समा (सूफि कीर्तन),प्रमुख सूफि संघ एवं भारत में उनकी स्थापना
समा (सूफि कीर्तन)
समा का अर्थ सुनना है और इसका प्रयोग अल्लाह के प्रेम और उसकी मरीफत के गीत सुनने के अर्थ में होता है, इसलिए समा का अर्थ सूफियों का संगीत एवं नृत्य समझा जाता है । यह छिपे समा का अर्थ सुनना और इसका प्रयोग अल्लाह के प्रेम और उसकी 'मारिफत' के गीत सुनने हुए वज्द ( भावावेश) को प्रकट करता है। प्रत्येक शांत हृदय को उत्तेजित करता है। किसी को लाभ पहुंचाता है तो किसी को मिला देता है ।
अल-हुजवेरी के अनुसार 'समा' उस समय तक न करना चाहिए, जब तक स्वतः उसके लिए प्रेरणा न प्राप्त ही उसे आदत न बनाना चाहिए। समा के समय मुर्शिद (गुरु) की उपस्थिति जरूरी होती है । सर्वसाधारण को उस स्थान से हटा देना चाहिए तथा हृदय में कोई सांसारिक विचार होना नहीं चाहिए । समा की अवस्था में सूफी आवेश में आकर नृत्य करने लगता है । चिश्ती सूफियों ने सभा पर अत्यधिक बल दिया तथा हिन्दुस्तान मे समा का प्रचलन इन्हीं सूफियों के जरिए हुआ
समा में हिन्दवी गीतों का प्रयोग 13वीं सदी से ही प्रारम्भ हो गया था। धीरे-धीरे सूफियों ने समा में फारसी की अपेक्षा हिन्दवीं का अधिक प्रयोग किया जिससे अधिक शांति मिलने लगी थी ।
प्रमुख सूफि संघ एवं भारत में उनकी स्थापना
1 चिश्ती सिलसिला
इस संघ के संस्थापक अबु ईशहाक शामी चिश्ती (मृ0 940) थे। परन्तु भारत में इस संघ की स्थापना खाजा मुईनुद्दीन चिश्त्ती (मृ0 1226 ई) ने की और अपनी खानकाह अजमेर (राजस्थान) में बनायी ।
2 कादिरी सिलसिला
इस संघ के संस्थापक शेख अब्दुल कादिर जिलानी (मृ0 1176 ई) थे इस संघ के दो प्रमुख सूफी शेख निआमतुल्लाह तथा मखदुम मुहम्मद जिलानी ने उच्च (मुल्तान) को अपना केन्द्र बनाया नागौर में भी इस संघ के अनेक प्रमुख संतों का निवास था ।
3 नमारन्दी सिलसिला
ख्वाजा बहाउद्दीन नक्शबन्दी (मृ0 1388 ईZ) इस संघ के संस्थापक थे । खाजा बाकी बिल्लाह (मृ0 1603 ई) ने इस संघ को भारत पहुँचाया परन्तु शेख अहमद सिरीहन्दी (मृ0 1624 ई) (जो मुजद्दीद अल्फ शानी के नाम से मशहूर थे) ने संघ को लोकप्रियता, यश तथा उन्नति दिलाई ।
4 फिरदौसी सिलसिला
भारत में इस संघ की स्थापना शेख रूकनउद्दीन फिरदौसी से हुई। शेख शरफुउद्दीन यहया अल मनेरी (मृ0 1381 ई) (बिहार) ने इस संघ को चरमसीमा पर पहुँचाया ।
5 मदारी सिलसिला
शाह वीउद्दीन मदार (मृ0 1436 ई) इस संघ के प्रमुख सूफी तथा संस्थापक थे जिनकी मज़ार कनपुर में (कानपुर से करीब 40 कि0मी0 दूरी पर स्थित है) है।
6 शत्तारी सिलसिला
इस संघ के संस्थापक शाह अब्दुल्लाह शत्तारी थे जिन्होंने अपना केन्द्र मान्डु (मध्य प्रदेश) को बनाया । शेख मुहम्मद गौश शत्तारी ग्वालियरी इस संघ के प्रमुख सूफियों में से एक है ।
7 सुहरावर्दी सिलसिला
इस संघ के संस्थापक शेख जिआउद्दीन अबु अल अब्दुल कादिर सुहरावर्दी (मृ0 1168 ई0) थे परन्तु इस सिलसिले को चरमसीमा पर पहुँचाने का श्रेय शेख शिहाबउद्दीन सुहरावर्दी (मृ0 1234 ई0) को जाता है । जिन्होने अपने त्यागपूर्ण जीवन, मेहनत, उच्च नैतिकता तथा आध्यात्मिक शिक्षा और प्रमुखता से इस संघ को न केवल उन्नति और यश दिलाया परवरन् अधिक से अधिक लोकप्रिय तथा प्रतिष्ठित भी किया । भारत में इस संघ के संस्थापक शेख बहाउद्दीन जकरिया थे।
हिन्दुस्तान में अबुल फजल के अनुसार 14 सूफी सिलसिला आए जिसमें राजस्थान में चिश्ती, सुहरावर्दी, मदारी, नक्शबंदी, कादीरी, मगरीबी आदि प्रमुख हैं ।