मनिहारी दुकान बनी आजीविका का साधन, समूह से जुड़कर हो रहे सपने साकार - Daily Hindi Paper | Online GK in Hindi | Civil Services Notes in Hindi

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बुधवार, 16 अक्तूबर 2019

मनिहारी दुकान बनी आजीविका का साधन, समूह से जुड़कर हो रहे सपने साकार


आजीविका मिशन के माध्यम से खिरवा खुर्द की कमला कोरी आत्म निर्भरता की ओर कदम बढ़ाकर परिवार की जीविका उपार्जन में सहायक साबित हुई है। आजीविका मिशन एवं समूह में जुड़ने के पहले परिवार एवं स्वयं के जीवकोपार्जन का सहारा खेती एवं मजदूरी ही था पर आस लगी थी कभी हाथ भी मजबूत होंगेमजदूरी से छुटकारा मिलेगा। अपनी इस कहानी का स्वयं बखान करती हुई सहारा स्वसहायता समूह ग्राम खिरवाखुर्द विकासखण्ड विजयराघवगढ़ की सदस्य कमला कोरी बताते नहीं थकती कि हम आजीविका मिशन के माध्यम से समूह से जुड़े। थोड़ी थोड़ी बचत जमा करने पर हमारी एवं समूह की साख बनी। प्रथम बार समूह से 2700 रुपये का ऋण लेकर किराना की छोटी सी दुकान प्रारंभ की। इस ऋण को वापस करके समूह से अब 10 हजार रुपये का ऋण लेकर किराना के साथ मनिहारी का कार्य भी प्रारंभ कर दिया। समय के साथ हमारी किस्मत भी धीरे-धीरे बदलने लगी। दुकान लगातार बढ़ती ही चली गई।
            दूसरा ऋण भी वापस कर अब अपनी दुकान को और अधिक बढ़ाने के लिये समूह से 15 हजार रुपये ऋण लेकर रोजगार बढ़ाया। अब स्वयं ही नहीं बल्कि अपने पति एवं परिवार की मदद भी कर पा रही हूं। इसी उपलब्धि से परिवार के साथ समाज में भी लोगों के बीच हमारी पूछ परख बढ़ी है। गांव एवं क्षेत्र के लिये कमला कोरी अब एक आत्म निर्भर महिला के रुप में स्थापित हुई हैं। किराना एवं मनिहारी दुकान से कमला को लगभग 6 से 7 हजार रुपये मासिक आमदनी होने लगी है। अब वो संगठित होकर ग्राम सभा एवं अन्य सामाजिक कार्यों में भी स्वयं एवं अन्य महिलाओं को भी प्रेरित कर शामिल करवाती हैं। कमला आजीविका मिशन एवं अपने समूह की खुले दिल से प्रशंसा करती हैं।