रक्त दाब या रुधिरदाब या रक्तचाप क्या होता है समझाये
रुधिरदाब या
रक्तचाप (Blood
pressure):
- हृदय के संकुचन से धमनियों की दीवारों पर पड़ने वाला दाब
रुधिर दाब (Blood
pressure) कहलाता है। इस दाब को संकुचन दाब (systolic Pressure) कहते हैं जो
निलयों के संकुचन के फलस्वरूप उत्पन्न होता है। यह संकुचन दाब उतना होता है, जितना कि 120 मिलीमीटर पारे
के स्तम्भ द्वारा उत्पन्न होता है।
- इसके ठीक विपरीत अनुशिथिलन दाब (Diastolie Pressure) होता है जो निलय
के अनुशिथिलन के फलस्वरूप उत्पन्न होता है, जब रुधिर अलिंद (Auricle) से निलय (ventricle) में प्रवेश कर रहा होता है। यह दाब सामान्यतः 80 मिलीमीटर पारे
के स्तम्भ द्वारा उत्पन्न दाब के बराबर होता है।
- अत: एक स्वस्थ मनुष्य में संकुचन
और अनुशिथिलन दाब अर्थात् रुधिर दाब 120/80 होता है।
- विभिन्न व्यक्तियों में रुधिर दाब
उम्र, लिंग, आनुवंशिकता, शारीरिक एवं
मानसिक स्थिति तथा अन्य कई कारणों से अलग-अलग होता है।
- रुधिर दाब की माप एक विशेष
उपकरण द्वारा की जाती है। यह उपकरण स्फिगमोमैनोमीटर (Sphygmomanometer) कहलाता है।
हाइपरटेंशन (Hypertension)
- यदि
कोई व्यक्ति लगातार उच्च रुधिर दाब (150/90 mmHg) से पीड़ित है, तो यह अवस्था हाइपरटेंशन (Hypertension) कहलाती है। उच्च
रुधिर दाब के लिए अधिक भोजन, भय,
चिन्ता, दुःख आदि कारक
उत्तरदायी होते हैं। हाइपरटेंशन की अवस्था में कभी-कभी रक्तवाहिनियाँ फट जाती हैं, जिनसे आन्तरिक
रक्तस्राव (Internal
bleeding) होने लगता है। इसके कारण कभी-कभी हृदयाघात (Heart stroke) भी हो जाता है।
- हाइपरटेंशन के कारण जब मस्तिष्क की रक्त कोशिकाएँ फट जाती हैं तब मस्तिष्क को रक्त
और उसके साथ ऑक्सीजन तथा पोषण उचित मात्रा में नहीं मिल पाता है। इससे मस्तिष्क
सामान्य रूप से काम करना बंद कर देता है।
हाइपोटेंशन (Hypotension)
- यदि कोई व्यक्ति लगातार निम्न रुधिर दाब
(100/50 mmHg) से पीड़ित है, तो यह अवस्था
हाइपोटेंशन (Hypotension)
कहलाती है।
- हाइपोटेंशन में हृदय की संकुचन अवस्था और तीव्रता दोनों में कमी आ जाती है।
धमनियाँ फैल जाती हैं और रक्त की कमी हो जाती है। यही कारण है कि रक्त का दाब कम
हो जाता है।
- रुधिर दाब को
सर्वप्रथम एस हेल्स ने 1733
ई. में घोड़े में
मापा था।