इकोसाइड क्या होता है वर्णन कीजिए ?
इकोसाइड क्या होता है वर्णन कीजिए ?
इकोसाइड को "गैरकानूनी या अनियंत्रित कृत्यों के रूप
में परिभाषित किया गया है जो इस जानकारी के साथ किये गए हैं कि उन कृत्यों के कारण
पर्यावरण को गंभीर और व्यापक या दीर्घकालिक क्षति होने की पर्याप्त संभावना
है।"
यह परिभाषा स्टॉप इकोसाइड फाउंडेशन द्वारा गठित इकोसाइड की
कानूनी व्याख्या करने वाले स्वतंत्र विशेषज्ञ पैनल द्वारा प्रदान की गई थी।
पारिस्थितिकी-
संहार को पर्यावरणीय अपराध का एक रूप माना
जाता है और यह प्रायः जैवविविधता, पारिस्थितिकी तंत्र तथा मानव कल्याण पर महत्त्वपूर्ण
नकारात्मक प्रभावों से संबंधित है।
पारिस्थितिकी-संहार को एक अपराध के रूप में मान्यता प्रदान
करने का उद्देश्य व्यक्तियों और निगमों को उनके कार्यों के लिये जवाबदेह बनाना तथा
आगे के पर्यावरणीय क्षरण को रोकना है।
12 देशों में पारिस्थितिकी-संहार एक अपराध है, और देश ऐसे
कानूनों पर विचार कर रहे हैं, जो जान-बूझकर की गई पर्यावरणीय क्षति को अपराध की श्रेणी
में रखते हैं, जो मनुष्यों, जानवरों तथा
पौधों की प्रजातियों को नुकसान पहुँचाती है।
पारिस्थितिकी-संहार को अपराध घोषित करने पर भारत का रुख
क्या है?
कानून के रूप में पारिस्थितिकी-संहार:
कुछ भारतीय न्यायालय
के निर्णयों में 'पारिस्थितिकी-संहार' शब्द का संदर्भ
दिया गया है, इस अवधारणा को
औपचारिक रूप से भारतीय कानून में शामिल नहीं किया गया है।
चंद्र CFS और टर्मिनल ऑपरेटर्स प्रा. लिमिटेड बनाम सीमा शुल्क आयुक्त
(2015) मामला: न्यायालय
ने कहा कि कुछ वर्ग के लोग मूल्यवान लकड़ियों/शहतीर को काटकर पर्यावरण का संहार
करना जारी रखे हुए हैं।
टी.एन. गोदावर्मन तिरुमुलपाद बनाम भारत संघ व अन्य (1997) मामला:
सर्वोच्च
न्यायालय ने "मानवजनित पूर्वाग्रह" की ओर ध्यान आकर्षित किया और तर्क
दिया कि "पर्यावरणीय न्याय केवल तभी प्राप्त किया जा सकता है जब हम
मानवकेंद्रित सिद्धांत से हटकर पर्यावरण-केंद्रित सिद्धांत की ओर रुख करें।"
हालाँकि भारत ने अभी तक विशेष रूप से पारिस्थितिकी-संहार को
लक्षित करने वाला कानून बनाने की दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए हैं।
मौजूदा वैधानिक फ्रेमवर्क:
भारत के पर्यावरणीय वैधानिक
फ्रेमवर्क में पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम 1986, वन्य जीवन (संरक्षण) संशोधन अधिनियम, 2022 और प्रतिपूरक
वनीकरण कोष अधिनियम, 2016
(CAMPA) जैसे क़ानून शामिल हैं।
इन कानूनों के बावजूद, पारिस्थितिकी-घातक गतिविधियों को सीधे नियंत्रित करने में
एक अंतर बना हुआ है, जिससे
पारिस्थितिकी-संहार को एक विशिष्ट दंड अपराध के रूप में शामिल करना आवश्यक हो गया
है।