थाइरॉइड ग्रंथि और उससे निकालने वाले हार्मोन
थाइरॉइड ग्रंथि और उससे निकालने वाले हार्मोन
थाइरॉइड ग्रंथि श्वास नली के दोनों ओर स्थित दो पालियों से बनी होती है
दोनों पालियाँ संयोजीऊतक के पतली पल्लीनुमा इस्थमस से जुड़ी होती हैं।
प्रत्येक थाइरॉइड ग्रंथि पुटकों और भरण ऊतकों की बनी होती हैं।
प्रत्येक थाइरॉइड पुटक एक गुहा को घेरे पुटक कोशिकाओं से निर्मित होता है। ये पुटक कोशिकाएं दो हार्मोन, टेट्राआयडोथाइरोनीन (T4) अथवा थायरोक्सीन तथा ट्राईआइडोथायरोनीन (T3) का संश्लेषण करती हैं।
थाइरॉइड हार्मोन के सामान्य दर से संश्लेषण के लिए आयोडीन आवश्यक है। हमारे भोजन में आयोडीन की कमी से अवथाइरॉइडता एवं थाइरॉइड ग्रंथि की वृद्धि हो जाती है, जिसे साधारणतया गलगंड कहते हैं।
गर्भावस्था के समय अवथाइरॉइडता के कारण गर्भ में विकसित हो रहे बालक की वृद्धि विकृत हो जाती है। इससे बच्चे की अवरोधित वृद्धि (क्रिटेनिज्म) या वामनता तथा मंदबुद्धि, त्वचा असामान्यता, मूक बधिरता आदि हो जाती हैं।
वयस्क स्त्रियों में अवथाइराइडता मासिक चक्र को अनियमित कर देता है। थाइरॉइड ग्रंथि के कैंसर अथवा इसमें गाँठों की वृद्धि से थाइरॉइड हारर्मोन के संश्लेषण की दर असामान्य रूप से अधिक हो जाती है। इस स्थिति को थाइरॉइड अतिक्रियता कहते हैं, जो शरीर की कार्यिकी पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है।
थाइरॉइड हार्मोन आधारीय उपापचयी दर के नियमन में मुख्य भूमिका निभाते हैं।
थाइरॉइड हार्मोन लाल रक्त कणिकाओं के निर्माण की प्रक्रिया में भी सहायता करते हैं।
थाइरॉइड हार्मोन कार्बोहाइड्रेट्, प्रोटीन और वसा के उपापचय (संश्लेषण और विखंडन) को भी नियंत्रित करते हैं।
जल और विद्युत उपघट्यों का नियमन भी थाइरॉइड हार्मोन प्रभावित करते हैं।
थाइरॉइड ग्रंथि से एक प्रोटीन हार्मोन, थाइरोकैल्सिटोनिन (TCT) का भी स्त्राव होता है जो रक्त में कैल्सियम स्तर को नियंत्रण करता है।
नेत्रोत्सेधी गलगण्ड (एक्सऑप्थैलमिक ग्वायटर) थाइरॉइड अतिक्रियता का एक रूप है।
थाइरॉइड ग्रंथि में वृद्धि, नेत्र गोलकों का बाहर की ओर उभर आना, आधारी उपापचय दर में वृद्धि एवं भार में हास इसके अभिलक्षण हैं। इसे ग्रेवस् रोग भी कहते हैं।