मध्यप्रदेश में वन्य-जीव पर्यटन अभियान की शुरुआत 4 जनवरी से : मुख्यमंत्री डॉ. यादव। MP Vanya Jeev Paryatan abhiyaan - Daily Hindi Paper | Online GK in Hindi | Civil Services Notes in Hindi

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शुक्रवार, 3 जनवरी 2025

मध्यप्रदेश में वन्य-जीव पर्यटन अभियान की शुरुआत 4 जनवरी से : मुख्यमंत्री डॉ. यादव। MP Vanya Jeev Paryatan abhiyaan

 मध्यप्रदेश में वन्य-जीव पर्यटन अभियान की शुरुआत 4 जनवरी से : मुख्यमंत्री डॉ. यादव

मध्यप्रदेश में वन्य-जीव पर्यटन अभियान की शुरुआत 4 जनवरी से : मुख्यमंत्री डॉ. यादव। MP Vanya Jeev Paryatan abhiyaan


मुख्यमंत्री डॉ. यादव शनिवार को करेंगे चंबल अभयारण्य का भ्रमण


वन्य-जीव पर्यटन अभियान

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि वन्य जीव पर्यटन की दिशा में मध्यप्रदेश महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है। शनिवार 4 जनवरी से वन्य-जीव पर्यटन को एक नया आयाम मिलेगा। मुख्यमंत्री डॉ. यादव चंबल अभयारण्य का भ्रमण कर चंबल नदी के घड़ियाल अभयारण्य की व्यवस्थाओं का अवलोकन कर पर्यटन सुविधाओं का जायजा लेंगे।


मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रकृति ने मध्यप्रदेश को कई वरदान दिए हैं। सघन वन, वृक्षों की विविधता के साथ ही वन्य-प्राणियों की भी विविधता मध्यप्रदेश में देखने को मिलती है। वनों और वन्य-प्राणियों से मध्यप्रदेश की एक अलग पहचान बनी है। मध्यप्रदेश बाघ, तेंदुआ और घड़ियाल जैसे प्राणियों की सर्वाधिक संख्या वाला प्रदेश है। चीता पुनर्स्थापन करने वाला मध्यप्रदेश एक मात्र प्रदेश है।


मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि देश में ही नहीं पूरे विश्व में सर्वाधिक घड़ियाल चंबल नदी में पाए जाते हैं। उन्होंने बताया कि विश्व में लगभग तीन हजार घड़ियाल हैं, तो इनमें से 85 प्रतिशत चंबल नदी में हैं। करीब चार दशक पहले घड़ियालों की गणना का कार्य शुरू हुआ, जिससे घड़ियालों के इतनी बड़ी संख्या में चंबल में होने की जानकारियां सामने आईं। जनवरी और फरवरी महीने में अनुकूल तापमान का अनुभव कर घड़ियाल पानी से बाहर निकलते हैं और उस वक्त घड़ियालों और मगरमच्छों की गिनती आसानी से हो जाती है।


मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य को राष्ट्रीय चंबल घड़ियाल वन्य-जीव अभयारण्य के नाम से भी जाना जाता है। पर्यटकों में यह चंबल बोट सफारी के नाम से प्रसिद्ध है। यह तीन राज्यों मध्यप्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के संयुक्त प्रयासों से एक प्रमुख संरक्षण परियोजना है। मध्यप्रदेश में वर्ष 1978 में इसे वन्य-जीव अभयारण्य के रूप में मान्यता दी गई थी। चंबल घड़ियाल वन्य-जीव अभयारण्य का मुख्य उद्देश्य लुप्तप्राय घड़ियाल, लाल मुकुट वाले छत कछुए और लुप्तप्राय गांगेय डॉल्फिन को संरक्षित करना है।


मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि यह अभयारण्य लगभग साढ़े पांच वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। पहाड़ियों और रेतीले समुद्र तटों की तरह चंबल नदी के तटों से यह धरती भरी हुई है। यह वन्य-जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत संरक्षित है और इसका मुख्यालय मुरैना में है।


घड़ियालों और गंगा डॉल्फिनों का निवास स्थान, पारिस्थितिकी संवेदनशील क्षेत्र घोषित किया गया है। घड़ियाल, लाल मुकुट वाले कछुए और डॉल्फ़िन यहाँ पाए जाते हैं। अन्य जानवर जो (दुर्लभ) श्रेणी में हैं, उनमें मगरमच्छ, चिकने-लेपित ऊदबिलाव, धारीदार लकड़बग्घा और भारतीय भेड़िये हैं, जो संरक्षण सूची की अनुसूची-1 में शामिल हैं।


मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि चंबल नदी में कछुआ परिवार की 26 दुर्लभ प्रजातियों में से 08 प्रजातियाँ पाई जाती हैं। इनमें भारतीय संकीर्ण सिर एवं नरम खोल वाला कछुआ, तीन धारीदार छत वाला कछुआ और मुकुटधारी नदी वाला कछुआ शामिल हैं, जो यहां की पहचान है।


शीतकाल है घड़ियाल देखने का उपयुक्त समय


चंबल में घड़ियाल अभयारण्य देखने के लिए यात्रा का सर्वोत्तम समय अक्टूबर से जून तक रहता है। शीतकाल में घड़ियाल देखने और यह क्षेत्र घूमने का सबसे अच्छा समय माना गया है। राष्ट्रीय चंबल वन्य-जीव अभयारण्य में प्रकृति को देखने की बहुत सी गतिविधियाँ होती हैं। घड़ियाल, डॉल्फ़िन, अन्य सरीसृप, जल निकायों और सुंदर परिदृश्य की फोटोग्राफी नाव की सवारी से की जा सकती है। यहाँ की घाटियों और नदियों के किनारे पगडंडियों पर चलना प्रकृति को करीब से देखने का मौका देता है। चंबल नदी लगभग एक हजार किलोमीटर लंबी है। पर्यटक चंबल घड़ियाल सफारी अभयारण्य का आनंद उक्त क्षेत्र के निकटवर्ती नगरों में रहवास सुविधा का उपयोग ले सकते हैं।