर्थव्यवस्था बनते हुए, हमने अपनी सौर क्षमता में दो हजार तीन सौ
प्रतिशत की वृद्धि की! हाँ, आपने सही सुना- दो हज़ार तीन सौ प्रतिशत!
हम अपनी पेरिस प्रतिबद्धता
को पूरा करने वाले एकमात्र जी20 देश बन गए हैं। हमने 2030 के लक्ष्य से नौ साल
पहले, नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को हमारे ऊर्जा स्रोतों का चालीस
प्रतिशत से अधिक हिस्सा बना लिया। लेकिन हम यहीं नहीं रुके। ग्लासगो शिखर सम्मेलन
में, मैंने पर्यावरण के लिए मिशन लाइफ-लाइफस्टाइल का प्रस्ताव
रखा। यह स्थिरता को एक सच्चा जन आंदोलन बनाने का एक तरीका है। इसे केवल सरकारों के
काम पर ही न छोड़ें।
चुनाव करते समय
सचेत रहकर प्रत्येक व्यक्ति सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। स्थिरता को एक जन
आंदोलन बनाने से दुनिया को नेट ज़ीरो लक्ष्य तक तेजी से पहुंचने में मदद मिलेगी।
हमारा दृष्टिकोण ग्रह-समर्थक प्रगति है। हमारा दृष्टिकोण ग्रह समृद्धि समर्थक है।
हमारा दृष्टिकोण ग्रह समर्थक लोगों का है।
अध्यक्ष महोदय,
हम वसुधैव
कुटुंबकम या विश्व एक परिवार है के आदर्श वाक्य के साथ जीते हैं। दुनिया के साथ
हमारा जुड़ाव हर किसी के लाभ के लिए है। "वन सन, वन वर्ल्ड, वन ग्रिड"
दुनिया को स्वच्छ ऊर्जा से जोड़ने में हम सभी को शामिल करना चाहता है। "वन
अर्थ, वन हेल्थ" पशुओं और पौधों सहित सभी के लिए
गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल लाने के लिए वैश्विक कार्रवाई का एक दृष्टिकोण है।
जब हम जी20 की
अध्यक्षता करते हैं तो इसकी थीम में भी यही भावना देखी जाती है - "एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य।"
हम योग के माध्यम से भी एकता की भावना को आगे बढ़ाते हैं। कल ही, पूरी दुनिया
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाने के लिए एक साथ एक मंच पर आई। अभी पिछले हफ्ते, सभी देश शांति
सैनिकों के सम्मान में एक स्मारक दीवार बनाने के लिए संयुक्त राष्ट्र में हमारे
प्रस्ताव में शामिल हुए।
और इस वर्ष, पूरी दुनिया सतत
कृषि और पोषण को समान रूप से बढ़ावा देने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मिलेट वर्ष मना
रही है। कोविड के दौरान, हमने एक सौ पचास से अधिक देशों में टीके और
दवाएं पहुंचाईं। हम आपदाओं के दौरान पहले प्रतिक्रियाकर्ता के रूप में दूसरों तक
पहुंचते हैं, जैसा कि हम अपने लिए करते हैं। हम अपने मामूली संसाधनों को
उन लोगों के साथ साझा करते हैं जिन्हें उनकी सबसे अधिक आवश्यकता है। हम क्षमताओं
का निर्माण करते हैं, निर्भरता का नहीं।
अध्यक्ष महोदय,
जब मैं दुनिया के
प्रति भारत के दृष्टिकोण के बारे में बात करता हूं, तो इसमें संयुक्त
राज्य अमेरिका एक विशेष स्थान रखता है। मैं जानता हूं कि हमारे संबंध आप सभी के
लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। कांग्रेस के प्रत्येक सदस्य की इसमें गहरी रुचि है। जब
भारत में रक्षा और एयरोस्पेस बढ़ता है, तो वाशिंगटन, एरिज़ोना, जॉर्जिया, अलबामा, दक्षिण कैरोलिना
और पेंसिल्वेनिया राज्यों में उद्योग बढ़ते हैं। जब अमेरिकी कंपनियां बढ़ती हैं, तो भारत में उनके
अनुसंधान और विकास केंद्र भी फलते-फूलते हैं। जब भारतीय अधिक उड़ान भरते हैं, तो विमानों का
एकमात्र ऑर्डर अमेरिका के चवालिस राज्यों में दस लाख से अधिक रोज़गारों का सृजन
करता है।
जब कोई अमेरिकी
फोन निर्माता भारत में निवेश करता है, तो यह दोनों
देशों में रोज़गारों और अवसरों का एक संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र बनाता है। जब
भारत और अमेरिका सेमी-कंडक्टर और महत्वपूर्ण खनिजों पर एक साथ काम करते हैं, तो यह दुनिया को
आपूर्ति श्रृंखलाओं को अधिक विविध, लचीला और
विश्वसनीय बनाने में मदद करता है। वास्तव में, अध्यक्ष महोदय, सदी की शुरुआत
में हम रक्षा सहयोग में न्यून थे। अब, संयुक्त राज्य
अमेरिका हमारे सबसे महत्वपूर्ण रक्षा भागीदारों में से एक बन गया है। आज भारत और
अमेरिका अंतरिक्ष और समुद्र में, विज्ञान और सेमी-कंडक्टर में, स्टार्ट-अप और
स्थिरता में, तकनीक और व्यापार में, खेती और वित्त
में, कला और कृत्रिम बुद्धिमत्ता में, ऊर्जा और शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल
और मानवीय प्रयासों में एक साथ काम कर रहे हैं।
हम लगातार चलना
जारी रह सकते हैं। लेकिन, इसे संक्षेप में कहने के लिए, मैं कहूंगा, हमारे सहयोग का
दायरा अनंत है, हमारे तालमेल की क्षमता असीमित है, और, हमारे संबंधों
में का जुड़ाव सहज है।
इन सबमें भारतीय
अमेरिकियों ने बड़ी भूमिका निभाई है। वे सिर्फ स्पेलिंग बी में ही नहीं, बल्कि हर क्षेत्र
में प्रतिभाशाली हैं। अपने दिल और दिमाग, प्रतिभा और कौशल
तथा अमेरिका और भारत के प्रति अपने प्यार से उन्होंने हमें जोड़ा है; उन्होंने दरवाजे
खोल दिये हैं; उन्होंने हमारी साझेदारी की क्षमता दिखाई है।
अध्यक्ष महोदय, विशिष्ट सदस्यगण,
अतीत के प्रत्येक
भारतीय प्रधानमंत्री और अमेरिकी राष्ट्रपति ने हमारे संबंधों को आगे बढ़ाया है।
लेकिन हमारी पीढ़ी को इसे नई ऊंचाइयों पर ले जाने का गौरव प्राप्त है। मैं
राष्ट्रपति बाइडेन से सहमत हूं कि यह इस सदी की एक निर्णायक साझेदारी है। क्योंकि
यह एक बड़े उद्देश्य की पूर्ति करती है। लोकतंत्र, जनसांख्यिकी और
नियति हमें वह उद्देश्य देती है। वैश्वीकरण का एक परिणाम आपूर्ति शृंखलाओं का
अति-संकेन्द्रण रहा है।
हम आपूर्ति
श्रृंखलाओं में विविधता लाने, विकेंद्रीकरण और लोकतंत्रीकरण करने के लिए
मिलकर काम करेंगे। प्रौद्योगिकी इक्कीसवीं सदी में सुरक्षा, समृद्धि और
नेतृत्व का निर्धारण करेगी। इसीलिए हमारे दोनों देशों ने एक नई "महत्वपूर्ण
और उभरती प्रौद्योगिकियों के लिए पहल" की स्थापना की। हमारी ज्ञान साझेदारी
मानवता की सेवा करेगी और जलवायु परिवर्तन, भूख और स्वास्थ्य
की वैश्विक चुनौतियों का समाधान तलाशेगी।
अध्यक्ष महोदय और
विशिष्ट सदस्यगण,
पिछले कुछ वर्ष
गंभीर विघटनकारी विकास के साक्षी रहे हैं। यूक्रेन संघर्ष के साथ, युद्ध यूरोप में
लौट आया है। इससे क्षेत्र में भारी पीड़ा हो रही है। चूँकि इसमें प्रमुख शक्तियाँ
शामिल हैं, परिणाम गंभीर होंगे। ग्लोबल साउथ के देश विशेष रूप से
प्रभावित हुए हैं। वैश्विक व्यवस्था संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों के
सम्मान, विवादों के शांतिपूर्ण समाधान और संप्रभुता और क्षेत्रीय
अखंडता के सम्मान पर आधारित है।
जैसा कि मैंने
प्रत्यक्ष और सार्वजनिक रूप से कहा है, यह युद्ध का युग
नहीं अपिकु लेकिन यह संवाद और कूटनीति में से एक का युग है। और, हम सभी को
रक्तपात और मानवीय पीड़ा को रोकने के लिए वह सब करना चाहिए जो हम कर सकते हैं।
अध्यक्ष महोदय, दबाव और टकराव के काले बादल इंडो पैसिफिक में अपनी छाया डाल
रहे हैं। क्षेत्र की स्थिरता हमारी साझेदारी की मुख्य चिंताओं में से एक बन गई है।
हम एक स्वतंत्र, खुले और समावेशी
इंडो पैसिफिक का दृष्टिकोण साझा करते हैं, जो सुरक्षित
समुद्रों से जुड़ा हो, अंतरराष्ट्रीय कानून द्वारा परिभाषित हो, प्रभुत्व से
मुक्त हो और आसियान केंद्रीयता में स्थित हो। एक ऐसा क्षेत्र जहां सभी राष्ट्र, छोटे और बड़े, अपनी पसंद में
स्वतंत्र और निडर हैं, जहां प्रगति ऋण के असंभव बोझ से नहीं दबती है, जहां रणनीतिक
उद्देश्यों के लिए कनेक्टिविटी का लाभ नहीं उठाया जाता है, जहां सभी राष्ट्र
साझा समृद्धि के उच्च भावना से ऊपर रहते हैं।
हमारा दृष्टिकोण
रोकने या बहिष्कृत करने का नहीं, बल्कि शांति और समृद्धि का एक सहयोगी क्षेत्र
बनाने का है। हम क्षेत्रीय संस्थानों और क्षेत्र के भीतर और बाहर के अपने
भागीदारों के साथ काम करते हैं। इसमें से क्वाड क्षेत्र की भलाई की एक बड़ी शक्ति
बनकर उभरा है।
अध्यक्ष महोदय,
9/11 के बाद के
दो दशक से भी अधिक समय और मुंबई में 26/11 के एक दशक से भी अधिक समय के बाद भी
कट्टरपंथ और आतंकवाद पूरी दुनिया के लिए एक गंभीर ख़तरा बना हुआ है। ये
विचारधाराएं नई-नई पहचान और रूप लेती रहती हैं, लेकिन उनके इरादे
वही रहते हैं। आतंकवाद मानवता का दुश्मन है और इससे निपटने में कोई किंतु-परंतु
नहीं हो सकता। हमें आतंक को प्रायोजित और फैलाने वाली ऐसी सभी ताकतों पर काबू पाना
होगा।
अध्यक्ष महोदय,
कोविड-19 का सबसे
बड़ा प्रभाव इसके कारण हुई मानवीय क्षति और पीड़ा थी। मैं कांग्रेस सदस्य रॉन राइट
और उन सदस्यों को याद करना चाहता हूं जिन्होंने कोविड से अपनी जान गंवाई। जैसे ही
हम महामारी से बाहर निकलते हैं, हमें एक नई विश्व व्यवस्था को आकार देना होगा।
विचार, देखभाल और चिंता समय की मांग है। ग्लोबल साउथ से जुड़ना ही
आगे बढ़ने का रास्ता है। इसीलिए मेरा दृढ़ विश्वास है कि अफ़्रीकी संघ को जी20 की
पूर्ण सदस्यता दी जानी चाहिए।
हमें बहुपक्षवाद
को पुनर्जीवित करना चाहिए और बेहतर संसाधनों और प्रतिनिधित्व के साथ बहुपक्षीय
संस्थानों में सुधार करना चाहिए। यह शासन की हमारी सभी वैश्विक संस्थाओं, विशेषकर संयुक्त
राष्ट्र पर लागू होता है। जब दुनिया बदल गई है तो हमारी संस्थाएं भी बदलनी चाहिए
अथवा नियमों के बिना प्रतिद्वंद्विता की दुनिया द्वारा प्रतिस्थापित होने का जोखिम
रहता है। अंतर्राष्ट्रीय कानून पर आधारित एक नई विश्व व्यवस्था के लिए काम करने
में, हमारे दोनों देश भागीदार के रूप में सबसे आगे रहेंगे।
अध्यक्ष महोदय और
विशिष्ट सदस्यगण,
आज, हम अपने संबंधों
की एक नई सुबह में एक साथ हैं जो न केवल हमारे दोनों देशों, बल्कि दुनिया के
भाग्य को भी आकार देगा। जैसा कि युवा अमेरिकी कवि अमांडा गोर्मन ने व्यक्त किया
है: "जब दिन निकलता है तो हम अंधेरे से बाहर निकलते हैं, प्रज्वलित और
निडर, जैसे ही हम इससे मुक्त होते हैं, नई सुबह खिलती
है। क्योंकि वहाँ सदैव प्रकाश है, काश हम इसे महसूस करने के लिए पर्याप्त साहस
रखते।”
हमारी विश्वसनीय
साझेदारी इस नई सुबह में सूर्य की तरह है जो चारों ओर प्रकाश फैलाएगी।
मुझे अपनी लिखी
हुई एक कविता याद आती है:
आसमान में सिर
उठाकर
घने बादलों को
चीरकर
रोशनी का संकल्प
लें
अभी तो सूरज उगा
है।
दृढ़ निश्चय के
साथ चलकर
हर मुश्किल को
पार कर
घोर अंधेरे को
मिटाने
अभी तो सूरज उगा
है।।
अध्यक्ष महोदय और
विशिष्ट सदस्यगण,
हम अलग-अलग
परिस्थितियों और इतिहास से आते हैं, लेकिन हम एक समान
दृष्टिकोण और एक समान नियति से से एकजुट हैं। जब हमारी साझेदारी आगे बढ़ती है, आर्थिक लचीलापन
बढ़ता है, नवाचार बढ़ता है, विज्ञान
फलता-फूलता है, ज्ञान आगे बढ़ता है, मानवता को लाभ
होता है, हमारे समुद्र और आसमान सुरक्षित होते हैं इससे लोकतंत्र
उज्जवल होगा और दुनिया एक बेहतर जगह होगी।
यही हमारी
साझेदारी का मिशन है। इस सदी के लिए यही हमारा आह्वान है। अध्यक्ष महोदय और
विशिष्ट सदस्यों, हमारी साझेदारी के उच्च मानकों के हिसाब से भी, यह यात्रा एक
महान सकारात्मक परिवर्तन में से एक है। साथ मिलकर, हम यह प्रदर्शित
करेंगे कि लोकतंत्र मायने रखता है और लोकतंत्र परिणाम देता है। मैं भारत-अमेरिका
साझेदारी के लिए आपके निरंतर समर्थन पर भरोसा करता हूं।
जब मैं 2016 में
यहां आया था, तो मैंने कहा था कि "हमारा रिश्ता एक महत्वपूर्ण
भविष्य के लिए तैयार है"। वह भविष्य आज है। इस सम्मान के लिए एक बार फिर
अध्यक्ष महोदय, उपराष्ट्रपति महोदया और विशिष्ट सदस्यों को धन्यवाद देता
हूँ।
ईश्वर अमेरिका को
अपना आशीर्वाद दें।
जय हिन्द।
भारत-अमेरिका मित्रता जिंदाबाद।
यही हमारी साझेदारी का मिशन है। इस सदी के लिए यही हमारा
आह्वान है। अध्यक्ष महोदय और विशिष्ट सदस्यों, हमारी साझेदारी
के उच्च मानकों के हिसाब से भी, यह यात्रा एक महान सकारात्मक परिवर्तन में से
एक है। साथ मिलकर, हम यह प्रदर्शित करेंगे कि लोकतंत्र मायने रखता
है और लोकतंत्र परिणाम देता है। मैं भारत-अमेरिका साझेदारी के लिए आपके निरंतर
समर्थन पर भरोसा करता हूं।
जब मैं 2016 में यहां आया था, तो मैंने कहा था
कि "हमारा रिश्ता एक महत्वपूर्ण भविष्य के लिए तैयार है"। वह भविष्य आज
है। इस सम्मान के लिए एक बार फिर अध्यक्ष महोदय, उपराष्ट्रपति
महोदया और विशिष्ट सदस्यों को धन्यवाद देता हूँ।
ईश्वर अमेरिका को अपना आशीर्वाद दें।
जय हिन्द।
भारत-अमेरिका मित्रता जिंदाबाद।
प्रधानमंत्री
श्री नरेन्द्र मोदी ने संयुक्त राज्य अमेरिका के हाउस ऑफ रिप्रेजेन्टेटिव्स के
अध्यक्ष महामहिम श्री केविन मैक्कार्थी; सीनेट में बहुमत
के नेता महामहिम श्री चार्ल्स शूमर; सीनेट में
रिपब्लिकन पार्टी के नेता महामहिम श्री मिच मैककोनेल और सदन में डेमोक्रेटिक
पार्टी के नेता महामहिम श्री हकीम जेफ्रीस के निमंत्रण पर 22 जून 2023 को संयुक्त
राज्य अमेरिका की कांग्रेस की संयुक्त बैठक को संबोधित किया।
इस अवसर पर
संयुक्त राज्य अमेरिका की उपराष्ट्रपति महामहिम सुश्री कमला हैरिस भी उपस्थित थीं।
कैपिटल हिल
पहुंचने पर कांग्रेस के नेताओं द्वारा प्रधानमंत्री का औपचारिक रूप से स्वागत किया
गया। इसके बाद प्रधानमंत्री ने सदन के अध्यक्ष केविन मैक्कार्थी और कांग्रेस के
विभिन्न नेताओं के साथ अलग-अलग बैठकें कीं।
अपने संबोधन में, प्रधानमंत्री ने
भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच के संबंधों को मजबूत करने के लिए संयुक्त
राज्य अमेरिका की कांग्रेस में लंबे समय से चले आ रहे और मजबूत द्विदलीय समर्थन की
सराहना की।
प्रधानमंत्री ने
भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच के द्विपक्षीय संबंधों में हुई तेज प्रगति
के बारे में बात की तथा द्विपक्षीय संबंधों को और ऊपर उठाने से संबंधित अपने
दृष्टिकोण को साझा किया। उन्होंने भारत की व्यापक प्रगति और दुनिया के लिए उसके
द्वारा पेश किए जाने वाले अवसरों को भी रेखांकित किया।
अध्यक्ष मैक्कार्थी ने प्रधानमंत्री के सम्मान में एक स्वागत समारोह का आयोजन किया। संयुक्त राज्य अमेरिका की कांग्रेस की संयुक्त बैठक में प्रधानमंत्री का यह दूसरा संबोधन था। उन्होंने इससे पहले सितंबर 2016 में संयुक्त राज्य अमेरिका की अपनी आधिकारिक यात्रा के दौरान अमेरिकी कांग्रेस को संबोधित किया था।