वैकोम सत्याग्रह क्या है? (Vaikom Satyagraha in Hindi )
वैकोम सत्याग्रह का इतिहास
वैकोम सत्याग्रह, एक अहिंसक आंदोलन
था जो एक सदी पहले केरल के त्रावणकोर रियासत के वैकोम में 30 मार्च 1924 से 23 नवंबर 1925 तक चला था।
यह आंदोलन
अस्पृश्यता और जातिगत भेदभाव की गहरी प्रथाओं के विरुद्ध एक ज़बरदस्त विरोध के रूप
में खड़ा हुआ, जिसने लंबे समय
से भारतीय समाज को त्रस्त कर रखा था।
यह आंदोलन
उत्पीड़ित वर्ग के लोगों,
विशेषकर एझावाओं
के वैकोम महादेव मंदिर के आस-पास की सड़कों पर चलने पर प्रतिबंध के कारण शुरू हुआ
था।
मंदिर के मार्ग
खोलने हेतु त्रावणकोर की महारानी रीजेंट के अधिकारियों के साथ बातचीत करने के
प्रयास किये गए।
यह भारत में पहला
मंदिर प्रवेश आंदोलनों था,
जिसने पूरे देश
में इसी तरह के आंदोलनों के लिये मंच तैयार किया।
इसका उदय
राष्ट्रवादी आंदोलन के साथ हुआ और इसका उद्देश्य राजनीतिक आकांक्षाओं के साथ-साथ
सामाजिक सुधार में वृद्धि करना था।
वैकोम सत्याग्रह से संबन्धित प्रमुख व्यक्ति:
इसका नेतृत्व
एझावा नेता टी.के. माधवन,
के.पी. केशव मेनन
और के. केलप्पन जैसे दूरदर्शी नेताओं ने किया था।
पेरियार अथवा
थंथई पेरियार के नाम से सम्मानित इरोड वेंकटप्पा रामासामी ने स्वयंसेवकों को
संगठित कर भाषण के माध्यम से उनका उत्साहवर्द्धन किया, उन्हें कारावास
की सज़ा दी गई। उन्होंने 'वैकोम वीरर' की उपाधि धारण
की।
मार्च 1925 में महात्मा
गांधी वैकोम पहुँचे और विभिन्न जाति समूहों के नेताओं के साथ विचार-विमर्श कर इस
आंदोलन को गति प्रदान की।
वैकोम सत्याग्रह रणनीतियाँ और पहल:
प्रारंभ में
सत्याग्रह का लक्ष्य वैकोम मंदिर के आस-पास की सड़कों तक सभी जातियों के लोगों के
लिये पहुँच सुनिश्चित करने पर केंद्रित था।
आंदोलन के नेताओं
ने गांधीवादी सिद्धांतों से प्रेरित होकर रणनीतिक रूप से अहिंसक तरीकों के माध्यम
से विरोध प्रदर्शन किया।
वैकोम सत्याग्रह परिणाम:
वैकोम सत्याग्रह
के परिणामस्वरूप महत्त्वपूर्ण सुधार हुए जिसमें प्रमुख सुधार मंदिर के आस-पास की
चार सड़कों में से तीन सड़कों तक सभी जाति के लोगों की पहुँच सुगम करना था।
वैकोम सत्याग्रह परिणाम और प्रासंगिकता:
नवंबर 1936 में, त्रावणकोर के
महाराजा ने ऐतिहासिक मंदिर प्रवेश उद्घोषणा पर हस्ताक्षर किये जिसने त्रावणकोर के
मंदिरों में हाशिये की जातियों के प्रवेश पर सदियों पुराने प्रतिबंध को हटा दिया।
वैकोम सत्याग्रह
ने दृष्टिकोणों में विघटन उत्पन्न कर दिया, कुछ लोगों ने इसे हिंदू सुधारवादी आंदोलन के रूप में देखा, जबकि कुछ ने इसे
जाति-आधारित अत्याचारों के विरुद्ध लड़ाई के रूप में देखा।
आंदोलन के महत्त्व के लिये वैकोम सत्याग्रह मेमोरियल संग्रहालय और पेरियार मेमोरियल सहित स्मारक स्थापित किये गए थे।